नई दिल्लीः फ्रस्टेशन यानी कि हताशा. विज्ञान और चिकित्सा की भाषा में यह एक प्रकार का मनोरोग है. मनोविज्ञान कहता है कि क्रोध, झुंझलाहट और निराशा का मिलाजुला लक्षण रखने वाला एक विकार है. यह पूरी तरह से भावनात्मक प्रक्रिया है. किसी व्यक्ति की इच्छा या लक्ष्य की पूर्ति के बीच आने वाले कथित प्रतिरोध से निराशा पैदा होती है और जब लक्ष्य से व्यक्ति वंचित रह जाता है तो फ्रस्टेट हो जाता है.
फ्रस्टेशन का उदाहरण
इसका सबसे खास लक्षण है कि इससे ग्रसित व्यक्ति को कभी अहसास नहीं होता कि वह इससे ग्रसित है. उदाहरण के तौर पर आपके आस-पास कई नाम हो सकते हैं. लेकिन इस वक्त सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक बड़ा ही प्रसिद्ध नाम तैर रहा है.
यह शख्सियत हैं दिग्गज क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता, योगराज सिंह. पूर्व में क्रिकेटर रहे, इसके बाद फिल्म अभिनेता बनकर पहचान कमाई और शनिवार से उन्हें किसान आंदोलनकारी के नाम से जाना जा रहा,
माफ कीजिए... किसान आंदोलन में किसानों का नाम बिगाड़ने वाले के तौर पर उनकी गिनती हो रही है. दरअसल ऐसे ही चंद लोग हैं जो किसानों के इस आंदोलन की दिशा को विभिन्न तरीकों से मोड़ने की कोशिश करने व बदनाम करने में लगे हैं.
वायरल हो रहा है वीडियो
आखिर योगराज सिंह के नाम पर इतनी खिंचाई की वजह क्या है. वजह हैं खुद योगराज सिंह, जिनकी जुबान अक्सर ही चलती है और चलती है तो कुछ भी बोलती है. शनिवार को उनका एक वीडियो सामने आया जो कि किसान आंदोलन के मंच से वायरल हुआ रहा था. योगराज सिंह के भाषण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.
इसमें वह हिंदू महिलाओं पर बेहद आपत्तिजनक बातें कहते नजर आ रहे हैं. उनके इस बयान से आक्रोशित लोगों ने उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की है. ट्विटर पर'Arrest Yograj Singh' ट्रेंड हो रहा है. योगराज पंजाबी में भाषण दे रहे हैं जिसमें वह हिंदुओं के लिए 'गद्दार' शब्द का इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं. वह कहते नजर आ रहे हैं, 'ये हिंदू गद्दार हैं, सौ साल मुगलों की गुलामी की.' इतना ही नहीं, उन्होंने महिलाओं को लेकर भी विवादास्पद बयान दिया है.
कहने को तो पूर्व दिग्गज ऑलराउंडर युवराज सिंह के पिता योगराज किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए उनके बीच पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने हिंदुओं को लेकर ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं, जिसको लेकर उनकी गिरफ्तारी की मांग हो रही है.
पहली बार नहीं, जब दिया है विवादित बयान
हालांकि योगराज सिंह के लिए इस तरह कि विवादित टिप्पणी करना कोई नई बात नहीं है. इसके पहले पूर्व क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को लेकर उन्होंने टिप्पणी की थी तो धमनियों में क्रिकेट बहाने वाले देश की रगों में उबाल आ गया था. धोनी फैन्स ने जमकर योगराज सिंह को आड़े हाथ लिया था.
योगराज ने इल्जाम लगाया था कि धोनी के ही कारण उनके बेटे युवराज को टीम में जगह नहीं मिली.
फिर युवराज सिंह को करना पड़ा बचाव
धोनी के लिए कहते हुए वह यहीं पर नहीं रुके. बल्कि कहा कि धोनी से घटिया शख्स कभी जिंदगी में नहीं देखा. उनका अहंकार रावण से ऊंचा है. वो एक दिन पाई पाई के लिए मोहताज हो जाएंगे. इस बात पर जब बवाल अधिक मचा तो युवराज सिंह को खुद आगे आना पड़ा था. तब अपने पिता की ओर से कही बात के लिए क्रिकेटर ने कहा था कि पापा इमोशनल हो गए थे. उनका वह मतलब नहीं था.
जब कपिलदेव भी घेरे में आए
लेकिन योगराज तो योगराज हैं, वह धोनी तक ही कैसे रुकते. तो वह दो पायदान और ऊपर पहुंच गए. यानी सौरव गांगुली को पार करके सीधे कपिल देव. क्रिकेट की दुनिया में कपिल देव सचिन की तरह God भले ही न हों, लेकिन पहला विश्वकप दिलाने वाले इस शख्स का दर्जा इससे कम भी नहीं है.
यहां तो क्रिकेट पंडित कहते हैं कि कपिल देव के बारे में योगराज की टिप्पणी करना वाकई फ्रस्टेशन है, उनके अंदर की हताशा ही उनसे यह बुलवा रही है.
यह की थी टिप्पणी
दरअसल हुआ यूं था कि कपिल देव ने एक बार सचिन के बारे में कह दिया था कि उन्होंने अपने टैलेंट के साथ इंसाफ नहीं किया. शांत सचिन की इस पर तो कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन योगराज बिदक गए. उन्होंने कहा कि कपिल देव सचिन की प्रसिद्धि से जलन रखते हैं. ऐसा बोलने से पहले उनको सौ बार सोचना चाहिए.
कपिल देव के संग बचपन का साथ
इस हताशा के पीछे की वजह भी किशोरावय के जाने और जवानी आने के दिनों के समय की है. दरअसल बताया जाता है कि चंडीगढ़ के सेक्टर 16 में एक छोटा क्रिकेट स्टेडियम था. यहां देशप्रेम आजाद नाम के क्रिकेट कोच थे. इनसे योगराज और कुक्कू दो लड़के क्रिकेट की ठुक-ठुक सीखने आते थे.
बाद में कुक्कू बड़ा होकर कैप्टन बना, विश्वकप ले आया और कपिल देव कहलाया, योगराज सिंह कुछ दिन क्रिकेट खेला लेकिन एक चोट के कारण करियर नहीं बन सका, बाद में युवराज सिंह नामक दिग्गज छह गेंद में छह छक्के जड़ने वाले पुत्र का पिता बना. बतौर क्रिकेटर योगराज सिंह ने एक टेस्ट और 6 ODI खेले हैं.
फिल्मों की है बड़ी संख्या
फरहान अख्तर वाली भाग मिल्खा भाग देखी है. इसमें एक कोच साहब हैं जो समंदर के किनारे फरहान से बहुत मेहनत-मशक्कत करा रहे हैं. कभी टायर बांध के दौड़ा देते हैं. कभी सपाट लगवाते हैं. इन कोच सर का किरदार योगराज सिंह ने ही निभाया था.
ऐसी कई हिंदी-पंजाबी फिल्मों में योगराज नजर आ चुके हैं. उनके खाते में 50 के करीब पंजाबी फिल्में हैं. कई हिंदी फिल्में भी उन्होंने की हैं. कुल मिलाकर सब कुछ ठीक चल रहा है. लेकिन.. हमारी-आप की नजर में.. योगराज सिंह की नजर में सब अच्छा होता तो इतना फ्रस्टेटेड बयान क्यों ही देते?
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