नई दिल्लीः प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण (CJI NV Ramana) ने कानूनी क्षेत्र के सभी स्तरों पर महिलाओं के 'बेहद कम' प्रतिनिधित्व पर मंगलवार को अफसोस जताया और वादा किया कि वह अपने कॉलेजियम सहयोगियों के साथ पीठ में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाओं के प्रतिनिधित्व की मांग को उठाएंगे.
'प्रधान न्यायाधीश बनना तनावपूर्ण'
न्यायमूर्ति रमण ने सीजेआई होने के दबाव का जिक्र करते हुए कहा, 'बहन हिमा कोहली ने चिंता के साथ मुझसे पूछा कि क्या मैं तनाव में हूं. हां, मैं तनाव में हूं. प्रधान न्यायाधीश बनना तनावपूर्ण है. मैं इससे बच नहीं सकता. मुझे इससे निपटना होगा.'
सीजेआई ने न्यायमूर्ति हिमा कोहली के पदोन्नत होकर उच्चतम न्यायालय में पहुंचने पर उनके सम्मान में आयोजित समारोह में कहा कि जब उन्होंने कार्ल मार्क्स के संशोधित उद्धरण का उपयोग करके महिलाओं को अपने लिए अधिक प्रतिनिधित्व की मांग करने के लिए कहा था, तब उन पर ‘क्रांति भड़काने’ का आरोप लगाया गया था.
महिलाओं के प्रतिनिधित्व की मांग पर दिया जाएगा ध्यान
उन्होंने यहां महिला वकीलों की सभा को आश्वासन दिया कि पीठ में महिलाओं के 50 प्रतिशत से अधिक प्रतिनिधित्व की मांग पर ध्यान दिया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘मैं कॉलेजियम में अपने भाइयों के समक्ष आपकी मांग को उठाने का वादा करता हूं.’
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने कहा कि निचली अदालतों में केवल 30 प्रतिशत महिलाएं न्यायाधीश हैं. कुछ प्रदेशों में महिला जजों की संख्या अच्छी है, लेकिन अन्य में उनका प्रतिनिधित्व कम है.
खबरों की मानें तो न्यायाधीश ने कहा कि हाई कोर्ट में महिला जजों का प्रतिशत महज 11.5 फीसदी है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में 33 में से सिर्फ चार महिलाएं जज हैं.
प्रधान न्यायाधीश ने महिला वकीलों की संख्या पर भी ध्यान खींचा. उन्होंने बताया कि देश में महिला वकीलों की संख्या भी बेहतर स्थिति में नहीं है. कुल 17 लाख पंजीकृत वकील हैं. इनमें महज 15 प्रतिशत महिलाएं हैं.
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