नई दिल्लीः अब लक्ष्मी विलास बैंक का अस्तित्व नहीं रहा. आजादी से पहले का लक्ष्मी विलास बैंक (Lakshmi Vilas Bank) अब इतिहास की बात रहेगी. कर्ज संकट में फंसने के बाद शुक्रवार को अंतत: इस बैंक का अस्तित्व समाप्त हो गया. सिंगापुर के डीबीएस बैंक (DBS Bank) की भारतीय इकाई डीबीएस इंडिया के साथ लक्ष्मी विलास बैंक का विलय हो गया है.
शुरू हुई पैसों की निकासी
केंद्रीय मंत्रिमंडल की तरफ से लक्ष्मी विलास बैंक (Lakshmi Vilas Bank) के डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड (DBS Bank India Limited)के साथ विलय (Amalgamation) हो गया. शुक्रवार को लक्ष्मी विलास बैंक से पैसों की निकासी शुरू की गई.
अब लक्ष्मी विलास बैंक की शाखाएं DBS बैंक इंडिया के रूप में काम करेंगी. इसके साथ ही लक्ष्मी विलास बैंक के जमाकर्ताओं पर निकासी की सीमा (withdrawal Limit) अब नहीं होगी.
DBIL की शाखाओं के तौर पर करेंगी काम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार को इस बैंक के भविष्य पर मुहर लग गई थी. रिजर्व बैंक ने घोषणा की थी कि लक्ष्मी विलास बैंक का 27 नवंबर को डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड के साथ विलय हो जाएगा.
केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि लक्ष्मी विलास बैंक की सभी शाखाएं 27 नवंबर से डीबीआईएल की शाखाओं के रूप में कार्य करेंगी.
बैंक के निवेशकों को निराशा
डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड के साथ विलय से लक्ष्मी विलास बैंक के करीब 20 लाख जमाकर्ताओं और लगभग चार हजार कर्मचारियों को राहत मिली है. अब बैंक के जमाकर्ताओं के पास स्पष्टता है, लेकिन बैंक के प्रवर्तकों और निवेशकों को निराश ही छोड़ दिया गया है.
लक्ष्मी विलास बैंक को डीबीएस इंडिया के साथ विलय से पहले 318 करोड़ रुपये के टिअर-2 बेसल-3 बांडों को राइट ऑफ करने के लिये कहा गया था.
यह भी पढ़िएः Jobs Update: योगी सरकार का बड़ा तोहफा, बिना किसी परीक्षा के इन्हें मिलेगी सरकारी जॉब
देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐप. जो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा...