नई दिल्ली: महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार कोरोना के नियंत्रण में बुरी तरह असफल होने के बाद वैक्सीनेशन के मामले में भी ढील-ढपोल करती दिखाई दे रही है. 18 साल के अधिक के उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन किए जाने का तीसरे चरण का अभियान शुरू होने के बाद महाराष्ट्र में वैक्सीनशन कार्यक्रम पटरी से उतर गया है.
वैक्सीन की कमी की वजह से सेंटर बंद पड़े हैं और कई सेंटर्स पर कई किलोमीटर लंबी कतार लगी है.
लोकहित के कार्यों को तिलांजलि दे रही सरकार
महाराष्ट्र सरकार वैक्सीन की कमी का रोना रो रही है. उसके हाथ राज्य में ही कोवैक्सीन के निर्माण करके अपनी जरूरतों को पूरा करने का एक शानदार मौका आया था लेकिन उसे भी नौकरशाही और दलालों की भेंट चढ़ा दिया था. शुक्र है अदालतों का जो कोरोना के दिनों में बेहद सक्रिय तरीके से काम कर रही हैं नहीं तो अपने अहं के आगे ठाकरे सरकार लोक हित के कार्यों की भी तिलांजलि दे रही है.
ठाकरे सरकार ने कंपनी को नहीं दी अनुमति
यह मामला है पुणे में बंद पड़ी एक वैक्सीन का उत्पादन करने वाली कंपनी का. जिसे चालू करने के लिए भारत बायोटेक की सहयोगी कंपनी बायोवेट प्राइवेट लिमिटेड ने महाराष्ट्र सरकार से अनुमति मांगी थी. लेकिन सरकार ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.
ऐसे में कंपनी को हाईकोर्ट के सामने अनुमति हासिल करने के लिए आवेदन करना पड़ा. जिसे जनहित में कोर्ट ने स्वीकार करके सरकार को समयबद्ध तरीके से कोवैक्सीन सहित अन्य जीवन रक्षक वैक्सीन के निर्माण के लिए अनुमति, जरूरी लायसेंस और एनसीओसी दिए जाने का निर्देश दिया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिया आदेश
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को मामले की सुनवाई करने के बाद महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया है कि बंद पड़ी कंपनी को कोवैक्सीन के उत्पादन के लिए भारत बायोटेक की सहयोगी संस्था बायोवेट प्राइवेट लिमिटेड के हाथों में सौंपा जाए और उसे कोवैक्सीन सहित अन्य जीवन रक्षक वैक्सीन के उत्पादन करने के लिए आवश्यक अनुमति और लाइसेंस भी दिया जाए.
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कंपनी वैक्सीन उत्पादन के लिए तैयार
बायोवेट ने जिस प्लांट को चालू करने के लिए आवेदन दिया था वह पुणे के मंजरी खुर्द गांव में 12 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली है. कंपनी उपयोग किए जाने और वैक्सीन के उत्पादन के लिए पूरी तरह तैयार है. इस कंपनी को कोवैक्सीन के निर्माण के लिए वाले किए जाने का आदेश महाराष्ट्र सरकार को देने का अनुरोध किया था.
इंटरवेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड करती है उपयोग
वैक्सीन उत्पादन यूनिट का उपयोग जानी मानी बहुदेशीय कंपनी मार्क एंड कॉर्पोरेशन की सब्सिडरी इंटरवेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड करती थी. उसे ये जमीन साल 1973 में जानवरों में होने वाली फुट एंड माउथ डिजीज की वैक्सीन के उत्पादन के लिए आवंटित की गई थी. इन दिनों इंटरवेट भारत में वैक्सीन उत्पादन का अपना काम समेट रही है. ऐसे में उसने बायोवेट के साथ जमीन और उत्पादन संयंत्र को ट्रांसफर के लिए एक समझौता किया.
बायोवेट के साथ किया समझौता
समझौता होने के बाद बायोवेट ने जब सरकार से आधिकारिक तौर पर उनके नाम ट्रांसफर किए जाने की अनुमति मांगी तो पुणे डिवीजन के वन विभाग के डिप्टी कंजरवेटर ने बताया कि यह जगह संरक्षित वन क्षेत्र के अंतर्गत आती है. साल 1973 में जो अनुमति दी गई थी वो गलत थी.
सरकारी महकमे का ये जवाब सुनने के बाद बायोवेट ने इस काम के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अपनी याचिका में महाराष्ट्र सरकार को प्लांट में माउथ एंड फुट डिजीज की वैक्सीन के अलावा कोवैक्सीन के उत्पादन के लिए जरूरी लायसेंस और अनुमित प्रदान किए जाने का निर्देश देने का अनुरोध किया.
कंपनी ने कही थी कोवैक्सीन उत्पादन की बात
बायोवेट की ओर से दलील पेश कर रहे वकील आरडी सोनी ने कहा, जमीन के हस्तानांतरण की प्रक्रिया में हो रही देरी की कारण प्लांट बंद पड़ा है. उन्होंने कंपनी की ओर से यह भी कहा कि जमीन का जो हिस्सा विवादित होगा उसपर कंपनी दावा नहीं करेगी. इसके साथ साथ कंपनी ने हलफनामा दिया कि वो इस यूनिट का उपयोग कोवैक्सीन का उत्पादन में भी करेगी.
अनुमति के लिए यह रखी शर्त
वहीं राज्य के एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोनी ने अदालत को बताया कि यदि कंपनी इस यूनिट का उपयोग कोवैक्सीन सहित अन्य जीवनरक्षक दवाओं के निर्माण में करेगी तो महाराष्ट्र सरकार को इसके हस्तानांतरण में कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन बशर्ते कंपनी भविष्य में सरकार के सामने इससे संबंधित कोई अधिकार या दावा पेश ना करे. एडवोकेट जनरल ने आगे कहा, यदि कंपनी ने अनुमति के लिए आवेदन करेगी तो राज्य सरकार अविलंब उन्हें अनुमति प्रदान करेगी.
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कोर्ट ने यह दिया था निर्देश
कोर्ट ने आगे कहा, कोरोना की स्थिति को देखते हुए संबंधित विभाग को शातिपूर्ण तरीके से रेडी टू यूज वैक्सीन उत्पादन करने वाली यूनिट का कब्जा सौंपने का निर्देश देती है. सरकार को आवेदक( बायोवेट) को समयबद्ध तरीके से जरूरी लायसेंस, अनुमति एवं एनओसी दिए जाने का निर्देश देती है. जिससे के फुट एवं माउथ डिजीज, कोवैक्सीन और अन्य जीवन रक्षक वैक्सीन का जल्द से जल्द निर्माण शुरू हो सके.
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