वंदे भारत के 45 नए रेक आईसीएफ में ही बनेंगे

रेल मंत्रालय ने तीन महीने के इंतजार के बाद वंदे भारत को लेकर ये निर्णय लिया है. ऐसा पहली वंदे भारत उत्पादन में भ्रष्टाचार की शिकायतों की विजिलेंस जांच के कारण हुआ जिसमें इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) के तत्कालीन अफसरों पर एक खास फर्म को अनुबंध देने के लिए टेंडर की शतरे को तोड़ने-मरोड़ने और दूसरी कंपनियों की उपेक्षा करने के आरोप लगे थे. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 21, 2019, 04:22 AM IST
वंदे भारत के 45 नए रेक आईसीएफ में ही बनेंगे

नई दिल्लीः पहली वंदे भारत के उपकरणों की खरीद में भ्रष्टाचार के विवाद के बीच आखिरकार सरकार ने चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री को वंदे भारत की 45 नई रेक्सके उत्पादन की अनुमति दे दी है. इसी के साथ अब इन नई ट्रेनों के प्रॉपल्शन सिस्टम खरीदने के लिए अंतरराष्ट्रीय निविदाएं जारी होने का रास्ता साफ हो गया है. उम्मीद है कि अगले महीने तक निविदाएं जारी हो जाएंगी और मार्च तक आइसीएफ में वंदे भारत की नई ट्रेन रेक्स का उत्पादन प्रारंभ हो जाएगा.

आठ अफसरों से जवाब तलब 
रेल मंत्रालय ने तीन महीने के इंतजार के बाद वंदे भारत को लेकर ये निर्णय लिया है. ऐसा पहली वंदे भारत उत्पादन में भ्रष्टाचार की शिकायतों की विजिलेंस जांच के कारण हुआ जिसमें इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) के तत्कालीन अफसरों पर एक खास फर्म को अनुबंध देने के लिए टेंडर की शतरे को तोड़ने-मरोड़ने और दूसरी कंपनियों की उपेक्षा करने के आरोप लगे थे. विजिलेंस जांच के परिणामस्वरूप आइसीएफ के तत्कालीन महाप्रबंधक समेत आठ अफसरों से जवाब तलब किया गया है.

ट्रेन सेट्स के उत्पादन में छह महीने का विलंब
रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार विजिलेंस जांच के कारण वंदे भारत के नए ट्रेन सेट्स के उत्पादन में छह महीने की देरी हो गई है. इसके बावजूद सभी 45 रेक का उत्पादन समय सीमा के भीतर होगा, क्योंकि मंत्रालय ने 2021-22 की डेडलाइन में कोई बदलाव नहीं किया है. इसका मतलब आइसीएफ के मौजूदा प्रबंधन को तेजी से काम करना होगा और टेंडर के साथ ही नए वेंडर या वेंडरों का चयन कर प्रॉपल्शन सिस्टम की समय पर आपूर्ति के साथ ट्रेन सेट्स का निर्माण शिड्यूल के मुताबिक करना होगा.

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वंदे भारत ट्रेन सेट्स का नहीं होगा आयात
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस निर्णय से स्पष्ट हो गया है कि वंदे भारत ट्रेन सेट्स का आयात नहीं होगा. बल्कि ये ट्रेने देश में ही अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनेंगी. पहली वंदे भारत में कई खामियां थीं. सबसे बड़ी खामी इसका अधिक वजन था, जिसके कारण बिजली की खपत ज्यादा थी. इसके अलावा ऑटोमैटिक दरवाजों और ब्रेकिंग सिस्टम में भी दोष थे. ऐसा आरडीएसओ की मंजूरी के बगैर उपकरणों की खरीद के कारण हुआ था. परंतु अब ये खरीद आरडीएसओ द्वारा निर्धारित मानकों पर की जाएगी.

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