नई दिल्ली. मुगल वंश के सबसे मशहूर बादशाह अकबर के दरबार में नवरत्नों की कहानी तो सभी ने सुनी है. लेकिन एक व्यक्ति था जो अकबर के लिए अपने नवरत्नों से भी ज्यादा प्रिय था. प्रिय होने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अकबर ने उस व्यक्ति के लिए लिए अपने मुंहबोले भाई को मौत की सजा सुना दी थी. भाई की मौत की जानकारी देने अकबर अपनी मुंहबोली 'मां' और मुगल वंश से जुड़ी बेहद ताकतवर महिला महम अंगा के पास खुद गया था. जिस 'भाई' को मौत की सजा अकबर ने सुनाई थी उसका नाम था अधम खान और जिस प्रिय व्यक्ति की चर्चा यहां हो रही है, वह था अतागा खान.
अतागा खान कैसे बन गया शम्सुद्दीन?
अकबर के इस प्रिय मंत्री की हत्या से पहले कहानी सुनाते हैं कि आखिर शम्सुद्दीन मुहम्मद कैसे अतागा खान बन गया था? अकबर को वह क्यों इतना प्रिय था? क्या उसका कोई रिश्ता अकबर के पिता हुंमायू के साथ भी था? शम्सुद्दीन अकबर की जिंदगी में कब आया और धीरे-धीरे वह इतना महत्वपूर्ण कैसे बन गया कि अकबर को अपने मुंहबोले भाई को मौत की सजा तक सुनानी पड़ी?
अतागा खान की पारिवारिक पृष्ठभूमि गजनी के एक किसान परिवार से जुड़ी हुई थी. उसके पिता मीर यार मुहम्मद एक सामान्य किसान थे जो बाद में अकबर के चाचा यानी कामरान मिर्जा की सेना में सिपाही बन गए थे. पिता के कदमों पर चलते हुए बाद में अतागा खान यानी शम्सुद्दीन भी मुगल परिवार की सेवा से जुड़ गया. कहते हैं कि एक बार अतागा खान ने हुंमायू को डूबने से बचाया था. इसी के बाद वह हुंमायू का प्रिय हो गया था. हुंमायू ने उसे अपनी व्यक्तिगत सेवा में रखा और उसकी पत्नी जीजी को अकबर की अंगा यानी मुंहबोली मां बना दिया था. साथ ही शम्सुद्दीन को अकबर का मुंहबोला पिता यानी 'अतागा' बना दिया गया. सम्मानस्वरूप उसे 'खान' सरनेम भी दिया गया. अतागा खान का बेटा यानी अजीज भी अकबर का मुंहबोला भाई था.
कौन था हत्यारा अधम खान? क्यों अतागा खान को मारा?
अतागा खान की हत्या से पहले उसके हत्यारे अधम खान की कहानी भी जाननी जरूरी है. अधम की कहानी भी बेहद दिलचस्प है जो आपको मध्य कालीन भारत में महलों के भीतर होने वाली षडयंत्रकारी कूटनीति और राजनीति के बारे में विस्तार से जानकारी देती है. दरअसल अधम भी अकबर का मुंहबोला भाई था और उसकी मां महम अंगा भी अकबर की मुंहबोली मां थीं, ठीक अतागा खान की पत्नी जीजी की तरह. लेकिन एक अंतर था.
दरअसल अंगा यानी मुंहबोली मां का मतलब था कि वह नवजात बच्चे को स्तनपान कराए और उसका बिल्कुल मां की तरह खयाल रखे. मुगल वंश में ऐसी कई 'अंगा' महिलाएं थीं. इन सब की चीफ थी महम अंगा यानी चीफ नर्स. महम अंगा छोटेपन से अकबर का खयाल रखती थीं तो धीरे-धीरे वह मुगल वंश में बेहद ताकतवर भी होती चली गईं. अकबर के एक तरफ बैरम खान थे तो दूसरी तरफ महम अंगा. उन्हें मुगल वंश की सबसे ताकतवर महिलाओं में भी गिना जाता है. महम अंगा का बेटा था अधम खान. उसे भी अकबर बहुत प्यार करता था. लेकिन यहां से शुरू हुई कहानी महल के षड्यंत्रों की.
अतागा खान की हत्या का षड्यंत्र बैरम खान से शुरू हुआ!
साल 1560 में अकबर के सबसे करीबी और भरोसेमंद बैरम खान को सेवानिवृत्ति दे दी गई और उन्हें हज पर भेज दिया गया. बैरम खान की जगह पर नियुक्ति हुई अतागा खान की. अकबर के वकील या सलाहकार बना दिए. यह बात महम अंगा और उसके बेटे अधम खान को नागवार गुजरी. कहते हैं कि बैरम खान को दी गई सेवानिवृत्ति के पीछे भी महम अंगा का दिमाग था. उसने अकबर को समझाया था कि अब बैरम खान की जरूरत नहीं है. महम अंगा को उम्मीद थी कि बैरम की जगह पर उसका बेटा अधम बैठेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
'भाई' को अकबर ने दी बेहद क्रूर सजा
अतागा खान को वकील बनाए जाने के बाद महम अंगा और अधम खान का गुस्से सातवें आसमान पर पहुंच गया. अधम खान ने अतागा खान की हत्या कर डाली. जब अकबर को इसका पता चला तो उसने अधम को बेहद क्रूर सजा दी और महल से सिर के बल दो बार जमीन पर फेंकवा दिया. बाद में अकबर के शासन में यह सजा अन्य लोगों को भी दी गई थी.
बेटे की मौत का दुख झेल नहीं पाईं महम अंगा
अधम खान की मौत की जानकारी देने अकबर खुद महम अंगा के पास गया था. कहते हैं कि महम अंगा ने अकबर से कहा था कि तुमने सही निर्णय लिया. लेकिन अधम की मौत वो बर्दाश्त नहीं कर सकी और चालीस दिन बाद उसकी मौत हो गई. अकबर ने राजसी परिवार से ताल्लुक रखने के कारण महम अंगा और अधम खान का मकबरा दिल्ली के महरौली में बनवाया था.
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