Kisan Protest: इस बार ट्रैक्टर ट्रॉली नहीं पैदल दिल्ली कूच करेंगे किसान, 6 दिसंबर से एक बार फिर किसानों का 'हल्ला बोल'

Delhi March from 6 december: शम्भू बॉर्डर पर किसान आंदोलन जारी है. किसान 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं. किसानों ने एक बार फिर से 6 दिसंबर को दिल्ली कूच करने की अपील की है.

Written by - IANS | Edited by - Nitin Arora | Last Updated : Dec 4, 2024, 08:45 PM IST
  • क्या है इस आंदोलन की मांग?
  • ताजा किसानों का मामला क्या है?
Kisan Protest: इस बार ट्रैक्टर ट्रॉली नहीं पैदल दिल्ली कूच करेंगे किसान, 6 दिसंबर से एक बार फिर किसानों का 'हल्ला बोल'

Farmers News: किसानों द्वारा कई मोर्चो पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. एक विरोध प्रदर्शन तो पिछले काफी समय से MSP जैसी मांगों को लेकर चल रहा है. वहीं, कुछ अन्य मांगों को लेकर हाल ही में गौतमबुद्ध नगर, आगरा, अलीगढ़ और बुलंदशहर समेत 20 जिलों के किसान जुट गए. वह दिल्ली संसद का रुख करना चाहते हैं. तो आइए एक-एक करके सभी मुद्दों पर नजर डालते हैं.

शम्भू बॉर्डर पर किसान आंदोलन जारी है. किसान 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं. किसानों ने एक बार फिर से 6 दिसंबर को दिल्ली कूच करने की अपील की है. किसानों ने इस बार ट्रैक्टर ट्रॉली छोड़ पैदल दिल्ली कूच की बात कही है. किसानों ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पैदल मार्च में हिस्सा लेने वाले जत्थों की जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा था कि किसान पैदल दिल्ली चले जाएं. इसलिए वे पैदल कूच के लिए तैयार हैं और पैदल दिल्ली कूच करेंगे.

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किसानों के मुद्दों को लेकर जो आवाज उठाई है, वह जायज है. सरकार को किसानों की मांगें पूरी करनी चाहिए.

उपराष्ट्रपति ने क्या कहा था?
उपराष्ट्रपति ने मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान मंच पर मौजूद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहा, 'कृषि मंत्री जी, हर पल आपके लिए महत्वपूर्ण है. मैं आपसे अनुरोध करता हूं और भारत के संविधान के तहत दूसरे सबसे बड़े पद पर विराजमान व्यक्ति के रूप में मैं आपसे आग्रह करता हूं कि कृपया मुझे बताइए, क्या किसानों से कोई वादा किया गया था, और वह वादा क्यों नहीं निभाया गया. हम वादा पूरा करने के लिए क्या कर रहे हैं. पिछले साल भी आंदोलन था, इस साल भी आंदोलन है, और समय जा रहा है, लेकिन हम कुछ नहीं कर रहे हैं.'

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के कानूनी आश्वासन सहित अपनी मांगों को लेकर किसानों ने शुक्रवार (6 दिसंबर) से 'दिल्ली चलो' मार्च फिर से शुरू करने का फैसला किया है.

क्या है इस आंदोलन की मांग?
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जब सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली तक मार्च करने के उनके प्रयास को रोक दिया गया था.

पंधेर ने कहा कि किसान 293 दिनों से शंभू और खनौरी में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने भाजपा नीत सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने 18 फरवरी के बाद से किसानों के साथ कोई बातचीत नहीं की है. उन्होंने केंद्र पर बातचीत से बचने का आरोप लगाया और दोहराया कि किसान अनुबंध खेती को खारिज करते हैं और इसके बजाय फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग करते हैं.

केंद्रीय मंत्रियों, अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय के तीन सदस्यीय पैनल ने 18 फरवरी को किसान प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी, लेकिन किसानों ने पांच साल तक एमएसपी पर दाल, मक्का और कपास खरीदने के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज कर दिया. एमएसपी पर कानूनी गारंटी के अलावा, प्रदर्शनकारी कृषि ऋण माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों की वापसी और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए 'न्याय', भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.

ताजा किसानों का मामला क्या है?
उत्तर प्रदेश के किसान नए कृषि कानूनों के तहत मुआवजे और लाभ की अपनी पांच मांगों पर जोर दे रहे हैं. किसान पुराने अधिग्रहण कानून के तहत 10 प्रतिशत भूखंडों के आवंटन और 64.7 प्रतिशत बढ़े मुआवजे की मांग कर रहे हैं, जो बाजार दर से चार गुना अधिक है, तथा 1 जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहित भूमि पर 20 प्रतिशत भूखंड दिए जाने की मांग कर रहे हैं. किसान यह भी चाहते हैं कि भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास का लाभ दिया जाए, उच्चाधिकार समिति द्वारा पारित मुद्दों पर सरकारी आदेश दिए जाएं तथा आबादी वाले क्षेत्रों का समुचित बंदोबस्त किया जाए.

प्रदर्शनकारी किसान भारतीय किसान परिषद (BKP) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) तथा संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) सहित अन्य संबद्ध समूहों से जुड़े हैं. इस मार्च में गौतमबुद्ध नगर, आगरा, अलीगढ़ और बुलंदशहर समेत 20 जिलों के किसान हिस्सा ले रहे हैं.

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