जिन किसानों ने रद्द करवाए कृषि कानून, सालभर बाद घर जाते हुए वे क्या बोले?

सफल आंदोलन के बाद पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में किसानों के अपने घरों के लिए रवाना होने के साथ ही भावनाएं उत्साह बनकर उमड़ने लगीं. रंग-बिरंगी रोशनी से सजे ट्रैक्टर जीत के गीत गाते हुए विरोध स्थलों से निकलने लगे.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 11, 2021, 10:45 AM IST
  • आज अपने घरों को लौट रहे हैं किसान
  • नवंबर 2021 से चल रहा था आंदोलन
जिन किसानों ने रद्द करवाए कृषि कानून, सालभर बाद घर जाते हुए वे क्या बोले?

नई दिल्लीः ट्रैक्टरों के बड़े-बड़े काफिलों के साथ पिछले साल नवंबर में दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे आंदोलनरत किसानों ने शनिवार की सुबह अपने-अपने गृह राज्यों की तरफ लौटना शुरू कर दिया. सालभर से ज्यादा वक्त तक अपने घरों से दूर डेरा डाले हुए ये किसान अपने साथ जीत की खुशी और सफल प्रदर्शन की यादें लेकर लौट रहे हैं.

ये आम किसान ही हैं, जिनके संघर्ष की बदौलत तीनों कृषि कानून वापस हुए. इन्हीं में से एक पंजाब के मोगा निवासी किसान कुलजीत सिंह ओलाख ने घर लौटने से पहले कहा, “सिंघु बॉर्डर पिछले एक साल से हमारा घर बन गया था. इस आंदोलन ने हमें (किसानों को) एकजुट किया, क्योंकि हमने विभिन्न जातियों, पंथों और धर्मों के बावजूद काले कृषि कानूनों के खिलाफ एक साथ लड़ाई लड़ी. यह एक ऐतिहासिक क्षण है और आंदोलन का विजयी परिणाम और भी बड़ा है.” 

गाजीपुर सीमा पर एक किसान जीतेंद्र चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने घर लौटने के लिए अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉली तैयार करने में व्यस्त थे. उन्होंने कहा कि वह सैकड़ों अच्छी यादों के साथ और ‘काले’ कृषि कानूनों के खिलाफ मिली जीत के साथ घर जा रहे हैं. 

किसानों ने निकाला विजय मार्च
किसानों ने सिंघु, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं पर राजमार्गों पर नाकेबंदी हटा दी और तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी के लिए एक समिति गठित करने सहित उनकी अन्य मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र के लिखित आश्वासन का जश्न मनाने के लिए एक 'विजय मार्च' निकाला. 

नाचते-गाते नजर आए किसान
सफल आंदोलन के बाद पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में किसानों के अपने घरों के लिए रवाना होने के साथ ही भावनाएं उत्साह बनकर उमड़ने लगीं. रंग-बिरंगी रोशनी से सजे ट्रैक्टर जीत के गीत गाते हुए विरोध स्थलों से निकलने लगे और रंगीन पगड़ियां बांधे बुजुर्ग युवाओं के साथ नृत्य करते नजर आए. 

विजय दिवस मना रहे किसान
किसान 11 दिसंबर को ‘विजय दिवस’ के रूप में मना रहे हैं. तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर हजारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इन कानूनों को निरस्त करने के लिए 29 नवंबर को संसद में एक विधेयक पारित किया गया था. 

हालांकि, किसानों ने अपना विरोध समाप्त करने से इनकार कर दिया और कहा कि सरकार उनकी अन्य मांगों को पूरा करे, जिसमें एमएसपी पर कानूनी गारंटी और उनके खिलाफ पुलिस में दर्ज मामले वापस लेना शामिल है. 

जैसे ही केंद्र ने लंबित मांगों को स्वीकार किया, आंदोलन की अगुवाई कर रही, 40 किसान यूनियनों की छत्र संस्था, संयुक्त किसान मोर्चा ने बृहस्पतिवार को किसान आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया.

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