नई दिल्ली. भगवान शिव पर आपत्तिजनकर पोस्ट डालने के मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक डॉक्टर को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है. जस्टिस वीरेंदर सिंह की बेंच ने कहा कि आरोपी डॉक्टर एक पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं जिन्हें इस पोस्ट के परिणामों के बारे में अंदाजा था. जस्टिस ने कहा-एक समाज में रहने के दौरान यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह दूसरे व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करे. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर लक्ष्मण रेखा नहीं पार की जानी चाहिए.
अकाउंट हैक होने के तर्क कोर्ट ने नहीं माना
कोर्ट ने आरोपी की इस बात को मानने से इंकार कर दिया कि उसका फेसबुक अकाउंट हैक हो गया था. आरोपी का कहना था कि उसका अकाउंट हैक हो गया था और यह पोस्ट हैकर ने डाली है. हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी डॉक्टर ने फेसबुक अकाउंट हैक होने के संबंध में पुलिस के पास कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई थी.
कोर्ट ने कहा- बेहतर सामाजिक स्टेटस तो जिम्मेदारियां भी ज्यादा
कोर्ट ने कहा-याचिकाकर्ता का बेहतर सामाजिक स्टेट है, इसलिए उस पर जिम्मेदारियां और भी ज्यादा हैं. उन्हें फेसबुक पर कमेंट या पोस्ट डालते हुए और भी ज्यादा ध्यान रखना चाहिए था.
3 जून को दर्ज किया गया था केस
बता दें कि आरोपी डॉक्टर के खिलाफ 3 जून 2023 को भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 295 ए के तहत मामला दर्ज किया गया था. आरोपी ने इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था. डॉक्टर के खिलाफ पुलिस में की गई शिकायत में यह भी कहा गया था कि डॉक्टर इस तरह की पोस्ट अक्सर डालता रहता है. डॉक्टर की ऐसी हरकतों की वजह से इलाके में लोगों की धार्मिक भावनाओं पर असर होता है.
डॉक्टर के खिलाफ रैली
पुलिस ने कोर्ट को जानकारी दी कि मामले में 5 जून को मेहतपुर बाजार इलाके में लोगों ने डॉक्टर के खिलाफ रैली भी निकाली थी और उसका पुतला जलाया था. कोर्ट ने इस आधार पर अग्रिम जमानत खारिज की कि ऐसे मामलों में बेल देने पर बड़े स्तर पर लोगों में गलत संदेश जाएगा. साथ ही लोग इस तरह की पोस्ट डालने के लिए प्रोत्साहित होंगे.
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