Manipur Hinsa: फिलहाल कैसे हैं मणिपुर के हालात? सरकार उठा रही है ये कदम

मणिपुर हिंसा में 54 लोगों की जान चली गई है. मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में मणिपुर के दस पर्वतीय जिलों में आयोजित 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के बाद दोनों समुदायों के बीच झड़पें शुरू हो गईं. आपको इस हिंसा से जुड़ी हर जानकारी इस रिपोर्ट में देते हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 6, 2023, 04:37 PM IST
  • मणिपुर हिंसा में अब तक 54 लोगों की मौत
  • इंफाल घाटी में शांति; दुकानें और बाजार खुले
Manipur Hinsa: फिलहाल कैसे हैं मणिपुर के हालात? सरकार उठा रही है ये कदम

नई दिल्ली: मणिपुर में हुई हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है. अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इंफाल घाटी में शनिवार को जनजीवन सामान्य नजर आया और ज्यादातर दुकानें तथा बाजार फिर से खुले, सड़कों पर वाहन भी नजर आए. अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर सभी प्रमुख क्षेत्रों और सड़कों पर सेना की अतिरिक्त टुकड़ियों, त्वरित कार्य बल (आरएएफ) और केंद्रीय पुलिस बल के जवानों को तैनात किया गया है. 

इंफाल घाटी में शांति, जानें अपडेट
उन्होंने बताया कि इंफाल शहर और अन्य जगहों पर सुबह ज्यादातर दुकानें और बाजार खुले, लोगों ने सब्जियां और अन्य आवश्यक वस्तुएं खरीदीं. हालांकि, इस दौरान बड़ी संख्या में सुरक्षा कर्मी तैनात रहे. अधिकारियों ने बताया कि 54 मृतकों में से 16 शव चुराचांदपुर जिला अस्पताल के मुर्दाघर में रखे गए हैं, जबकि 15 शव इंफाल पूर्वी जिले में जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान में रखे हुए हैं.

अधिकारियों ने बताया कि इंफाल पश्चिम जिले के लाम्फेल में क्षेत्रीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान ने 23 लोगों के मरने की सूचना दी है. मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी.

'आवश्यक कदम उठा रही है सरकार'
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को कहा कि भारत सरकार हिंसा प्रभावित मणिपुर में व्यवस्था बहाल करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है. रिजिजू ने एक कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री खुद स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और सभी आवश्यक कदम उठा रहे हैं. उन्होंने वार्ता का आह्वान करते हुए कहा, 'दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक हिंसा एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. कई लोगों की जान चली गई है और संपत्ति को नुकसान पहुंचा है. चाहे मेइती हों या कुकी, दोनों एक ही राज्य से हैं और उन्हें एकसाथ रहने की जरूरत है.'

अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले मंत्री ने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूरे पूर्वोत्तर में तेजी से विकास हो रहा है. हिंसा को इसमें सेंध लगाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. इस तरह की घटनाएं लोगों के भविष्य को प्रभावित करती हैं और युवाओं एवं महिलाओं को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं.' उन्होंने कहा, 'सुंदर पूर्वोत्तर के विकास को आगे ले जाने के लिए शांति की आवश्यकता है. समाज तभी प्रगति कर सकता है जब शांति हो.'

केंद्रीय मंत्री ने किया लोगों से ये आग्रह
उन्होंने लोगों से गृह मंत्रालय द्वारा आदेशित बलों की तैनाती का समर्थन करने का आग्रह किया. कुकी जनजाति और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के सदस्यों के बीच बुधवार को टकराव के बाद मणिपुर हिंसा की चपेट में आ गया. इसके परिणामस्वरूप कई लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग विस्थापित हो गए.

आंकड़ों के अनुसार, हिंसा में 54 लोगों की जान चली गई है. मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में मणिपुर के दस पर्वतीय जिलों में आयोजित 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के बाद दोनों समुदायों के बीच झड़पें शुरू हो गईं. मेइती राज्य की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों - नगा और कुकी - आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं. 
(इनपुट- भाषा)

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