बीते 6 सालों से नहीं कम हुए घरेलू हिंसा के मामले, NCRB की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

देश में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों में पिछले 6 साल से अपराध कम नहीं हुए हैं. निर्भया फंड से बने वन स्टॉप सेंटर, फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) के बावजूद, देश के 8 शहरों में कोविड काल में अधिक मामले सामने आ रहे हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 16, 2021, 04:16 PM IST
  • घरेलू हिंसा पर रोक के लिए बनाए गए साइबर पोर्टल
  • देश में हुई 1,023 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट की स्थापना
बीते 6 सालों से नहीं कम हुए घरेलू हिंसा के मामले, NCRB की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

नई दिल्ली: देश में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों में पिछले 6 साल से अपराध कम नहीं हुए हैं. निर्भया फंड से बने वन स्टॉप सेंटर, फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) के बावजूद, देश के 8 शहरों में कोविड काल में अधिक मामले सामने आ रहे हैं.

गौरतलब है कि 9 साल पहले 16 दिसंबर को देश की राजधानी दिल्ली में चलती बस में 23 साल की एक युवती से हैवानियत के साथ बलात्कार किया गया. जिसको लोगों ने निर्भया कांड का नाम दिया. इस कांड ने देश को झकझोर दिया था. लोग गुस्से में सड़कों पर उतर आए, संसद में इस पर चर्चा हुई. सरकार हरकत में आई और बलात्कार जैसी घटनाओं को लेकर देश में सख्त कानून बनाया गया. वन स्टॉप सेंटर, फास्ट ट्रेक स्पेशल कोर्ट का गठन किया गया. साथ ही साथ ही समाज में भी बदलाव देखने को मिला.

देश में घरेलू हिंसा के मामलों में नहीं आई कमी

इस घटना के 9 साल बाद देश में महिलाओं को लेकर कुछ खास बदलाव नहीं आये हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) अपने प्रकाशन क्राइम इन इंडिया में अपराधों पर जो सूचना जारी की. 

उस रिपोर्ट के अनुसार घरेलू हिंसा सहित महिलाओं के खिलाफ अपराधों के आंकड़े साल 2016 में 437 मामले रहे, 2017 में 616, 2018 में 579, साल 2019 में 553 और 2020 में 446. जिसके मुताबिक यह साफ है कि पिछले 6 साल में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले कम नहीं हुए हैं.

वहीं केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस संबंध में कहा कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत 'पुलिस' और 'लोक व्यवस्था' राज्य के विषय हैं. 

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध की जांच और अभियोजन सहित कानून और व्यवस्था बनाए रखने, नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी मुख्य रूप से संबंधित राज्य सरकारों की होती है. राज्य सरकारें कानून के मौजूदा प्रावधानों के तहत ऐसे अपराधों से निपटने के लिए सक्षम हैं.

मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और इस संबंध में विभिन्न विधायी और योजनाबद्ध हस्तक्षेप किए गए हैं. इनमें 'आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018', 'आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013', 'कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013', जैसे कानून शामिल हैं.

घरेलू हिंसा पर रोक के लिए बनाए गए साइबर पोर्टल

घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2006', 'दहेज निषेध अधिनियम, 1961', आदि. योजनाओं/परियोजनाओं में वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) शामिल हैं. महिला हेल्पलाइन (डब्ल्यूएचएल), आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस) का सार्वभौमिकरण जो आपात स्थिति के लिए एक अखिल भारतीय एकल नंबर (112) मोबाइल ऐप आधारित प्रणाली है.

इसके साथ ही देश के 8 शहरों (अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ और मुंबई) में बढ़ते अपराध पर लगाम लगाने के लिए, अश्लील सामग्री की रिपोर्ट करने के लिए साइबर अपराध रिपोटिर्ंग पोर्टल बनाने गए.

सुरक्षित शहर परियोजना के तहत जांच अधिकारियों, अभियोजन अधिकारियों और चिकित्सा के लिए जागरूकता कार्यक्रमों, प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से समुदाय में बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी अपनाने और क्षमता निर्माण शामिल हैं.

देश में हुई 1,023 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट की स्थापना

केंद्र सरकार के अनुसार सीएफएसएल, चंडीगढ़ में अत्याधुनिक डीएनए प्रयोगशाला की स्थापना, फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं को मजबूत करने के लिए 24 राज्यों व संघ राज्य क्षेत्रों को सहायता, पोक्सो अधिनियम के तहत बलात्कार के मामलों और मामलों के त्वरित निपटान के लिए 1,023 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) की स्थापना की गई है. 

देश के सभी जिलों में मानव तस्करी रोधी इकाइयों (एएचटीयू) की स्थापना व सु²ढ़ीकरण के लिए पुलिस थानों आदि में महिला सहायता डेस्क (डब्ल्यूएचडी) की स्थापना की गई है.

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल, 2015 को वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) योजना को लागू किया था. ताकि हिंसा से प्रभावित महिलाओं और निजी और सार्वजनिक दोनों जगहों पर पुलिस सुविधा सहित कई सेवाओं के माध्यम से महिलाओं को एकीकृत सहायता और सहायता प्रदान की जा सके. 

एक छत के नीचे एकीकृत तरीके से चिकित्सा सहायता, कानूनी सहायता और परामर्श, मनोवैज्ञानिक सहायता और अस्थायी आश्रय. जिसकी स्थापना निर्भया कांड के बाद की गई थी. 

अब तक, 733 ओएससी को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 704 35 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों (पश्चिम बंगाल राज्य को छोड़कर) में संचालित हो चुके हैं, जिन्होंने सितंबर, 2021 तक देश में 4.50 लाख से अधिक महिलाओं की सहायता की है.वन स्टॉप सेंटर योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा निर्भया फंड से सीधे जिला अधिकारियों को 100 फीसदी फंडिंग मुहैया कराई जाती है.

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़