कमोडिटी ट्रेडिंग कच्चे माल या प्राइमरी प्रॉडक्ट्स पर लगने वाला एक आंतरिक मूल्य होता है. जिसका उपयोग उस कच्चे माल से रिफाइंड प्रॉडक्ट बनने के बाद भी हो सकता है. कमोडिटी की कैटेगरी में कीमती मेटल्स, खेती से जुड़े उत्पाद, खनिज अयस्क और फॉसिल फ्यूल्स आते हैं.
Written by Web Desk Team | Published :January 10, 2023 , 1:35 pm IST
कमोडिटी ट्रेडिंग कच्चे माल या प्राइमरी प्रॉडक्ट्स पर लगने वाला एक आंतरिक मूल्य होता है. जिसका उपयोग उस कच्चे माल से रिफाइंड प्रॉडक्ट बनने के बाद भी हो सकता है. कमोडिटी की कैटेगरी में कीमती मेटल्स, खेती से जुड़े उत्पाद, खनिज अयस्क और फॉसिल फ्यूल्स आते हैं. ट्रेडिंग में आने के लिए कमोडिटी को मार्केट में मौजूद दूसरी वस्तुओं के समकक्ष होना चाहिए. कमोडिटी की क्वालिटी में अंतर हो सकता है लेकिन कुछ तयशुदा क्राइटेरिया पर उसका खरा उतरना जरूरी है. स्टॉक मार्केट में शेयर ट्रेड की तरह, कमोडिटी मार्केट में कमोडिटी खरीदी और बेची जाती है. इसके लिए कमोडिटी मार्केट में डेडिकेटेड कमोडिटी एक्सचेंज मौजूद होते हैं. जहां से ट्रेडर्स उन्हें आसानी से खरीद और बेच सकते हैं. कमोडिटीज को दो अलग अलग कैटेगरी में रखा जाता है. एक कृषि और दूसरी गैर कृषि.
नॉन एग्रीकल्चर कमोडिटीज कुछ और सब कैटेगरी में विभाजित होती है. जिसमें बुलियन, ऊर्जा और मेटल शामिल हैं. कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग का मूल सूत्र है डिमांड एंड सप्लाई.
कमोडिटी में शामिल चीजों की कीमतें दुनिया और देश के अनुसार बदल भी सकती हैं. उदाहरण के लिए, सूखे या इसी तरह की स्थिति के कारण कृषि उत्पादों की मांग में वृद्धि के कारण कीमतों में वृद्धि होती है. इसी तरह, देशों के बीच उनकी जियोपॉलिटिकल स्थिति, वस्तुओं की आपूर्ति को प्रभावित कर सकती है तो कमोडिटी की कीमतों को भी प्रभावित कर सकती है. कमोडिटी की कीमतों पर करेंसी मूवमेंट, आर्थिक स्थिति जैसे फैक्टर्स भी असर डालते हैं.
भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग के लिए छह बड़े एक्सचेंज हैं. नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज इंडिया (NMCE), नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज(NCDEX), मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ, इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (ICEX), नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और BSE.
कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग की शुरुआत करने के लिए आपको डीमैट अकाउंट, ट्रेडिंग या बैंक अकाउंट की जरूरत होगी. किसी भी कमोडिटी को खरीदने से पहले खरीदार को एक्सचेंज द्वारा तय किया गया मार्जिन अदा करना होता है. उदाहरण के लिए गोल्ड फ्यूचर 50 हजार रुपये पर ट्रेड कर रहा है और उसका मार्जिन 3.5 प्रतिशत तय किया गया है. तो, गोल्ड का मार्केट एक हजार रुपये ऊपर होता है तो ये अमाउंट आपके ट्रेडिंग अमाउंट से लिंक बैंक खाते में ट्रांसफर हो जाएगा. इसी तरह कीमत गिरने पर आपके खाते से रकम कट जाएगी. जिस कमोडिटी में जितना ज्यादा फायदा होगा रिस्क भी उतना ही होगा. जिसके बाद ये सवाल जरूर उठता है कि कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग किसे करना चाहिए.
कमोडिटी मार्केट दूसरे ट्रेडिंग कारोबार के मुकाबले ज्यादा उतार चढ़ाव वाला मार्केट है. ये उनके लिए ज्यादा मुफीद है जो लॉन्ग टाइम इंवेस्टमेंट के साथ ज्यादा रिस्क झेल सकते हों. ट्रेडिंग के काम की तरह इस बाजार में उतरने से पहले भी एक नियम जान लेना जरूरी है. कमोडिटी बाजार पर पूरा रिसर्च, उसके काम करने का तरीका और डायनामिक्स समझने के बाद ही इसमें दांव लगाना चाहिए.