नई दिल्ली: शी जिनपिंग की रातों की नींद हराम है, इमरान खान और बाजवा को अपनी बर्बादी नज़र आ रही है. ब्रह्मोस का ख़ौफ़ इसलिए सता रहा है क्योंकि हिन्दुस्तान ने कोरोना काल में इस सुपर सोनिक क्रूज़ मिसाइल के कई परीक्षण किए और दुश्मनों को दिखाया कि ये मिसाइल जल थल और नभ से जल थल और नभ में किसी भी टारगेट पर पिन प्वाइंट स्ट्राइक करने में सक्षम है वो भी उस रफ़्तार से जिस रफ़्तार पर ब्रह्मोस को इंटरसेप्ट करने की टेक्नोलॉजी अभी तक पूरे विश्व में नहीं बनी है, कहने का मतलब अगर ब्रह्मोस को छोड़ दिया तो समझो दुश्मन का काम तमाम..
हिन्द महासागर में ब्रह्मोस का परीक्षण चल रहा है
इस हफ़्ते ब्रह्मोस के कई परीक्षण होने बाकी हैं
आर्मी, एयरफोर्स और नेवी करेगी मल्टिपल टेस्ट
हिन्द महासागर में भारत की ताकत देख चीन घबराया
इंडो पैसिफिक रीज़न में हिन्दुस्तान लगातार अपनी पावर दिखा रहा है, मालाबार युद्धाभ्यास, सिंगापुर के साथ सिमटेक्स युद्धाभ्यास, जंगी विमान P-8I की तैनाती और ब्रह्मोस मिसाइलों के साथ स्वदेशी मिसाइलों का परीक्षण इसके ताज़ा उदाहरण हैं. इंडो पैसिफिक रीज़न में मल्लका स्ट्रेट पर हिन्दुस्तान की नज़र है जहां से चीन में मिडिल ईस्ट से पेट्रोलियम के साथ साथ ज़रूरी सामानों की सप्लाई होती है और चीन भी इसी रूट से अपने सामान अफ्रीका और मिडिल ईस्ट तक पहुंचाता है. ज़ाहिर है अंडमान के पास अपनी मिलिट्री स्ट्रेंथ को बढ़ाकर हिन्दुस्तान इंडो पैसिफिक रीज़न में चीन की कमर तोड़ने की तैयारी कर चुका है.
ब्रह्मोस की ताज़ा टेस्टिंग अंडमान निकोबार से मंगलवार सुबह 10 बजे की गई..
- ब्रह्मोस के लैंड-अटैक वर्ज़न का परीक्षण किया
- टॉप-अटैक कॉनफिगरेशन में किया गया टेस्ट
- बंगाल की खाड़ी में पिन प्वाइंट सटीकता से सफल हमला
- ब्रह्मोस की रेंज अब बढ़ाकर 400 किमी कर दी गई है
- 2021 के मध्य में ये रेंज बढ़ाकर 800 किमी करने की तैयारी
ब्रह्मोस मिसाइल जैसे जैसे सफलता हासिल कर रही है और अपने आपको और घातक और ज़्यादा जानलेवा और और भी ज़्यादा सटीक बनाती जा रही है, उससे जिनपिंग की जान निकल रही है, चाइनीज़ ख़ान तो इस मिसाइल के आगे अपनी फौज का सरेंडर करा देगा, और बाजवा पाकिस्तान छोड़कर भाग जाएगा, क्योंकि ये वो मिसाइल है जिसे दर्जा हासिल है..
- दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक मिसाइल का दर्जा
- रफ़्तार 2.8 मैक यानी ध्वनि की रफ़्तार से तीन गुना तेज़
- ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 290 से 400 किलोमीटर तक
- 300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री ले जाने में सक्षम
- जल, थल, एयरक्राफ्ट और सबमरीन से लॉन्चिंग
- हवा में ही टारगेट बदलने में सक्षम है
- चीन, पाकिस्तान के पास भी नहीं है ब्रह्मोस जैसी मिसाइल
- अमेरिका की टॉमहॉक क्रूज मिसाइल से तीन गुना ज्यादा स्पीड
इन परीक्षणों की अहमियत को समझिए कि क्यों जल थल और नभ से ब्रह्मोस के ये परीक्षण हिन्दुस्तान के लिए ज़रूरी हैं और कैसे दुश्मन के अटैक चक्र का निर्माण करते हैं.
ब्रह्मोस की लैंड अटैक मिसाइल्स को लद्दाख और अरुणाचल में तैनात किया गया है
अक्साई चिन के के पास एयरबेसेज़ पर सुखोई-30MKI में ब्रह्मोस मिसाइल तैनात की गई है
स्टील्थ विध्वंसक तरकश और INS तेग के साथ INS चेन्नई और INS कोलकाता पर ब्रह्मोस तैनात है
हिन्दुस्तान के 10 फ्रंटलाइन युद्धपोत भी ब्रह्मोस वर्टिकल लॉन्च सिस्टम से लैस हैं
अरब सागर से लेकर हिन्द महासागर तक ब्रह्मोस की फ्लीट ही चीन के लिए काफी है
आर्मी के पास ब्रह्मोस की 3 रेजीमेंट अलर्ट पर है, 2 और रेजिमेंट तैयार की जा रही है
ब्रह्मोस मिसाइल कम दूरी तक वार करनेवाली सुपर सोनिक क्रूज़ मिसाइल है और अभी यही मिसाइल ड्रैगन की धज्जियां उड़ाने के लिए काफी है लेकिन हिन्दुस्तान की तैयारी अभी आगे की है. इंडिया के इस ब्रह्मास्त्र को मिडियम रेंज की मिसाइल बनाने की तैयारी काफी पहले से चल रही है और कुछ महीनों बाद ही इसका नया वर्ज़न वो होगा जो चीन और पाकिस्तान मजबूर कर देगा कि वो भूलकर भी हिन्दुस्तान से पंगा लेना नहीं चाहेंगे.
भारत और रूस ने संयुक्त रूप से सुपर सोनिक क्रूज़ मिडियम रेंज ब्रह्मोस मिसाइल विकसित की है. ब्रह्मोस के मिडियम रेंज वर्ज़न को 21वीं सदी की सबसे ख़तरनाक मिसाइल माना जा रहा है. ब्रह्मोस का ये वर्ज़न अधिकतम 4,300 किमी की रफ़्तार से उड़ सकता है.
अग्नि मिसाइल की तकनीक से ब्रह्मोस के इस वर्ज़न की स्पीड बढ़ाई गई. ब्रह्मोस का ये वर्ज़न 400 किमी से बढ़कर 800 किमी की रेंज में हमला कर सकता है. कहने का मतलब अगले साल तक हिन्दुस्तान की मिसाइल फ्लीट में वो मिसाइल शामिल होने वाली है जो 21वीं सदी की सबसे खतरनाक और जानलेवा मिसाइल साबित होने वाली है.
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