Corona की तीसरी लहर: बच्चों के लिए अस्पतालों में क्या है तैयारी?

कोरोना वायरस की तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चों के संक्रमित होने की आशंका जताई जा रही है, लिहाजा इसे लेकर अस्पतालों में क्या कुछ तैयारियां हैं आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं.

Written by - Harsha Chandwani | Last Updated : May 22, 2021, 10:58 AM IST
  • बच्चों के लिए अस्पतालों में बन रहे अलग वार्ड
  • कोरोना की तीसरी लहर कितनी खतरनाक?
Corona की तीसरी लहर: बच्चों के लिए अस्पतालों में क्या है तैयारी?

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Corona Virus) की तीसरी लहर बच्चों के लिए बेहद खतरनाक बताई जा रही है. बच्चों के संक्रमित होने की आशंका सबसे अधिक है. ऐसे में गौतमबुद्ध नगर के कई अस्पतलों में बच्चों के लिए अलग से वार्ड बन रहे हैं.

GIMS में बन रहा 100 बेड का वार्ड

जिम्स (GIMS) के पीडीऐट्रिक वार्ड जो की बच्चों का वार्ड होता है, फिलहाल उसमें बच्चों के 5 बेड हैं. लेकिन अब यहां पर बच्चों के लिए 100 बेड का वार्ड बनाया जा रहा है. जिसमे से 50 आईसीयू और 50 ऑक्सीजन बेड होंगे.

इसके लिए तीन अलग अलग कमरों में 10 बेड का कन्स्ट्रक्शन चल रहा है. ऑक्सीजन सिस्टम लगा दिया गया है और बेड और बाकी मॉनिटर आना बाकी हैं. 1-2 हफ्ते में ये 100 बेड के वार्ड बनकर तैयार हो जाएंगे.

कम हो रहा है कोरोना का प्रकोप

कोरोना वायरस की मौजूदा लहर की रफ्तार धीमी पड़ने के बाद अब यहां के अस्पतालों में बिस्तरों और ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ गई है. कई अस्पतालों में आईसीयू तथा वेंटीलेटर बेड अब खाली हैं.

ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (GIMS) के निदेशक ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) डॉक्टर राकेश गुप्ता ने बताया कि वायरस की तीसरी लहर आने की आशंका के मद्देनजर जिम्स में 100 बेड तैयार किए जा रहे हैं, यह सुविधा जल्द शुरू हो जाएगी. इसमें आईसीयू, एचडीयू व नॉर्मल बेड शामिल होंगे.

तीसरी लहर में बच्चों को कैसे बचाएं?

जीआईएमएस अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सुजया ने बताया कि बच्चों के लिए दवाइयां भी अलग हैं. उन्हें IVIg (intra venus immuno globulin medicin for kids) दवाई दी जाएगी. ये अभी दूसरी वेव में नहीं दी जा रही हैं, ये तीसरी वेव में संक्रमित बच्चों को दी जाएगी.

ये भी जानकारी सामने आई है कि बच्चों में इस्तेमाल होने वाले सिस्टम HHHFNC (heated humidified high flow nazal canula) इसकी डिमांड भी बहुत ज्यादा हैं.

बच्चों में ब्लैक फंगस पर डॉक्टर की सलाह

बच्चों में काले फंगस पर जीआईएमएस के निदेशक डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कि 'बच्चों में ब्लैक फंगस की सम्भावनाएं अभी कम हैं, ये अडल्ट्स में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. अभी बच्चों में ब्लैक फंगस नहीं देखने को मिला है. क्योंकि ये अधिकतर उन लोगों में हो रहा हैं जिनका शुगर कंट्रोल नहीं हैं और जिनकी कोविड के बाद इम्यूनिटी बहुत कम है. बच्चों में आगे होगा कि नहीं ब्लैक फंगस ये फिलहाल कहना मुश्किल है. क्योंकि दूसरी लहर में भी बच्चे बहुत ज्यादा संक्रमित नहीं थे उनमें संक्रमण कम था. हालांकि बच्चों के लिए अलग से आईसोलेशन वार्ड बनाया हैं.'

संकट से निपटने के लिए पहली ही तैयारी

पहले से तैयारियां न होने के कारण मौजूदा लहर में ऑक्सीजन और दवाइयों को लेकर भारी संकट देखने को मिला. अस्पतालों में बिस्तर न मिल पाने की वजह से गंभीर रूप से बीमार कई मरीजों की जान चली गई. इन्हीं सब मुश्किलों से सबक लेते हुए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने आशंकित तीसरी लहर में बच्चों के अधिक प्रभावित होने के मद्देनजर मेडिकल कॉलेज और राजकीय चिकित्सालय को 100-100 बेड की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है.

चाइल्ड पीजीआई नोएडा के एमएस आकाश राजन ने बताया कि संस्थान में अभी 10 पीडियाट्रिक आईसीयू की सुविधा है. इसे बढ़ाकर 100 बेड किया जा रहा है. नॉलेज पार्क के शारदा अस्पताल में भी बच्चों के लिहाज से 160 बेड की व्यवस्था की गई है.

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अस्पताल के जनसंपर्क निदेशक अजीत कुमार ने बताया कि 20 नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू), 20 बाल चिकित्सा गहन देखभाल इकाई, 20 बेड की सुविधा हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) में होगी. वहीं कोविड-19 से उबरने के बाद की समस्याओं का सामना करने वाले मरीजों के लिए 10 बेड का वार्ड तैयार किया गया है और इसकी क्षमता बढ़ाकर 30 करने के भी प्रयास जारी हैं.

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