नई दिल्ली: किसानों का आंदोलन दिन पर दिन तेजी पकड़ रहा है. एक बार फिर किसान नेताओं और सरकार के बीच बुधवार को बैठक होने वाली है. लेकिन इस बैठक से पहले देश के गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों के साथ एक अहम बैठक की है. माना जा रहा है कि ये बैठक इस आंदोलन के मद्देनजर काफी अहम साबित हो सकती है.
क्या खत्म होने वाला है किसान आंदोलन?
देश के गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाल लिया है. उन्होंने किसान नेताओं से अहम मुलाकात की. गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर 13 किसान नेताओं के साथ बैठक हुई. माना जा रहा है कि सरकार और किसानों के बीच सुलह का रास्ता निकल सकता है. आपको उन 13 नामों पर एक नजर डालना चाहिए, जिन्होंने शाह से मुलाकात की.
1. राकेश टिकैत
2. गुरनाम चढूनी
3. हनन मुल्ला
4. शिवकुमार हक्का
5. बलबिर सिंह
6. जगजीत सिंह
7. रुलदू सिंह मानसा
8. मंजीत सिंह राय
9. बुट्टा सिंह बुरूजगिल
10. हरिंदर सिंह लखोवाल
11. दर्शन पाल
12. कुलवंत सिंह संधू
13. भोग सिंह मानसा
कृषि मंत्री और तमाम आलाअधिकारियों से मुलाकात के बाद अमित शाह ICAR इंस्टीट्यूट पूसा रोड पहुंचे. पहले राउंड की बैठक हुई. किसान नेता डॉक्टर दर्शन पाल की अगुवाई में पहले राउंड की बैठक हुई. बैठकों का दौर लगातार जारी है. ऐसे में अब उम्मीद यही है कि किसानों के आंदोलन का फाइनल समाधान बुधवार को निकल जाए.
अमित शाह ने की हाई लेवल मीटिंग
अमित शाह ने कृषि मंत्री के साथ-साथ दिल्ली पुलिस कमिश्नर के साथ भी आधे घंटे तक बैठक की है. इस बैठक में आईबी के अधिकारी भी मौजूद थे. बैठक में फार्मर प्रोटेस्ट के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था के बारे में जानकारी ली. सरकार नहीं चाहती है कि किसी भी प्रकार से किसानों के बीच में कोई असामाजिक तत्व मौके का फायदा उठाए. सरकार किसानों की सुरक्षा हर हाल में सुनिश्चित करना चाहती है.
केंद्र सरकार और किसानों नेताओं के बीच छठी बैठक एक बार फिर बुधवार को विज्ञान भवन में होगी. ये बैठक सुबह 11:00 बजे शुरू होगी. जानकारी के अनुसार अभी 40 संगठनों के नेता जो पिछली बैठक में आए थे, वही इस बैठक में भाग लेंगे. लेकिन यदि कोई और किसान संगठन बैठक में भाग लेना चाहता है तो उनको भी शामिल किया जाएगा. केंद्र सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश शामिल होंगे.
किसानों का भारत बंद कितना असरदार?
सरकार एक्शन मोड में है मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की. पीएम मोदी ने अपना पद्म सम्मान लौटाने की पेशकश करने वाले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को फोन कर जन्मदिन की बधाई दी है. इस बीच आज किसानों ने जो भारत बंद बुलाया था उसे कांग्रेस, एनसीपी और अकाली दल समेत कई विपक्षी दलों ने सफल बनाने पर पूरा जोर लगा दिया. कहीं ट्रेन रोकी गई तो कहीं टायर जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया गया. वहीं बीजेपी शासित राज्यों में बंद को फ्लॉप करने की कोशिश की गई, लेकिन सवाल ये कि
सवाल नंबर 1). क्या बंद से बनेगी बात?
सवाल नंबर 2). भारत बंद से किसे फ़ायदा?
सवाल नंबर 3). हल बंद से या बातचीत से?
सवाल नंबर 4). क्या बंद से केंद्र पर दबाव?
सवाल नंबर 5). किसान को कल हां या ना?
भारत बंद का कितना असर?
भरूच, गुजरात (टायर जलाकर जाम)- गुजरात के भरूच में भारत बंद पर टायर जलाए गए. बंद की वजह से गाड़ियों की लंबी कतार लगी.
अमृतसर, पंजाब (जबरदस्ती दुकानें बंद)- पंजाब के अमृतसर में जबरदस्ती दुकानों का बंद करवाई गई. किसान नेताओं ने कृषि कानून के खिलाफ नारेबाजी की.
रांची, झारखंड (रोटी की माला बनाई)- झारखंड के रांची में रोटी की माला लेकर प्रदर्शन किया गया. लेफ्ट नेता अन्नदाता के समर्थन में उतरे. कृषि कानून के खिलाफ नारेबाजी की.
रायपुर, छत्तीसगढ़ (जबरदस्ती दुकानें बंद)- छत्तीसगढ़ के रायपुर में भी जबरदस्ती दुकान बंद कराया गया. छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायकों ने किसानों के समर्थन में नारेबाजी की.
कोलकाता, प. बंगाल (सड़क पर लेफ्ट कार्यकर्ता)- कोलकाता में लेफ्ट कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे. भारत बंद के समर्थन में लेफ्ट नेता उतरे. कानून वापसी के लिए केंद्र पर दबाव बनाया.
भुवनेश्वर, ओडिशा (लेफ्ट का चक्काजाम)- ओडिशा के भुवनेश्वर में लेफ्ट नेताओं का प्रदर्शन देखा गया. भारत बंद को सफल बनाने के लिए नारेबाजी की. कृषि कानून को वापस लेने की मांग की.
दिल्ली (बुराड़ी में किसान कीर्तन)- दिल्ली के बुराड़ी में भारत बंद पर किसानों का कीर्तिन देखा गया. किसानों ने कहा कि हमें उम्मीद है की किसानों की जीत होगी.
जम्मू (पुलिस तैनात, जाम विफल)- भारत बंद का जम्मू में कोई असर नहीं देखा गया. ट्रेड यूनियन ने चक्का जाम रखने का ऐलान किया था. जगह-जगह पर पुलिस बल तैनात रही.
जोधपुर, राजस्थान (बंद को लेकर पुलिस अलर्ट)- राजस्थान के जोधपुर में बंद को लेकर पुलिस अलर्ट पर रही. जोधपुर के कमिश्नरेट में 8 सौ जवानों को तैनात किया गया. जबरन बंद करवाने वालों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिया गया था.
बैठक में बात कितनी बनी इसका जवाब को बुधवार को होने वाली बैठक के बाद ही बता चलेगा. पूरा देश यही चाहता है कि इस विवाद को कोई न कोई हल निकले. उम्मीद भी यही जताई जा रही है. तो सवाल यही है कि "क्या शाह निकालेंगे राह?" क्या एक बार फिर ये साबित होने वाला है कि "जहां शाह, वहीं राह?"
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