MP में कर्नाटक की गलती नहीं दोहराएगी BJP, अमित शाह ने ग्राउंड लीडरशिप पर खत्म किया कन्फ्यूजन

कर्नाटक के नतीजों में ग्राउंड लीडरशिप के बीच मतभेद भी एक वजह रही थी चुनाव में भाजपा के हार की. लिहाजा इस बार शाह कोई रिस्क नहीं लेना चाहते. बंद दरवाजे के पीछे हुई इस बैठक में राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्य के प्रेसीडेंट विष्णु दत्त शर्मा, केंद्रीय रेल मंत्री, सांसद और इलेक्शन कोइंचार्ज अश्विनी वैष्णव और राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा शामिल रहे. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 29, 2023, 03:11 PM IST
  • मध्य प्रदेश में अमित शाह ने पार्टी में बदली हवा.
  • कर्नाटक की हार से सबक ले रही है पार्टी.
MP में कर्नाटक की गलती नहीं दोहराएगी BJP, अमित शाह ने ग्राउंड लीडरशिप पर खत्म किया कन्फ्यूजन

नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में चुनाव की तैयारियों में जान फूंकने के लिए देश के गृह मंत्री अमित शाह ने जुलाई में दो बार राज्य का दौरा किया. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य की लीडरशिप में कोई बदलाव नहीं होगा. लेकिन स्मार्ट स्ट्रैटजी अपनाते हुए नए लीडर्स की एंट्री भी चुनाव प्रबंधन में करा दी. दरअसल हाल ही में कर्नाटक में हुए चुनाव के नतीजों से सबक लेते हुए भाजपा की टॉप लीडरशिप ने यह फैसला लिया है. 

लीडरशिप के बीच मतभेद को लेकर सख्त हुए शाह 
26 जुलाई को अमित शाह ने करीब साढ़े चार घंटे की बैठक ली. इस बैठक में शाह ने साफ शब्दों में कहा कि अगर लीडरशिप के भीतर कोई मतभेद है तो उसे सुलझा लें. पब्लिक के बीच केवल यही संदेश जाना चाहिए कि हम यूनाइटेड हैं. पब्लिक में एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी नहीं होनी चाहिए. दरअसल, पिछले महीने तक मध्यप्रदेश के कई नेताओं के बीच कुछ मतभेद सामने आ रहे थे. 

कर्नाटक के नतीजों में ग्राउंड लीडरशिप के बीच मतभेद भी एक वजह रही थी चुनाव में भाजपा के हार की. लिहाजा इस बार शाह कोई रिस्क नहीं लेना चाहते. बंद दरवाजे के पीछे हुई इस बैठक में राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्य के प्रेसीडेंट विष्णु दत्त शर्मा, केंद्रीय रेल मंत्री, सांसद और इलेक्शन कोइंचार्ज अश्विनी वैष्णव और राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा शामिल रहे. 

नहीं बदलेगी ग्राउंड लीडरशिप, शिवराज ही रहेंगे सीएम पद के उम्मीदवार 
शाह ने बैठक में स्पष्ट कर दिया कि ग्राउंड लीडरशिप में कोई बदलाव नहीं होगा. सीएम शिवराज सिंह चौहान ही पद के दावेदार रहेंगे. विष्णु दत्त शर्मा स्टेट प्रेसीडेंट बने रहेंगे. दरअसल कर्नाटक में चुनाव से पहले भाजपा ने लीडरशिप में बड़े बदलाव किए थे. नतीजतन भाजपा की करारी शिकस्त हुई. इस बार भाजपा की टॉप लीडरशिप फूंक-फूंक कर कदम रखना चाहती है.

चुनाव के लिए बनाई स्मार्ट स्ट्रैटजी 
हालांकि राज्य के नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं के मुताबिक विष्णु दत्त शर्मा पार्टी काडर और नेताओं को बांधकर रखने में असफल साबित हुए. लेकिन शाह ने उन्हें हटाने की जगह एक स्मार्ट स्टैटजी को अपनाया है. उन्होंने शर्मा को बिना हटाए एक नए व्यक्ति की नियुक्ति कर दी है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर राज्य की इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष होंगे. इससे शर्मा का कार्यभार खुद ब खुद कम हो जाएगा, और मुख्य लगाम तोमर के हाथों में आ जाएगी. तोमर की नियुक्ति 15 जुलाई को हुई. इससे पहले 11 जुलाई को शाह ने राज्य का दौरा किया था. 

चुनाव के लिए 15 कमेटियों का ऐलान
शाह ने बैठक में 15 चुनाव कमेटियों का ऐलान किया है. इन कमेटियों में सभी बड़े नेता शामिल रहेंगे. कमेटी टिकट वितरण, जनता से फीडबैक लेने, चुनाव प्रचार, रैली और मीडिया मैनेजमेंट का काम करेंगी. सिविल एविएशन मिनिस्टर ज्योतारादित्य सिंधिया, एनवायरमेंट मिनिस्टर, और राज्य के इलेक्शन कोइंचार्ज भूपेंद्र सिंह यादव, अश्विनी वैष्णव, नरेंद्र सिंह तोमर, शिवराज सिंह चौहान, विष्णु दत्त शर्मा और दूसरे बड़े नेता कमेटी में पदाधिकारी होंगे. 

डबल इंजन की सरकार के फायदे गिनाएं नेता
शाह ने इलेक्शन स्ट्रैटजी पर चर्चा करते हुए कहा कि राज्य के नेताओं और कार्यकर्ताओं को डबल इंजन की सरकार के फायदे और आक्रामक तरह से गिनाने चाहिए. लोगों को यह लगना चाहिए कि अगर केंद्र और राज्य में एक सरकार होगी तो जनता को ज्यादा फायदा होगा.

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