'देश की स्थिरता' के लिए फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने उठाया बड़ा कदम, नतीजों के बाद हिंसा के मद्देनजर एक्शन

फ्रांस के PM गैब्रियल अटल ने कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो वह पद पर बने रहेंगे लेकिन सोमवार सुबह उन्होंने अपने इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन मैक्रों ने तुरंत उनसे देश की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए पद पर बने रहने के लिए कहा. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 8, 2024, 09:03 PM IST
  • मैंक्रों ने पीएम से पद पर बने रहने को कहा.
  • देश में स्थिरता के लिए उठाया है ये कदम.
'देश की स्थिरता' के लिए फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने उठाया बड़ा कदम, नतीजों के बाद हिंसा के मद्देनजर एक्शन

पेरिस. फ्रांस में चुनाव परिणाम के बाद भड़की हिंसा के मद्देनजर राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने  प्रधानमंत्री गैब्रियल अटल के इस्तीफे से इनकार कर दिया. मैंक्रों ने गैब्रियल को अस्थायी रूप से सरकार के प्रमुख के रूप में बने रहने के लिए कहा. चुनाव परिणाम के बाद सरकार का भविष्य अधर में है. दरअसल चुनावी नतीजों में देश की कोई भी पार्टी सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत के नजदीक भी नहीं पहुंच पाई है.

समय पूर्व चुनाव कराने का दांव उल्टा पड़ा
नतीजों से यूरोपीय संघ की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के ठप होने का खतरा बढ़ गया है. राष्ट्रपति ने दांव खेला कि समय पूर्व चुनाव कराने के उनके फैसले से फ्रांस को एक स्पष्ट दिशा मिलेगी, लेकिन परिणाम बिल्कुल विपरीत आया. पेरिस ओलंपिक के शुरू होने में तीन हफ्ते से कम समय बचा है जब पूरा देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहेगा.

प्रधानमंत्री ने इस्तीफे की पेशकश की लेकिन...
प्रधानमंत्री गैब्रियल अटल ने कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो वह पद पर बने रहेंगे लेकिन सोमवार सुबह उन्होंने अपने इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन मैक्रों ने तुरंत उनसे देश की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए पद पर बने रहने के लिए कहा. फ्रांस में राजनीतिक गतिरोध का यूक्रेन में युद्ध, वैश्विक कूटनीति और यूरोप की आर्थिक स्थिरता पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है.

परिणाम के अनुसार, फ्रांस की दो सदन वाली विधायिका में से सर्वाधिक शक्तिशाली 577 सदस्यीय ‘नेशनल असेंबली’ में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है। तीनों ही गठबंधन बहुमत के लिए जरूरी 289 सीट के आंकड़े से बहुत दूर हैं. वामपंथी गठबंधन ‘न्यू पॉपुलर फ्रंट’ को 180 से कुछ अधिक सीट मिली हैं, जबकि मैक्रों के मध्यमार्गी गठबंधन को 160 से अधिक सीट प्राप्त हुई हैं. मरीन ले पेन की धुर दक्षिणपंथी ‘नेशनल रैली’ और उसके सहयोगी तीसरे स्थान पर रहे. उन्हें 140 से अधिक सीट पर विजय मिली.

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