कोटा में भूख से तड़प रहे बिहारी छात्र, नीतीश को जरा भी फिक्र नहीं

राजस्थान के कोटा को इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारियों के लिए सबसे बड़ा स्थान माना जाता है. देश भर के हजारों छात्र वहां अपने सपने साकार करने के लिये पढ़ाई करते हैं. लॉकडाउन की वजह से इनको बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 24, 2020, 12:59 PM IST
    • नीतीश का व्यवहार निराशाजनक
    • कोटा में फंसे कई बिहारी छात्र
कोटा में भूख से तड़प रहे बिहारी छात्र, नीतीश को जरा भी फिक्र नहीं

जयपुर: राजस्थान के कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा के लिए हजारों छात्र कोचिंग करते हैं. कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण इनकी परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गयी हैं. उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की सरकारें अपने छात्रों को सुरक्षित घर भेज रही हैं लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुपचाप बैठे हैं और उन्हें अपने राज्य के बच्चों की बिल्कुल चिंता नहीं है.

बिहार के गरीब छात्रों को भोजन की भी सुविधा नहीं मिल पा रही है. मजबूरी में बिहारी छात्रों ने भूख हड़ताल करने का फैसला किया है. छात्रों की केवल यही मांग है कि उन्हें भी उत्तरप्रदेश के छात्रों की तरह बिहार सरकार घर भेजने की व्यवस्था करे. बिहार के जो गरीब छात्र कोटा में पढ़ते हैं वे भोजन के लिए भी तकलीफ उठा रहे हैं. साथ ही कोटा में कोरोना के मामले बढ़ने से प्रशासन की सख्ती का भी सामना करना पड़ रहा है. 

नीतीश का व्यवहार निराशाजनक

बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार ने बहुत शर्मनाक व्यवहार किया है. उन्होंने अपने बच्चों को घर वापस भेजने के लिए खुद तो कोई प्रबंध नहीं किया लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार जब उत्तरप्रदेश के छात्रों को घर बुला रही थी तो इस निर्णय का नीतीश ने विरोध किया था. इससे बिहार के छात्रों को बहुत निराशा हुई थी. नीतीश कुमार पर लगातार बिहार में विपक्ष आरोप लगा रहा है कि कोरोना से लड़ने के लिए वे केंद्र के सहारे बैठे हैं और खुद कोई भी इंतजाम नहीं कर रहे हैं.

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कोटा में फंसे कई बिहारी छात्र

लॉकडाउन के कारण कोटा में अटके करीब 18,000 कोचिंग छात्र अपने-अपने घर लौट चुके हैं. लॉकडाउन की घोषणा के बाद मेडिकल (नीट) और इंजीनियरिंग प्रवेश (जेईई) परीक्षा की कोचिंग ले रहे करीब 40000 छात्र कोटा में अटक गए थे. अब तक वहां से पांच राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 18 हजार विद्यार्थी अपने-अपने घर जा चुके हैं. छात्रों को उनके घर भेजने की पहल सबसे पहले योगी आदित्यनाथ ने की थी.

इतने छात्र पहुंचे अपने घर

उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के करीब 12 हजार 500, मध्यप्रदेश के 2800, गुजरात के 350 और दादरा-नगर हवेली के 50 बच्चे शामिल हैं. इसी प्रकार कोटा संभाग के दूसरे जिलों के 2200 बच्चों को भी सकुशल उनके घर पहुंचाया गया है. मध्यप्रदेश सरकार भी अपने छात्रों को घर भेजने में जुट गई है. शिवराज सरकार बसों के माध्यम से कई छात्रों को सकुशल उनके घर तक पहुंचा भी चुकी है.

कोटा में पढ़ाई कर रहे बिहार के छात्रों को वापस बुलाने के लिए नीतीश कुमार सरकार की ओर से अभी कोई कदम नहीं उठाया गया. बिहार के मुख्य सचिव दीपक कमार ने सोमवार को ही एक जवाब में बताया था कि कोटा से बच्चों को बिहार वापस लाना फिलहाल संभव नहीं. यही नहीं कोटा से छात्रों के निकाले जाने के फैसले को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नाराजगी जताई थी. अब देखना होगा कि नीतीश कुमार की आंखे बच्चों की भूख हड़ताल के बाद खुलती है या नहीं.

 

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