ज्ञानवापी विवाद पर कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी

काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद केस में वाराणसी जिला अदालत के फैसले पर विवाद शुरू हो गया है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है तो ओवैसी ने ऐतराज जताते हुए कहा कि  हिंदुत्व के मुद्दे पर ASI झूठ बोलती है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 9, 2021, 04:26 PM IST
  • ज्ञानवापी विवाद पर कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
  • जिलानी ने फैसले को 1991 के प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ बताया
ज्ञानवापी विवाद पर कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी

नई दिल्ली: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी ने ज्ञानवापी मस्जिद के इस फैसले को साल 1991 के प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ बताया और कहा कि हम इस फैसले को चुनौती देंगे.

कोर्ट के फैसले पर जताई असंतुष्टि

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ज्ञानवापी विवाद पर कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है. जफरयाब जिलानी ने ये जानकारी दी है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में फैसले के खिलाफ जल्द याचिका दायर होगी. ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्षकारों चाहें तो AIMPLB मदद करेगा.

जिलानी ने कहा कि वहां 15 अगस्त 1947 को मस्जिद थी, यह अदालत मान चुकी है और आज नहीं, पहले ही मान चुकी है. जिलानी ने कहा है कि पक्षकार आज या कल में इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील से मिलेंगे और याचिका दायर जल्द करेंगे. इसके साथ ही जिलानी ने कहा कि जो पक्षकार वाली कमिटी है उसकी मदद कमिटी चाहेगी तो आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड करेगा. इसके साथ ही बाबरी एक्शन कमिटी की तरह कोई अलग से कमिटी का गठन नही किया जाएगा.

परिसर के सर्वे पर राजनीति की शुरुआत

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत ने पुरातात्विक सर्वे कराए जाने को लेकर फैसले के बाद इस मामले पर राजनीति शुरू हो चुकी है.

AIMIM के अध्यक्ष  असदुद्दीन ओवैसी ने एक के बाद एक कई ट्वीट करके इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. ओवैसी ने एक के बाद एक कई ट्वीट करके इस फैसले पर सवाल उठाए. उन्होंने लिखा कि 'AIMPLB और मस्जिद कमेटी को इस आदेश पर तुरंत अपील करके इसपर सुधार करवाना चाहिए. ASI से केवल धोखाधड़ी की संभावना है और इतिहास दोहराया जाएगा जैसा कि बाबरी के मामले में किया गया था. किसी भी व्यक्ति को मस्जिद की प्रकृति बदलने का कोई अधिकार नहीं है.'

वहीं अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास जी महाराज ने इस फैसले पर खुशी जाहिर की है. बाबरी मस्जिद मामले में पक्षकार रहे मोहम्मद इकबाल अंसारी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे सच्चाई सामने आ जाएगी.

बाबरी मस्जिद मामले में पूर्व पक्षकार मोहम्मद इकबाल अंसारी ने कहा है कि 'यह मुकदमा बहुत दिनों से रहा हम चाहते हैं कि कोर्ट ने जो भी नियम कानून है वह हमारे हिंदुस्तान का बेहतर है हम यह चाहते हैं कि यह मसला तय हो जाए. हिन्दू और मुसलमानों का सौहार्द बना रहे. सरकार से उम्मीद है वारणसी के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने जो आदेश दिए है, 5 लोग की टीम बनेगी जो पैनल बनाये जाएंगे. वह बेहतर तरीके से अपना काम करें जो सच्चाई है वह सामने लाएं.'

फास्ट ट्रैक कोर्ट के आदेश के बाद कम से कम दशकों से जारी इस विवाद में समाधान के रास्ते तो निकलते दिख ही रहे हैं. आपको बता दें, वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी विवाद पर फैसला सुनाया. कोर्ट ने ज्ञानवापी विवादित परिसर की खुदाई के आदेश दिए. एएसआई को ​परिसर में धार्मिक अतिक्रमण का पता लगाना है. कोर्ट ने कहा है कि पता लगाए क्या विवादित परिसर के नीचे कोई मंदिर है? 

इसे भी पढ़ें- ज्ञानवापी मस्जिद केस में कोर्ट का फैसला, परिसर का होगा पुरातात्विक सर्वेक्षण

इस विवाद पर हिंदू पक्ष का कहना है कि मंदिर तोड़कर ज्ञानवापी ढांचा खड़ा किया गया. तो वहीं मुस्लिम पक्ष का ये कहना है कि ज्ञानवापी में शुरू से ही मस्जिद थी.

इसे भी पढ़ें- Gold Price: सोने के दाम में आई भारी गिरावट, रिकॉर्ड स्तर से 10 हजार रुपये सस्ता हुआ सोना

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप

ट्रेंडिंग न्यूज़