Explained: वैक्सीन के बनाने में क्यों और कितना जरूरी है Animal Serum

भारत बायोटेक द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन की तरह ही कई वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां इंसान में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए खुद भी एक वायरस का इस्तेमाल करती हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 18, 2021, 11:18 AM IST
  • देश में तेजी से घट रहे हैं कोरोना के केस
  • वैक्सीन के निर्माण को लेकर छिड़ी है बहस
Explained: वैक्सीन के बनाने में क्यों और कितना जरूरी है Animal Serum

नई दिल्लीः सरकार ने बुधवार को  एक स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा बनाई जा रही कोरोना की वैक्सीन कोवाक्सिन में नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल नहीं हो रहा है. सरकार के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई कि क्या वास्तव में कोवाक्सिन में बछड़े की सीरम मिला होता है.

इसके जवाब में सरकार ने दोहराया कि वैक्सीन के बनने में नवजात बछड़े समेत कई जानवरों के सीरम का इस्तेमाल होता है. इसका इस्तेमाल प्रयोगशालाओं में वायरस को विकसित करने के लिए किया जाता है. लेकिन ये वैक्सीन का घटक नहीं होते हैं.

वायरस को कैसे तैयार किया जाता है
भारत बायोटेक द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन की तरह ही कई वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां इंसान में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए खुद भी एक वायरस का इस्तेमाल करती हैं. हालांकि, वैक्सीन में इस्तेमाल होने से पहले या इंसान के शरीर में लगने से पहले इस वायरस को या तो मार दिया जाता है या फिर निष्क्रिय कर दिया जाता है, लेकिन फिर भी ये वायरस इंसान में इम्यूनिटी बढ़ाने में कारगर होते हैं.

प्रयोगशाला में होता है ये काम
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट की मानें तो वैक्सीन में इस्तेमाल होने से पहले इन वायरस को प्रयोगशालाओं में विकसित किया जाता है. वैज्ञानिक इन वायरस को उचित वातावरण देते हैं. इसी क्रम में कुछ पोषक तत्व होते हैं जो इन वायरस के लिए जरूरी होते हैं. ये पोषक तत्व ही घोड़े, गाय, बकरी और भेड़ जैसे जानवरों के ऊतकों से निकाले जाते हैं.

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बछड़े का सीरम ही क्यों
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अमेरिका की फूड  और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की वेबसाइट पर इसका जिक्र है कि गायों के हिस्से का इस्तेमाल इसलिए ज्यादा किया जाता है क्योंकि ये एक बड़ा जानवर है और आसानी से मिल जाता है. साथ ही गाय में जरूरी और ज्यादा मात्रा में उपयोगी केमिकल और एंजाइम मिल जाते हैं. वहीं, इस तरह के केमिकल बनाने की एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी का कहना है कि पिछले 50 सालों से वैक्सीन के निर्माण में गाय के बछड़ों का इस्तेमाल हो रहा है और नवजात बछड़े काफी प्रभावी साबित हुए हैं.

वैक्सीन में जानवरों के सीरम
ऐतिहासिक रूप से देखें तो वैक्सीन के निर्माण में जानवरों के सीरम का इस्तेमाल होता रहा है. डिप्थीरिया के टीके में घोड़े के सीरम का इस्तेमाल पिछले 100 सालों से हो रहा है. घोड़ों को बैक्टीरिया की छोटी खुराक का इंजेक्शन लगाया जाता था जो डिप्थीरिया का कारण बनते थे ताकि वे एंटीबॉडी विकसित कर सकें. बाद में संक्रमित जानवर के खून का इस्तेमाल एंटीबॉडी निकालने के लिए किया गया और वैक्सीन में इस्तेमाल किया गया.

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पूनावाला का भी कनेक्शन
यही नहीं, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पूनावाला परिवार की कहानी भी इससे जुड़ी है. उनका परिवार भी घोड़ों के सीरम की सप्लाई करता था. बाद में उन्होंने वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ही खोल ली. आज सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया दुनिया की एक जानी मानी वैक्सीन निर्माता कंपनी है. 

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