राजेंद्र नगर कैसे बना 'IAS फैक्ट्री'? एक जमाने में यहां रहते थे रिफ्यूजी

Rajinder Nagar History: ओल्ड राजेंद्र नगर में सैंकड़ों कोचिंग संस्थान हैं, जो UPSC के एस्पिरेंट्स को पढ़ाते हैं. यहीं पर 3 छात्रों की कोचिंग के बेसमेंट में पानी भरने के बाद मौत हुई है. यह पश्चिमी दिल्ली के करोल बाग बाजार के पास है.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Jul 30, 2024, 01:12 PM IST
  • पहले राष्ट्रपति के नाम पर रखा नाम
  • यहां हर साल आते हैं 40 हजार छात्र
राजेंद्र नगर कैसे बना 'IAS फैक्ट्री'? एक जमाने में यहां रहते थे रिफ्यूजी

नई दिल्ली: Rajinder Nagar History: ओल्ड राजेंद्र नगर सुर्खियों में हैं, IAS के सिलेक्शन देने के लिए नहीं, बल्कि तीन छात्रों की मौत के लिए. यहां की एक निजी कोचिंग के बेसमेंट में बारिश के दौरान पानी भरा. इसमें डूबने से तीन UPSC एस्पिरेंट्स की मौत हो गई. इसके विरोध में ओल्ड राजेंद्र नगर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. छात्र नियमों का पालन न करने वाली कोचिंग संस्थानों को बंद करने की मांग कर रहे हैं. मृत छात्रों के लिए मुआवजे की मांग भी की जा रही है. छात्रों की कुछ मांगों को मान लिया गया है. बहरहाल, आज हम आपको ओल्ड राजेंद्र नगर की कहानी बताने जा रहे हैं, जहां कभी रिफ्यूजी रहा करते थे. 

1950 में बसा, रिफ्यूजी रहे
ओल्ड राजेंद्र नगर पश्चिमी दिल्ली के करोल बाग बाजार के पास है. साल 1947 में हुए भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद इसे साल 1950 में बसाया गया था. यहां पाकिस्तान से भारत आए शरणार्थियों को बसाया गया था. यहां पर पाक से ज्यादातर पंजाबी लोग आए थे. इसका नाम देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के नाम पर रखा गया था.

ऐसे आए कोचिंग संथान
यहां पर पहले से ही पढ़ाई का माहौल था. पहले यहां पर तिब्बिया कॉलेज (19वीं सदी का आयुर्वेदिक और यूनानी कॉलेज) हुआ करती थी. फिर खालसा कॉलेज भी बनी. हालांकि, यहां पर IAS के कोचिंग संस्थान तो 1991 में हुए आर्थिक उदारवाद के बाद खुले हैं. सबसे पहले जो कोचिंग संस्थान आए, उनमें वजीराम एंड रवि IAS कोचिंग थी. पहले ये अजमल खान रोड पर हुआ करती थी, जो 1997 में यहां शिप्ट हुई. इसके बाद धीरे-धीरे कई अन्य कोचिंग संस्थान भी यहां आए, कुछ नए खुले. चूंकि, इस इलाके में पहले से ही कॉलेज थे, तो छात्रों की यहां आवाजाही थी. लिहाजा, कोचिंग बिजनेस चल पड़ा. 

हर साल आते हैं 40 हजार छात्र
ओल्ड राजेंद्र नगर संसद और राष्ट्रपति भवन से सिर्फ पांच किमी दूरी पर है. यहां पर हर साल करीब 40 हजार छात्र आते हैं. इस इलाके में करीब एक लाख लोग रहते हैं. यहां पर 25 हजार के करीब मकान हैं. UPSC की तैयारी करने वाले छात्र यहां की तंग गलियों में रहते हैं. छोटे-छोटे कमरों में रहते हैं.

किराया बढ़ा और फीस भी
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यहां पर एक धसक पहले PG के कमरे का किराया करीब 5,000 रुपये हुआ करता था. लेकिन अब यही क्रिआया 20,000 रुपये के करीब है. यहां पर कुछ कोचिंग संस्थानों की फीस 1.5 लाख रुपये सालाना तक भी है. 

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