नई दिल्ली: मुंबई की एक विशेष अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में शिवसेना सांसद संजय राउत को जमानत दे दी है. मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने पात्रा चॉल पुर्नविकास परियोजना से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बुधवार के दिन संजय राउत को जमानत दी है.
मुंबई हाई कोर्ट जाएगी ED
मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अदालत से जमानत आदेश को शुक्रवार तक प्रभावी नहीं करने का अनुरोध किया था जिसे अदालत ने खारिज कर दिया. ईडी का कहना है कि वह बॉम्बे उच्च न्यायालय से जमानत आदेश रद्द करने और उस पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश की मांग करेगा.
जुलाई में गिरप्तार हुए थे राउत
बहरहाल, राउत के एक वकील ने कहा कि वह बुधवार शाम तक औपचारिकताओं को पूरा करने की कोशिश करेंगे ताकि जेल से उनकी रिहाई की सुविधा मिल सके. ईडी ने राज्यसभा सदस्य राउत को इस साल जुलाई में उपनगरीय गोरेगांव में पात्रा 'चॉल' के पुनर्विकास में कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन मामले में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया था.
फिलहाल ऑर्थर रोड जेल में बंद हैं राउत
राउत फिलहाल न्यायिक हिरासत में मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद हैं. अदालत ने सांसद के सहयोगी और सह-आरोपी प्रवीण राउत को भी जमानत दे दी. ईडी का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने कहा, "हम जमानत आदेश को रद्द करने के लिए याचिका दायर करने की प्रक्रिया में हैं. हम आज शाम उच्च न्यायालय की एकल पीठ के समक्ष इसका उल्लेख करेंगे और आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की मांग करेंगे."
ED ने अदालत से की थी ये गुजारिश
इससे पहले दिन में, धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए नामित विशेष न्यायाधीश एम.जी. देशपांडे ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद राउत की ज़मानत याचिका को मंजूर कर लिया.
हालांकि, मामले की जांच कर रहे ईडी ने अदालत से जमानत आदेश को शुक्रवार तक प्रभावी नहीं करने का अनुरोध किया था. ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हमें आदेश पढ़ने के लिए समय चाहिए, यह कोई अनुचित अनुरोध नहीं है. यह अदालत का आदेश है और उसके पास इसे बाद की तारीख में लागू करने की शक्ति है. मुझे अदालत द्वारा कुछ मौहलत दी जानी चाहिए. लेकिन अदालत ने ईडी की याचिका खारिज कर दी.
राउत ने किया था ये दावा
राउत ने अपनी जमानत याचिका में दावा किया था कि यह उनके खिलाफ सत्ता के दुरुपयोग और राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है. ईडी ने राउत की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उन्होंने पात्रा चॉल पुनर्विकास से संबंधित धनशोधन मामले में प्रमुख भूमिका निभाई और धन के लेन-देन से बचने के लिए पर्दे के पीछे से काम किया. ईडी की जांच पात्रा चॉल के पुनर्विकास से संबंधित कथित वित्तीय अनियमितताओं और कथित रूप से उनकी पत्नी और सहयोगियों से वित्तीय लेनदेन से संबंधित है.
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