नई दिल्ली: देश में पहली बार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा हो गई है. राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) के अनुसार, देश में 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हो गई हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को NFHS-5 के आंकड़े जारी किए.
गांवों का लिंगानुपात शहरों से बेहतर
इससे पहले साल 2015-16 के NFHS-4 के आंकड़ों के मुताबिक, 1000 पुरुषों पर 991 महिलाएं थीं. जन्म के समय लिंगानुपात भी सुधरा है. ताजा सर्वे में 1000 बच्चों पर 929 बच्चियां हैं, जबकि 2015-16 में 1000 बच्चों पर 919 बच्चियां थीं. शहरों में 1000 पुरुषों पर 985 महिलाएं हैं, जबकि गांवों में 1000 पुरुषों पर 1037 महिलाए हैं. गांवों का लिंगानुपात शहरों से बेहतर है.
96.8 फीसदी घरों तक बिजली की पहुंच
देशभर में 78.6 फीसदी महिलाएं अपना बैंक खाता ऑपरेट करती हैं. 43.3 प्रतिशत के नाम पर कोई न कोई प्रॉपर्टी है. माहवारी के दौरान 77.3 प्रतिशत महिलाएं सैनिटेशन उपाय अपनाती हैं. वहीं, देश में 70.2 फीसदी आबादी के पास अपना शौचालय है. 2015-16 में 48.5 फीसदी आबादी के पास ही खुद का आधुनिक शौचालय था. इसी तरह 96.8 प्रतिशत घरों तक बिजली की उपलब्धता है.
वहीं, भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) 2.2 से घटकर 2 हो गई है. नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य), डॉ. विनोद कुमार पॉल और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव राजेश भूषण ने भारत और 14 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जनसंख्या, प्रजनन और बाल स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण और अन्य पर प्रमुख संकेतकों की फैक्टशीट जारी की.
सर्वेक्षण में पाया गया है कि लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गर्भ निरोधकों के आधुनिक तरीकों का उपयोग भी बढ़ा है.
सर्वेक्षण को रेखांकित करते हुए 12-23 महीने की आयु के बच्चों के बीच विभिन्न रोगों से बचाव के लिए पूर्ण टीकाकरण अभियान में अखिल भारतीय स्तर पर 62 प्रतिशत से 76 प्रतिशत तक पर्याप्त सुधार दर्ज किया गया है. 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 11 में 12 से 23 महीने की उम्र के तीन-चौथाई से अधिक बच्चों का पूरी तरह से टीकाकरण हुआ है और यह ओडिशा के लिए उच्चतम 90 प्रतिशत है.
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