नई दिल्ली. कोई फ़ाइल कैसे डिलीट हो सकती है जब तक डिलीट न की जाए? ये बात हर वो इंसान अच्छी तरह जानता है जिसे कम्प्यूटर की ज़रा सी भी जानकारी हो. कोई भी व्यक्ति जिसे कंप्यूटर की जानकारी नहीं है कम्प्यूटर को हाथ न लगा सकता है न लगाता है. ऐसे में किसी कंप्यूटर जानने वाले व्यक्ति से कोई फ़ाइल कैसे डिलीट हो सकती है?
अब तो सीबीआई जांच तय है
मुंबई की जो पुलिस इतनी अन-प्रोफेशनल है कि देश के एक हाईप्रोफाइल मर्डर की फ़ाइल उड़ा दे वो पुलिस इस मर्डर की जांच करने में सक्षम कैसे है? अब तो सीबीआई की जांच पक्की हो गई है क्योंकि मुंबई पुलिस की अक्षमता सिद्ध हो गई है और अब सीबीआई के अतिरिक्त कोई बेहतर विकल्प शेष नहीं है.
मुंबई पुलिस की भूमिका की भी जांच हो
इस जांच में सुशांत के हत्यारों की पड़ताल के साथ मुंबई पुलिस की पड़ताल भी होनी चाहिए कि उसने फ़ाइल किस तरह से डिलीट की. सीबीआई को अपनी इंक्वायरी में ये भी जांच करनी होगी कि मुंबई पुलिस ने सुशांत की हत्या को आत्महत्या क्यों कहा. जांच ये भी करनी होगी कि मुंबई पुलिस जांच के लिए राजी क्यों नहीं है. आखिर क्यों मुंबई पुलिस ने बिहार पुलिस की जांच में रोड़े अटकाने की कोशिश की? जांच ये भी होनी चाहिए कि मुंबई पुलिस किसे बचाने के लिए इतनी मेहनत कर रही है?
मुंबई पुलिस सक्षम नहीं अक्षम है
चालीस से पैंतालीस दिन में एक एफआईआर तक दर्ज नहीं की जिस मुंबई पुलिस ने वह कहती है कि उसे सीबीआई की जरूरत नहीं वो इस मामले की जांच करने में सक्षम है. प्रश्न सक्षमता का नहीं है प्रश्न है मंशा का. जो पुलिस दूसरे राज्य से आई पुलिस की मदद करने की बजाये उसके काम में रोड़े अटकाए वो कितनी सक्षम है, समझा जा सकता है.
मुंबई पुलिस का दुर्व्यवहार देश ने देखा
जो दुर्व्यवहार मुंबई पुलिस ने बिहार पुलिस के साथ किया उसे सारे देश ने देखा है. बिहार पुलिस ने पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट मांगी तो मना कर दिया. बिहार पुलिस को गाड़ी नहीं दी, उनको ऑटोरिक्शा से जांच के लिए जाना पड़ा. बिहार पुलिस को मुंबई पुलिस ने कैदियों वाली गाड़ी में चोरों की तरह लगभग धक्का देते हुए बैठाया. और अब मुंबई पुलिस इस हद तक नीचे गिर गई है कि बेशर्मी से कह रही है कि फ़ाइल डिलीट हो गई है. ये फाइलें डिलीट हो गई हैं या डिलीट कर दी गई हैं - ये भी अब एक जांच का विषय बन गया है.
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