नई दिल्ली: उत्तर बंगाल के जिलों को मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने की भाजपा के दो सांसदों की मांग पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और कहा कि वह बंगाल के किसी भी हिस्से को अपनी स्वतंत्रता नहीं खोने देंगी एवं उसे नई दिल्ली पर निर्भर नहीं होने देंगी.
भाजपा सांसद जॉन बार्ला ने उठाई मांग
अलीपुरद्वार से भाजपा सांसद जॉन बार्ला के लखीपाड़ा टी गार्डन स्थित आवास पर रविवार को बंद कमरे में हुई एक बैठक में एक पृथक केंद्र शासित प्रदेश की मांग उठी और इस पर चर्चा हुई.
बार्ला ने मंगलवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा से फोन पर कहा, ‘मैंने मांग की. यहां पृथक कामतापुरी, ग्रेटर कूच बिहार और गोरखालैंड की मांग को लेकर आंदोलन हुए हैं. मेरा मानना है कि उत्तर बंगाल को अलग किया जाना चाहिए और इसे एक पृथक केंद्रशासित प्रदेश बनाया जाना चाहिए.’
पूर्व में एक स्वायत्त आदिवासी क्षेत्र के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर चुके नेता ने कहा कि छोटे राज्य बेहतर काम करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘उत्तर बंगाल की अनदेखी की गई है और इसके समक्ष सुरक्षा संबंधी मुद्दे भी हैं. हमारी अर्थव्यवस्था प्रभावित है, चाय बागान बंद हो रहे हैं. हम केंद्रशासित प्रदेश के रूप में बेहतर स्थिति में होंगे.’
संसद में मांग उठाने की बात कही
बार्ला ने कहा कि वह इस मुद्दे पर क्षेत्र के अन्य सांसदों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे तथा मुद्दे को संसद में भी उठाएंगे.
क्षेत्र से भाजपा के चार सांसद हैं और उनमें से कम से कम एक, जलपाईगुड़ी से सांसद जयंत रॉय ने कहा कि यद्यपि बार्ला ने टिप्पणियां निजी हैसियत से कीं, लेकिन वह उनका समर्थन करते हैं.
भाजपा अध्यक्ष ने किया इनकार
उधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि उनकी पार्टी का ऐसा कोई एजेंडा नहीं है और ‘हमारे किसी पदाधिकारी ने ऐसी कोई बात नहीं कही है.’
उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस विभिन्न मुद्दे उठाकर भाजपा को बदनाम करने की कोशिश कर रही है. घोष ने कहा, ‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि बंगाल को विभाजित करने या कोई अलग राज्य बनाने का भाजपा का कोई एजेंडा नहीं है.’
भाजपा पर ममता का तीखा हमला
भाजपा के इनकार के बावजूद तृणमूल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि चुनाव में हार के बाद भाजपा को शर्मिंदा होना चाहिए, लेकिन इसकी जगह वे बंगाल को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं. वे किसके हित में बंगाल को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं?
उन्होंने कहा कि केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने से लोगों के अधिकार छिन जाते हैं क्योंकि इससे उन्हें वे लाभ नहीं मिल पाते, जो राज्य के लोगों को मिलते हैं.
बनर्जी ने कहा, ‘मैं किसी को भी बंगाल का विभाजन नहीं करने दूंगी. केंद्र शासित प्रदेश का मतलब नयी दिल्ली की दया पर निर्भर होना और सभी स्वतंत्रता खोना है. लेकिन मैं उत्तर बंगाल या बंगाल के किसी भी हिस्से को उसकी स्वतंत्रता नहीं खोने दूंगी और उसे नयी दिल्ली पर निर्भर नहीं बनने दूंगी.’
इस बीच, माकपा नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा, ‘1947 के विभाजन के बाद, बंगाल के विभाजन के किसी भी प्रयास के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी और वाम खेमे द्वारा इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा.’
बंगाल विभाजन के विचार के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए चक्रवर्ती ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘तृणमूल कांग्रेस प्रमुख को यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि कामतापुरियों जैसी अलगाववादी ताकतों और गोरखालैंड समर्थक संगठनों के साथ उनकी पार्टी का मेल-मिलाप नहीं चलना चाहिए.’
उल्लेखनीय है कि उत्तर बंगाल में पृथक गोरखालैंड की मांग को लेकर सर्वाधिक लंबा और सर्वाधिक हिंसक आंदोलन हुआ था जिसका समाधान सिलिसलेवार समझौतों से हुआ तथा अंतत: गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन की स्थापना हुई.
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उत्तर बंगाल में पांच जिले-अलीपुरद्वार, कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, दार्जीलिंग और कलिमपोंग आते हैं जहां से भाजपा के 20 विधायक हैं, जबकि तृणमूल कांग्रेस के छह और गोरखा जनमुक्ति मोर्चे का एक विधायक है.
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