नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोपी व्यक्ति की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है.पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक ने ये आदेश दिया है.
क्या कहा कोर्ट ने
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक ने कहा कि अदालत यह नहीं मानती है कि अभियुक्तों को सटीक आरोपों के आलोक में अग्रिम जमानत मिलनी चाहिए.
क्या है कैस
पत्नी के आरोपों के आधार पर, आईपीसी की धारा 377 (प्रकृति के आदेश के खिलाफ यौन संबंध), 406 (विश्वास का आपराधिक उल्लंघन), और 498 ए (महिलाओं के खिलाफ क्रूरता) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
गर्भपात के लिए भी मजबूर किया
महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि पति और ससुराल वालों ने शादी के बाद उसके साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया, दहेज की मांग की और कन्या होने का पता चलने पर उसे गर्भपात के लिए मजबूर किया. आरोपी व्यक्तियों ने लड़के को अपने पास रख लिया है, और बेटी को उसके पास छोड़ दिया है.
आरोपी के परिवार वालों को मिली जमानत
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की ओर से सास-ससुर के खिलाफ कोई विशेष शिकायत नहीं की गई है और उनकी अधिक उम्र और मामले की खूबियों के कारण, उन्हें इस शर्त पर गिरफ्तारी से अग्रिम जमानत दी जाती है कि वह इस केस की जांच में शामिल होने के लिए 15,000 रुपये का मुचलका भरेंगे. कोर्ट ने छोटे आरोपों के चलते आरोपी के भाई को अग्रिम जमानत दे दी.
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