Gyanwapi Case: कार्बन डेटिंग के अनुरोध वाली याचिका पर क्या बोला इलाहाबाद हाईकोर्ट?

Gyanwapi Case: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को भगवान विश्वेश्वर ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने के अनुरोध वाली पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के लिए 30 नवंबर की तिथि निर्धारित की. वाराणसी के जिला न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर की गई है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 21, 2022, 05:25 PM IST
  • पुनरीक्षण याचिका को लेकर हुई हाईकोर्ट में सुनवाई
  • कार्बन डेटिंग कराने के लिए दाखिल की गई याचिका
Gyanwapi Case: कार्बन डेटिंग के अनुरोध वाली याचिका पर क्या बोला इलाहाबाद हाईकोर्ट?

नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को भगवान विश्वेश्वर ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने के अनुरोध वाली पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के लिए 30 नवंबर की तिथि निर्धारित की. वाराणसी के जिला न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर की गई है. वाराणसी की अदालत ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक ढंग से काल निर्धारण की मांग अस्वीकार कर दी थी. 

पुनरीक्षण याचिका को लेकर हुई हाईकोर्ट में सुनवाई

न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने लक्ष्मी देवी और अन्य द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर यह आदेश पारित किया, क्योंकि सभी पक्ष सोमवार को अदालत में पेश नहीं हुए. सोमवार को जब इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने सर्वेक्षण के लिए समय आगे बढ़ाने का आवेदन दाखिल किया है. हालांकि अदालत ने कहा कि शिवलिंग को कोई क्षति नहीं होनी चाहिए. इस पर अधिवक्ता ने कहा कि काल निर्धारण के कई अन्य तरीके हैं जिनसे कोई क्षति नहीं हो सकती. अंजुमन इंतेजामिया कमेटी की ओर से कहा गया कि इस दौरान, वकालतनामा दाखिल किया जाना है. 

कार्बन डेटिंग कराने के लिए दाखिल की गई याचिका

उल्लेखनीय है कि कार्बन डेटिंग और ग्राउंड पेनिट्रेशन राडार (जीपीआर) सर्वे सहित अन्य वैज्ञानिक तरीके से कथित शिवलिंग का काल निर्धारण करने के लिए आयोग गठित करने का आवेदन दाखिल किया गया था जिसे जिला न्यायाधीश ने 14 अक्टूबर को खारिज कर दिया था. याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान 16 मई, 2022 को प्राप्त कथित शिवलिंग के नीचे निर्माण की प्रकृति का पता लगाने के लिए जीपीआर सर्वे या उत्खनन कराए जाने का अनुरोध किया है.

 साथ ही याचिकाकर्ताओं ने प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के मुताबिक कथित शिवलिंग के काल, प्रकृति और अन्य घटकों का निर्धारण करने के लिए कार्बन डेटिंग या अन्य तरीकों से वैज्ञानिक जांच कराने और तय समयसीमा के भीतर अदालत में रिपोर्ट दाखिल किए जाने की मांग की है.

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