लद्दाख सीमा विवाद: 6 जून को भारत- चीन के बीच होगी कमांडर स्तर की वार्ता

भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख की सीमा पर तनाव बरकरार है. चीन के उद्दंड स्वभाव का भारतीय सैनिक करारा प्रतिकार कर रहे हैं.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 3, 2020, 02:20 PM IST
    • लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने
    • भारत अपने रुख पर कायम
    • चीन को छोड़ना होगा अड़ियल रवैया
लद्दाख सीमा विवाद: 6 जून को भारत- चीन के बीच होगी कमांडर स्तर की वार्ता

नई दिल्ली: लद्दाख की सीमा पर चीन के सैनिक बेवजह का विवाद उत्पन्न कर रहे हैं. भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों की करतूत का करारा जवाब दिया है. इस वजह से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. खबर है कि इस तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर की बातचीत होगी. भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की चर्चा होगी. लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर बराबर स्तर के चीनी अधिकारी से चर्चा करेंगे.

लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने

आपको बता दें कि लद्दाख में पेंगांग झील के किनारे और गलवान वैली में पिछले एक महीने से दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं. डोकलाम में 2017 में दोनों देशों के बीच 73 दिनों तक चले तनाव के बाद पहली बार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी (LAC) पर इतने लंबे समय तक सैनिक गतिरोध हुआ है.

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भारत अपने रुख पर कायम

भारत का रुख दो बातों पर बिल्कुल साफ है और उससे किसी भी तरह समझौता नहीं हो सकता. पहली- एलएसी पर इंफ्रास्ट्रक्चर का काम न रुकेगा न धीमा किया जाएगा और दूसरी बात कि चीन को अब किसी भी कीमत पर आगे नहीं बढ़ने दिया जाएगा. गलवान वैली पूर्वी लद्दाख के अक्साई चिन के बाहरी हिस्से से लगी हुई है.

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गौरतलब है कि गलवान नदी काराकोरम के पूर्वी हिस्से से निकलकर अक्साई चिन के मैदानों में बहती है और फिर श्योक से मिलती है. भारत ने लद्दाख के सबसे दूर स्थित दौलत बेग ओल्डी इलाके तक पहुंचने वाली दुरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी या डीएस-डीबीओ रोड पिछले साल खोल दी है. इससे दौलत बेग ओल्डी तक सैनिक और साजोसामान भेजना बहुत आसान हो गया है.

चीन को छोड़ना होगा अड़ियल रवैया

भारत का साफतौर पर कहना है कि चीन को परस्पर संबंधों को सुधारने के लिए और सकारात्मक बातचीत के लिए अपनी विस्तारवादी नीति और अड़ियल रवैया छोड़ना पड़ेगा. भारत ने ये भी साफ किया है कि वो चीन के साथ सीमा-विवाद बातचीत के जरिये सुलझाने का इच्छुक है. भारत सरकार मानती है कि अब ये भारत 1962 वाला नहीं है. आज चीन को कड़ा सबक सिखाने में भारत सक्षम है.

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