नई दिल्ली: बिजनेस की डिग्री विदेश से लेकर देश में फिल्मों में काम करना, तुषार कपूर (Tusshar Kapoor Bio) ने खुद अपनी किस्मत लिखी. भले ही वो पढ़ाई में जितने अच्छे थे लेकिन कॉर्पोरेट वर्ल्ड में वो मिक्स नहीं हो पाए. जल्द ही भारत लौटकर 'मुझे कुछ कहना है' से तुषार कपूर ने अपना फिल्मी करियर शुरु किया. तुषार को जो पहचान 'गोलमाल' से मिली वो किसी फिल्म ने नहीं दी. 'गोलमाल' में रोल पाने का किस्सा भी बहुत दिलचस्प है.
जब लिखा गया था रोल
तुषार कपूर की एंट्री कॉमेडी में 'क्या कूल हैं हम' से हुई. ऐसे में एक्टर पर नीरज बोहरा नाम के एक राइटर-डायरेक्टर की नजर पड़ी. ऐसे में नीरज बोहरा ने तुषार का नाम अष्टविनायक और रोहित शेट्टी को 'गोलमाल' के लिए रेकमेंड किया. उस वक्त फिल्म में तीन ही लड़के थे. ऐसे में नीरज ने तुषार को कहा कि अगर वो फिल्म के लिए हामी भरते हैं तो चौथा रोल ऐड किया जाएगा. नीरज ने उसी वक्त तुषार को बता दिया था कि 'ये बंदा गूंगा रहेगा.'
नोटिस करेगा कोई या नहीं!
तुषार कपूर काफी कन्फ्यूज्ड थे 'कॉमेडी फिल्म है और उसमें भी मेरा कोई डायलॉग नहीं. मैंने एक ही कॉमेडी फिल्म की थी और उसमें भी डबल मीनिंग डायलॉग थे.' ऐसे में एक्टर को चिंता थी कि क्या मुझे कोई नोटिस करेगा भी या नहीं. तभी अंदर से एक आवाज आई कि 'इस फिल्म में कोई बात है एक क्लास है. चार लोग हो, गूंगा हो, क्या फर्क पड़ता है, पिक्चर चलती है तो सबको फायदा होता है कर लो.' इसके बाद किरदार के लिए तैयारी शुरु हुई.
रोल के लिए किए पूरी तैयारी
शर्मन जोशी ने तुषार कपूर को साइन लैंग्वोज सिखाने के लिए विकास कदम नाम के एक थिएटर आर्टिस्ट को बुलाया. डिसाइड किया गया कि किरदार के लिए पूरी तरह से साइन लैंग्वेज नहीं सीखी जाएगी क्योंकि ये किरदार गूंगा है बहरा नहीं और ऐसे आदमी साउंड को कॉपी कर बोलने की कोशिश करते हैं. तुषार कपूर ने किरदार के लिए साइलेंट फिल्में देखीं और चार्ली चैप्लिन के हाव-भाव को समझा. एक लंबी वर्कशॉप के बाद वो खुद को किरदार के हिसाब से ढाल पाए. इसके बाद फिल्म रिलीज हुई और लकी पर सबने जमकर प्यार लुटाया.
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