Corona in Kids: क्या कोरोना का नया स्ट्रेन बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है?

Corona Virus in Children: कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन से बच्चों के संक्रमण की तादाद लगातार बढ़ रही है, जो वाकई चिंता का विषय है. एक्सपर्ट का मानना है कि वायरस के न्यू स्ट्रेन्स पहले के मुकाबले अधिक संक्रामक है.

Written by - Harsha Chandwani | Last Updated : Apr 11, 2021, 04:17 PM IST
  • कोविड का नया स्ट्रेन बच्चों पर कर रहा असर
  • बच्चों में दिख रहे हैं कोरोना संक्रमण के लक्षण
Corona in Kids: क्या कोरोना का नया स्ट्रेन बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है?

नई दिल्ली: वैश्विक महामारी कोविड-19 (Covid-19) के नए स्ट्रेन का प्रभाव क्या आपके बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है? करीब सवा साल के दौरान बच्चों को कोरोना वायरस (Corona Virus in Children) ज्यादा संक्रमित नहीं कर पाया, लेकिन इस बार कोरोना का हमला पिछली बार की तुलना में अधिक भयानक है. ऐसे में बच्चों को लेकर ज्यादा सावधानी बरतनी होगी.

बच्चों के लिए खतरनाक है नया स्ट्रेन

कोरोना पर वैज्ञानिक अध्ययनों (Corona Related Researches) से ये जानकारी सामने आई है कि वयस्कों की तुलना में बच्चों की कोशिकाओं में जो रिसेप्टर होते हैं, कोरोना उन्हें आसानी से कैच नहीं कर पाता. हालांकि अब कोरोना के नए स्ट्रेन आने के बाद स्थिति बदल गई है और वायरस के नए वैरिएंट्स सामने हैं.

बता दें, B.1.1.7 वैरिएंट के बारे में ऐसा कहा जा रहा है कि ये तेजी और आसानी से संक्रमण फैला रहा है, नतीजा ये देखा जा रहा है कि अब बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल (Dr. KK Aggarwal) ने इस मसले पर ज़ी हिन्दुस्तान से खास बातचीत में कुछ अहम जानकारियां साझा की.

मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी डिजीज की आशंका

डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि 'बच्चों के लिए फिलहाल वैक्सीन नहीं बनी हैं और भविष्य में जल्द ही जो आ भी रही हैं, वह 12 वर्ष के उपर के बच्चों के लिए आएगी. रेयर केस में अगर बुखार ज्यादा होता है या वो बच्चे जिन्हें पहले कोरोना हो चुका है और दूसरी बार हो रहा है, उन्हें मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी डिजीज हो सकती है, लेकिन उसके चांसेज बेहद कम हैं.'

उन्होंने ये भी बताया कि 'वायरस में कोविड में 12 साल से कम को बच्चों की श्रेणी में रखा गया है, उसके उपर को वो सभी सावधानियां बरतनी हैं, जो अडल्ट्स को बरतनी हैं और ये बहुत कम देखा गया है कि बच्चों में निमोनिया या कोरोना के लक्षण हो और अगर दिख रहे हैं तो कोरोना के ज्यादा आशंका है कि वो बड़े लोगों से ही फैला होगा.'

निश्चित तौर पर बच्चों को लेकर थोड़ी भी लापरवाही मुसीबत की वजह बन सकती है. यदि आपको कोई भी ऐसा लक्षण अपने बच्चों में नजर आए तो पहली फुर्सत में बच्चों का कोरोना टेस्ट कराएं.

बच्चों में लक्षण-

1) बुखार रहना
2) त्वचा पर चकत्ते
3) आंखें लाल होना
4) शरीर और जोड़ों में दर्द
5) उल्टी जैसा होना, पेट में ऐंठन या ऐसी अन्य समस्या
6) फंटे होठ, चेहरे और होठों पर नीला पड़ना
7) थकान सुस्ती और अधिक नींद आना

कोरोना का लक्षण छोटे बच्चों में भी दिख सकता है. इनमें वो बच्चे भी होते हैं जो हाल ही में पैदा हुए हैं और एक साल से भी छोटे हैं. उनमें उपर दिए लक्षण दिख सकते हैं साथ ही होठों व त्वचा में सूजन हो सकता है, छाले हो सकते हैं या फिर मांसपेशियों में दर्द की समस्या आ सकती है.

डॉ. केके अग्रवाल ने ज़ी हिन्दुस्तान को बताया कि बेंगलुरु में की गई स्टडी में पाया गया है कि दूसरा स्ट्रेन बच्चों के लिए खतरनाक है और 10 साल से कम के बच्चों में कोरोना का दूसरा स्ट्रेन पाया गया है. ये इसलिए ज्यादा खतरनाक है क्योंकि बड़ों को वैक्सीन लगने के बाद वायरस म्यूटेट कर रहा है, जो की सीधा बच्चों को संक्रमित कर रहा है. बच्चों के लिए वैक्सीन बनी ही नहीं है, तो वायरस उनकी तरफ म्यूटेट करेगा.

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बच्चों में कोरोना फैलने की एक बड़ी वजह ये भी है कि जो बच्चे पिछली वर्ष कोरोना काल में स्कूल बंद थे और घरों में रहते थे वो अब खेलने के लिए प्ले एरिया में निकलने लगे हैं. हाइजीन और मास्क को लेकर लापरवाही भी बच्चों के ज्यादा संक्रमित होने का कारण है. ऐसे में लापरवाही पर काबू कर के ही कोरोना पर काबू पाया जा सकता है.

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