दादागिरी के लिए हमेशा सुर्खियों में रहे हैं क्रिकेट के 'दादा', 7 मशहूर 'बवाल'

आज क्रिकेट के सबसे बड़े 'दादा' सौरभ गांगुली का जन्मदिन है. ऐसे में आपको गांगुली दादा की दादागिरी के 7 मशहूर किस्सों के बारे में जरूर जानना चाहिए..

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Jul 8, 2020, 05:46 PM IST
    • "बवालिया दादा" की दादागिरी के मशहूर किस्से
    • सौरभ गांगुली के जन्मदिन पर विशेष रिपोर्ट
    • जब-जब मैदान पर भिड़े क्रिकेट के दादा गांगुली
दादागिरी के लिए हमेशा सुर्खियों में रहे हैं क्रिकेट के 'दादा', 7 मशहूर 'बवाल'

क्रिकेट की दुनिया के कुछ ऐसे मशहूर नाम है जिन्हें कभी चाह कर भी भुलाया नहीं जा सकता है. ऐसे ही नामों में एक नाम शुमार है, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली का.. जो बंगाल टाइगर, प्रिंस ऑफ कोलकाता और दादा के नाम से मशहूर हैं. दादा नाम से ये समझना मुश्किल नहीं है कि सौरभ गांगुली ने असल जिंदगी में भी काफी दादागिरी की होगी. आपको दादा की दादागिरी के 7 रोचक किस्सों से रूबरू करवाते हैं.

दादागिरी नंबर 1). मैदान पर अंपायर्स से भिड़ जाते थे सौरभ गांगुली

सौरभ गांगुली क्रिकेट को लेकर काफी सीरियस खिलाड़ी थे. गांगुली की एक आदत सबसे जुदा थी, उन्हें मैदान पर काफी अधिक गुस्सा आता था. ऐसे हजारों मौके देखे गए, जब मैच के बीच गांगुली दादा 'आग-बबूले' हो जाते थे. लेकिन इन सबके अलावा उनकी सबसे अलग दादागिरी ये थी कि वो अक्सर मैदान पर अंपायर भिड़ जाते थे. उनके इसी आक्रामक रवैये के चलते गांगुली को कई दफा पाबंदियों का सामना करना पड़ा है.

साल 1998 में कर्नाटक के बेंगलुरु में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक टेस्ट मैच में अंपायर ने उन्हें आउट दे दिया, जिसके बाद उन्होंने आपत्ति दर्ज कराई और इसका नतीजा ये हुआ कि उन्हें 1 वनडे मैच के लिए बैन कर दिया गया.

इसी तरह साल 2000 जिम्बाब्वे के खिलाफ एक मैच में गांगुल अंपायरों भिड़ गए जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा, उनपर अंपायरों को धमकाने की कोशिश का इल्जाम लगा औप पाबंदी लगी.

साल 2001 में श्रीलंका के खिलाए एक मैच में उन्हें अंपायर ने LBW आउट दिया तो गांगुली इस कदर भड़क गए कि उन्होंने अंपायर को बल्ला ही दिखा दिया. फिर एक बार 1 वनडे मैच के लसिए पाबंदी लगाई गई. गांगुली पर बैन लगता रहा लेकिन उनकी दादागिरी चलती रही.

दादागिरी नंबर 2). लॉर्ड्स के मैदान में खुल्लम-खुल्ला लहाराया T-शर्ट

साल 2002 की बात है, जब इंडिया और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स के मैदान पर नैटवेस्ट सीरीज का फाइनल मैच खेला जा रहा था. पहले बल्लेबाजी करके इंग्लैंड ने 325 रन बनाकर भारत के सामने 326 रनों का बड़ा लक्ष्य था. लेकिन गांगुली की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम के युवा खिलाड़ियों खासकर मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह ने वो करके दिखाया की दादा ने अपनी दादागिरी का एक और प्रदर्शन कर दिया. 

जैसे ही भारत ने मैच जीता, लॉर्ड्स के मैदान की बाल्कनी में खड़े होकर कप्तान सौरभ गांगुली ने अपनी टी-शर्ट निकालकर लहराने रहे. इसे लेकर उन्हें काफी विवादों का भी सामना करना पड़ा.

दादागिरी नंबर 3). PAK के इस खिलाड़ी को चेताते हुए कहा 'टाइम नोट कर ले'

वैसे तो टीवी पर हर किसी का सबसे फेवरेट मैच भारत Vs पाकिस्तान होता ही है, लेकिन दादा की दादागिरी पाकिस्तान के खिलाफ मैचों में और बढ़ जाती थी. इसी तरह एक वनडे मैच के दौरान मोहम्मद यूसुफ नाम के खिलाड़ी को खुलेआम धमक दिखा दी. आपको वजह बताए उससे पहले आप ये वीडियो देखिए.. 

इस वीडियो में सौरभ गांगुली कहते दिख रहे हैं कि "नहीं नहीं तेरी बात नहीं कर रहा हूं. मैं अपनी बात कर रहा हूं. तू रेस्ट ले मेरे को प्रॉब्लम नहीं है. नहीं मैं ये नहीं बोल रहा हूं जान बूझ के कर रहा है तू. तू टाइम नोट कर ले बस."

दरअसल इसके पीछे की वजह ये थी कि 50 ओवरों के मैच में बॉलिंग कराने के लिए एक समय निर्धारित होता है. इसी बीच यूसुफ ने पहले एक बार ड्रिंक्स ब्रेक लिया और फिर उनके कोहनी में चोट लग गई तो मैदान पर समय बीत रहा था. इसी लिए गांगुली ये बोलते दिखे कि तू टाइम नोट कर ले.

दादागिरी नंबर 4). Toss के वक्त देर से ग्राउंड में आने के लिए मशहूर

दादा की दादागिरी सिर्फ मैचों तक सीमित नहीं थी, मैच से पहले होने वाले टॉस के लिए भी गांगुली की दादागिरी काफी मशहूर है. वो अक्सर टॉस के लिए देरी से आया करते थे. जिसे लेकर एक बार गांगुली को काफी तनातनी का भी सामना करना पड़ा था.

गांगुली उन कप्तानों में से थे, जो मैंदान के अंदर और बाहर दोनों ही जगहों पर खुलकर बोलने के लिए फेमस थे. टॉस में देरी से आने को लेकर गांगुली के उपर स्टीव वॉ ने ये आरोप लगाया था कि गांगुली जान-बूझकर मैदान टॉस के लिए देरी से आया करते थे.

एक बार तो IPL (इंडियन प्रीमियर लीग) में भी सौरभ गांगुली राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ एक मैच के दौरान भी टॉस के लिए काफी लेट आए, जिसे लेकर शेन वॉर्न काफी आक्रोशित गो गए थे.

दादागिरी नंबर 5). मैदान पर ही रसेल अर्नाल्ड को धर के समझा दिया

गांगुली दादा की दादागिरी के चर्चे काफी मशहूर थे, इनमें से एक श्रीलंकाई खिलाड़ी के खिलाफ पिच पर देखा गया. श्रीलंका के ऑलाराउंडर खिलाड़ी रसेल अर्नाल्ड पिच पर दौड़ रहे थे कि गांगुली ने उन्हें आकर समझाया. इस दौरान रसेल ने दादा से हेकड़ी दिखाने की कोशिश की तो उन्होंने बार-बार एक ही बात समझाया.

दादा ज्यादा ना भड़क जाए इसीलिए दोनों अंपायर ने गांगुली को समझाने की कोशिश की. दादा को समझाते हुए अंपायर ने रोका लेकिन जबतक पिच पर खड़ा रसेल चुप नहीं हुआ दादा ने बार बार जाकर उसे एक ही बात समझाई.

दादागिरी नंबर 6). गांगुली और हेड कोच रवि शास्त्री के बीच का तकरार

साल 2016 की बात है जब BCCI के कोच का सेलेक्शन करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था, जिसके सदस्य सौरभ गांगुली, सचिन तेंदुलकर और VVS लक्ष्मण भी थे. इस कमेटी ने उस वक्त अनिल कुंबले को इंडियन क्रिकेट टीम का हेड कोच चुना था. इस पद के लिए रवि शास्त्री ने भी इंटरव्यू दिया था.

लेकिन सबसे खास बात ये रही कि जब शास्त्री ने इंटरव्यू दिया था तो वो बैंकॉक में थे और उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इंटरव्यू दिया था और इस इंटरव्यू में सौरभ गांगुली मौजूद नहीं थी. ऐसे में रवि शास्त्री ने इसे लेकर नाराजगी जताते हुए ये कहा था कि गांगुली ने उनका अपमान किया है, ऐसे में दादा ने भी अपनी दादागिरी दिखाते हुए करारा जवाब दिया.

गागुंली ने जवाब देते हुए कहा था कि वो अपनी छुट्टियां मना रहे थे, वो भी तो इंटरव्यू में मौजूद नहीं थे. उन्हें मौजूद रहना चाहिए था ना कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से इंटरव्यू देना चाहिए था. आपको बता दें, बाद में कुंबले ने ये पद छोड़ दिया था, जिसके बाद से हेड कोच रवि शास्त्री ही हैं और BCCI के अध्यक्ष पद पर सौरभ गांगुली मौजूद हैं.

दादागिरी नंबर 7). भज्जी को टीम में रखने के लिए सेलेक्टर्स से 'भिड़' गए दादा

साल 2001 की बात है जब बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए टीम का चयन किया जा रहा था. उस वक्त सौरभ गांगुली कप्तान थे, उन्होंने चयनकर्ताओं से हरभजन सिंह को टीम में रखने की अपील की, हालांकि सेलेक्टर्स उस वक्त भज्जी को उतना पसंद नहीं करते थे. लेकिन, दादा अपनी बातों पर अड़े रहे.

उन्होंने साफ साफ कह दिया कि "जब तक टीम में नहीं हरभजन को नहीं लिया जाएगा, मैं इस कमरे से बाहर नहीं जाऊंगा." आखिरकार उन्होंने सभी को अपनी बात मानने पर मजबूर ही कर दिया.

लेकिन दादा की इस दादागिरी का अंजाम क्या हुआ वो वाकई गजब का किस्सा है. हरभजन सिंह ने इस मैच के मैन ऑफ द मैच रहे, वो ऐसे कि भज्जी ने टेस्ट मैच के पहली इनिंग में एक हैट्रिक लेकर 7 विकेट चटकाए, जबकि दूसरी इनिंग में उन्होंने 6 विकेट लेकर मैच में कुल 13 विकेट अपने नाम कर लिए. आखिरकार दादा ने अपनी इस दादागिरी से चयनकर्ताओं को ये समझा दिया कि दादागिरी का लोहा मनवाने में उनका कोई जवाब नहीं है.

ट्रेंडिंग न्यूज़