Nipah virus कितना खतरनाक, केरल सरकार ने प्रसार रोकने के लिए उठाए कड़े कदम

Nipah virus : केरल सरकार ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कड़े उपाय किए हैं. केरल के कोझिकोड प्रशासन ने ज़िले में निपाह वायरस का अलर्ट जारी किया है.  

Written by - Vineet Sharan | Last Updated : Sep 13, 2023, 11:40 AM IST
  • कोझिकोड प्रशासन ने सात ग्राम पंचायतों को निषिद्ध क्षेत्र घोषित कर दिया है
  • अतानचेरी, मारुथोंकारा, तिरुवल्लूर और कविलुम्परा पंचायत इसमें शामिल हैं
Nipah virus कितना खतरनाक, केरल सरकार ने प्रसार रोकने के लिए उठाए कड़े कदम

कोझिकोड (केरल): उत्तरी केरल के कोझिकोड जिले में ‘निपाह’ वायरस से दो मरीजों की मौत हो गई. वहीं दो अन्य लोग संक्रमित हैं. राज्य सरकार ने वायरस को रोकने के लिए कड़े उपाय किए हैं. कोझिकोड प्रशासन ने सात ग्राम पंचायतों को निषिद्ध क्षेत्र घोषित कर दिया है. फेसबुक’ पर मंगलवार को जारी एक पोस्ट में कोझिकोड की जिलाधिकारी ए गीता ने अलर्ट जारी किया है.

जिलाधिकारी ने जिन पंचायतों को निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया गया है, उनमें अतानचेरी, मारुथोंकारा, तिरुवल्लूर, कुट्टियाडी, कयाक्कोडी, विल्यापल्ली और कविलुम्परा शामिल हैं. 

क्या हैं पाबंदियां
-इन निषिद्ध क्षेत्रों के अंदर-बाहर किसी भी तरह की यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी 
-पुलिस को इन इलाकों की घेराबंदी करने का निर्देश दिया गया है. 
-निषिद्ध क्षेत्रों में केवल आवश्यक वस्तुओं और चिकित्सा सामग्री की दुकानों के संचालन की अनुमति होगी. 
-दुकानें सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक खोली जा सकेंगी, 
-दवा की दुकानों और स्वास्थ्य केंद्रों के संचालन के लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई है. 
-स्थानीय स्व-सरकारी संस्थान और ग्राम कार्यालय न्यूनतम कर्मचारियों के साथ कार्य कर सकते हैं. 
-निषिद्ध क्षेत्रों में बैंक, अन्य सरकारी या अर्द्ध-सरकारी संस्थान, शैक्षणिक संस्थान और आंगनवाड़ी संचालित नहीं होने चाहिए. 

क्या है निपाह वायरस 
निपाह चमगादड़ों और सुअर के जरिए इंसानों में फैल सकता है. जानवरों से इंसानों में होने वाली बीमारी को ज़ूनोटिक डिज़ीज़ कहा जाता है.  

लक्षण
-निपाह वायरस बुखार की तरह आता है. 
-कई लोगों को शुरुआत में कोई लक्षण नहीं होते – केवल सांस लेने में दिक्कत होती है.
-सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी भी हो सकती है. 
-लंबे समय तक मरीज में ये इंफेक्शन रह जाए तो एन्सेफिलाइटिस यानी दिमागी बुखार में बदल जाता है. 

किन पर ज्यादा खतरा
2019 में आईसीएमआर और NIV (national institute of Virology) ने एक स्टडी की थी. स्टडी में ऐसे लोगों में ज्यादा खतरा पाया गया जो सीधे मरीज के बॉडी फ्लूइड जैसे खून, लार या मल मूत्र के संपर्क में आए हों. इसमें ज्यादातर परिवार के लोग या अस्पताल का स्टाफ थे.  

भारत में पहले आ चुका है निपाह वायरस
-2001 में  पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी जिले और 2007 में नादिया में भी निपाह फैला है.  
मई 2018 में निपाह वायरस केरल के कोझिकोड में ही पाया गया था. 
2019 में एरनाकुलम में एक मरीज मिला था जो बाद में इलाज से ठीक हो गया.   
2021 में भी निपाह के मामले सामने आए थे.  

क्या है निपाह वायरस का इलाज
निपाह वायरस तेज़ी से नहीं फैलता और समय रहते कंट्रोल कर लिया जाए तो उसे सीमित क्षेत्र मे ही रोका जा सकता है. लेकिन इससे जान जाने का खतरा रहता है. मरीज को आइसोलेशन में रखना, तरल पदार्थ लेना और लक्षणों के हिसाब से इलाज करना निपाह वायरस का इलाज है. 

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