नई दिल्ली: Intel ने अपने RealSense 3D कैमरा की कलेक्शन में बड़े बदलाव किए हैं. कंपनी ने चेहरे की पहचान के लिए ऑन-डिवाइस सिस्टम (On-device facial recognition system) लगाया है. इसे डिजिटल दुनिया में एक बड़ी क्रांति के तौर पर देखा जा रहा है. Artificial Intelligence को लेकर लगातार प्रयोग हो रहे हैं. बाजार में इसके आते ही डिजिटल दुनिया और एडवांस हुई है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सबसे लेटेस्ट उपलब्धि है फेशियल रिकग्निशन सिस्टम (facial recognition system).
क्या है facial recognition system
इस तकनीक के सहारे हम अपने चेहरे और आंख की रेटिना को किसी भी डाटाबेस में सुरक्षित अपलोड कर उसका इस्तेमाल किसी भी डिजिटल प्लेटफॉर्म (Digital Platform) पर अपने पहचान के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं. ये तकनीक किसी भी स्मार्ट डिवाइस को सिर्फ आपके चेहरे से अनलॉक कर देगी. बड़ी बात यहां ये है कि इस तकनीक का प्रयोग अब ATM मशीन से पैसे निकालने के लिए भी किया जा सकेगा.
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इंटेल के अनुसार इस नये रियल सेंस आईडी कैमरा सिस्टम (RealSence ID camera system) को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसके facial recognition system को गेट कंट्रोल, एटीएम (ATM), कियोस्क (Kiosk) जैसी मशीनों और स्मार्टलॉक्स में डाला जा सके. अब सिर्फ face ID से ही हम किसी भी डिजिटल प्लेटफॉर्म को अनलॉक कर पाएंगे.
वर्चुअल गहराई नापती है ये तकनीक
इंटेल की RealSense 3D तकनीक को 2014 में लोगों के सामने रखा गया था. इस तकनीक के माध्यम से कैमरा ऊंचाई और चौड़ाई के साथ-साथ गहराई भी नाप पाता है. इसी तकनीक के जरिए चेहरे के हाव-भाव और इशारे समझ पाता है. ये RealSense ID सिस्टम आजकल के किसी भी सिक्योरिटी कंट्रोल के कोर टेक्नॉलजी (Core Technology) के तौर पर उभरा है.
भारत में भी जल्द आ सकती है तकनीक
इस रियल सेंस आईडी सिस्टम का दाम 99 डॉलर (यानी करीब 7200 रुपए) है. कंपनी ने कहा है कि इस साल के पहले तिमाही में इसकी बिक्री शुरू हो जाएगी. इतना ही नहीं भारत के अलावा भी कई देशों में इसे बिक्री के लिए उपलब्ध करवाया जाएगा. कई देशों में ऐसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. यहां बिना फेशियल रिकग्निशन के कोई भी व्यक्ति ATM में एंट्री नहीं कर सकता है. माना जा रहा है कि भारत (India) में भी जल्द ही इस तकनीक को लाया जाएगा.
कुछ खामियां भी
जहां इस तकनीक को पूरी दुनिया में इतना सराहा गया है, वहीं इसे काफी विवादों का भी सामना करना पड़ा है. कुछ लोगों का कहना है कि इस तकनीक से लोगों के निजी Data में घुसपैठ किया जा सकता है.
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