नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि राज्यों को चिकित्सा, तकनीक और कानून के क्षेत्र में हिंदी या क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने की पहल करनी चाहिए, ताकि देश गैर-अंग्रेजी भाषी छात्रों की प्रतिभा का इस्तेमाल कर सके.
मातृ भाषा में शिक्षा देने पर दिया जोर
हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा की महत्ता पर जोर देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता शाह ने कहा कि अगर छात्रों को उनकी मातृ भाषा में पढ़ाया जाए तो उनमें आसानी से मौलिक चिंतन की प्रक्रिया विकसित हो सकती है और इससे अनुसंधान तथा नवोन्मेष को बढ़ावा मिलेगा.
अमित शाह ने समाचार एजेंसी के साथ इंटरव्यू में कहा, 'तकनीक, चिकित्सा और कानून-सभी विषयों को हिंदी तथा क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाया जाना चाहिए. सभी राज्य सरकारों को शिक्षा के इन तीन क्षेत्रों के पाठ्यक्रमों का क्षेत्रीय भाषाओं में उचित अनुवाद कराने की पहल करनी चाहिए.'
'उच्च शिक्षा में प्रतिभा को मिलेगा बढ़ावा'
मातृ भाषा में शिक्षा ग्रहण करने की प्रक्रिया को आसान और तेज बताते हुए शाह ने कहा, 'इससे उच्च शिक्षा में देश की प्रतिभा को बढ़ावा मिलेगा. आज हम देश की केवल पांच प्रतिशत प्रतिभा का इस्तेमाल कर पाते हैं, लेकिन इस पहल के साथ हम देश की 100 फीसद प्रतिभा का इस्तेमाल कर पाएंगे.'
भाजपा नेता ने कहा, 'किसी छात्र के 'मौलिक चिंतन' को उसकी मातृ भाषा में आसानी से विकसित किया जा सकता है और मौलिक चिंतन तथा अनुसंधान के बीच मजबूत संबंध है.'
इतिहास की शिक्षा पर शाह ने कहा कि वह छात्रों से '300 जननायकों का अध्ययन करने का अनुरोध करते हैं, जिन्हें इतिहासकारों ने उचित श्रेय नहीं दिया और साथ ही 30 ऐसे साम्राज्यों के बारे में जानने का अनुरोध करते हैं, जिन्होंने भारत पर राज किया और शासन का बहुत अच्छा मॉडल स्थापित किया.' उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि लोग और छात्र देश के 'असली इतिहास' के बारे में जानें.
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