नई दिल्ली. सिखों के सबसे पवित्र तीर्थ हेमकुंड साहिब के कपाट 20 मई को खुलेंगे. इस साल हेमकुंड की यात्रा कराने वाले प्रशासन ने फैसला किया है कि बच्चे और बुजुर्ग इस यात्रा में नहीं जाएंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रशासन ने इस बार यात्रियों की संख्या भी सीमित करने का नोटिस जारी किया है.
आखिर क्यों बच्चे और बुजुर्गों पर लगा बैन
हेमकुंड 4,632 मीटर की ऊंचाई पर एक बर्फीली झील के किनारे सात पहाड़ों के बीच में बसा है. इस बार यहां पिछले सालों के मुकाबले बहुत भारी बर्फबारी हुई है. ऐसे में जिला प्रशासन ने निर्णय लिया है कि बच्चों और बुजुर्गों के साथ ही बीमार लोगों को इस यात्रा से दूर रखा जाएगा.
प्रशासन ने कहा-यात्रा के सारे इंतजाम हो चुके
जिला प्रशासन ने बताया कि यात्रा के लिए बुनियादी सुविधाएं और ढांचा तैयार है. बिजली, साफ पानी, शौचालय, कचरा प्रबंधन को लेकर प्रशासन बेहद सजग हैॉ. तीर्थ यात्रियों के लिए हेल्थ कैंप भी जगह-जगह तैयार किए गए हैं. सड़कों, सड़कों के किनारे सेल्टर बनकर तैयार हैं.
सिखों के लिए क्यों खास है हेमकुंड साहिब
हेमकुंड साहिब चमोली जिले में स्थित है. सिखों में मान्यता है कि हेमकुंड साहिब में गुरु गोविंद सिंह ने कई साल ध्यान में बिताए थे. इस जगह के बारे में गुरू गोविंद साहिब के दसवें ग्रंथ में मिलता है. हेमकुंड संस्कृत नाम है जो हेम यानी बर्फ और कुंड कटोरा से मिलकर बना है. यह बेहद दुर्गम तीर्थ है. यहां पर ऋषिकेश-बद्रीनाथ पर पड़ते गोविंदघाट से केवल पैदल चढ़ाई कर ही पहुंचा जा सकता है.
कब से लेकर कब तक चलती है यात्रा
मई से लेकर अक्टूबर तक हेमकुंड की यात्रा चलती है. यह बेहद कठिन रास्ते से होकर जाने के बाद मिलता है. काफी ऊंचाई पर पड़ने की वजह से ट्रैकिंग करने की जरूरत पड़ती है. तीर्थ यात्रियों को हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा पहुंचने के लिए 13 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है.
आज होगा पहला जत्था रवाना
हेमकुंड साहिब की यात्रा के लिए पहला जत्था 17 फरवरी यानी आज ऋषिकेश से रवाना होगा. इस बार वहां जमकर बर्फबारी हो रही है. इसलिए प्रशासन ने यात्रा के लिए चाकचौबंद प्रबंध किए हैं.
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