सुशांत हत्याकांड: क्या गिर सकती है महाराष्ट्र सरकार?

यह मामला अपनी जांच के साथ जिस तरह से आगे बढ़ रहा है और एक छेद से गड्ढा और गड्ढे से तालाब दिखने लगा है तथा इसके साथ ही अपराध के नये-नये बदसूरत चेहरे सामने आने लगे हैं, ये देख कर तो यही प्रतीत होता है कि इस मामले पर पर्दा ढकने की कोशिश के जिम्मेदार प्रशासन को इसका पूरा खामियाजा चुकाना पड़ सकता है.

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Aug 27, 2020, 08:28 AM IST
    • परमवीर सिंह के पास जवाब नहीं हैं
    • ये लापरवाही नहीं थी मुंबई पुलिस की
    • गृहमंत्री अनिल देशमुख भी हैं लाजवाब
    • पुलिस की ‘हरकतों’ के दो या तीन जिम्मेदार?
    • परमवीर और अनिल के पीछे कौन?
सुशांत हत्याकांड: क्या गिर सकती है महाराष्ट्र सरकार?

नई दिल्ली.   सीबीआई ने बहुत खूबसूरती से काम किया है. न शोर मचाया न कोई बड़े बोल बोले, बस अपने काम को खामोशी से इतना शानदार अन्जाम दिया है कि लगता है मामले में शामिल ए से लेकर जेड तक कोई भी अपराधी अब बच नहीं पायेगा. बड़ा सवाल यहां ये भी है कि क्या इस जांच के बाद महाराष्ट्र की सरकार गिर सकती है? 

 

परमवीर सिंह निरुत्तर हैं

मुंबई पुलिस के चीफ परमवीर सिंह के पास आज की तारीख में कोई जवाब नहीं है. मीडिया के सवालों का जवाब वे नहीं दे रहे हैं और इसके लिये उन पर दबाव भी नहीं डाला जा सका है - ये उनका निजी अधिकार है किन्तु सीबीआई के सवालों का जवाब तो उनको देना ही होगा. ऐसे में उन्होंने उस बड़ी तफतीश से बचने के लिये कौन सा बड़ा होमवर्क तैयार किया है, ये देखना भी दिलचस्प होगा.

लापरवाही नहीं थी मुंबई पुलिस की

अब यह शीशे की तरह साफ हो चुका है कि जल्दी से सुशांत की हत्या को आत्महत्या कह के फाइल बंद करने के लिये बेकरार मुंबई पुलिस ने कोई लापरवाही नहीं की थी, सब जान कर किया जा रहा था. मुंबई की पुलिस देश और न्याय को गुमराह करने की पूरी कोशिश कर रही थी किन्तु पुलिस तो सिर्फ मोहरा थी और इस मोहरे के पीछे के चेहरे की बात करें तो दिखाई देते हैं मुंबई पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह.

अनिल देशमुख भी हैं लाजवाब

महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के पास भी मीडिया के किसी सवाल का जवाब नहीं है. वे कैमरे के सामने बदजुबानी तो कर सकते हैं लेकिन सच को एक हद के बाद छुपा नहीं सकते. आखिर उनको भी ये जवाब देना है कि वे सीबीआई की जांच क्यों नहीं होने देना चाहते थे. अनिल देशमुख को किस बात का डर था? उनको ये जवाब भी देना होगा कि मुंबई पुलिस का श्रेष्ठ आचरण भ्रष्ट कैसे हो गया और क्यों हुआ ऐसा? 

पुलिस की ‘हरकतों’  के पीछे कौन ?

सुशांत हत्या की शुरुआत में तफतीश नहीं, तफतीश का नाटक हुआ था. इस दौरान मुंबई पुलिस की बेहया हरकतों को सारी दुनिया ने देखा. चाहे निर्वस्त्रा दिशा के शव को आत्महत्या करार देने की आपराधिक लापरवाही या बिहार पुलिस को जांच से रोकने के लिये की गई हर तरह की कोशिश – मुंबई पुलिस देश की सबसे भ्रष्ट पुलिस के रूप में सामने आई. पुलिस के लोग प्यादे हैं तो इनका  वजीर कौन है -इसके जवाब में दो लोगों के नाम सामने आते हैं - मुंबई पुलिस चीफ परमवीर सिंह और उनके पीछे खड़े महाराष्ट्र के गृहमन्त्री अनिल देशमुख. 

परमवीर और देशमुख के पीछे कौन?

यदि परमवीर सिंह औऱ अनिल देशमुख पर किये जा रहे संदेह के बादल छंट जाते हैं और ये दोनो लोग पूछे गये प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर देने में सफल रहें तो बात खत्म हो जाती है. किन्तु ये दोनो यदि असली सवालों के सामने नकली जवाब देते सुनाई दिये तो बात इनसे भी आगे निकल जायेगी और इन दोनो के ऊपर बैठे सत्तासीन नेताओं तक बड़े सवालों की लपटें पहुंचेंगी. ऐसी स्थिति में पूरी की पूरी सरकार कठघरे में खड़ी नजर आयेगी. और यदि कानून ने इनको अभियुक्त माना तो इसका खामियाजा सरकार को अपनी बलि देकर भी चुकाना पड़ सकता है. 

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