नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कोविड-19 से निपटने के लिए पर्याप्त मानव संसाधन की बढ़ती जरूरतों के मद्देनजर की गई समीक्षा के बाद सोमवार को एनईईटी-स्नातकोत्तर की परीक्षा को अगले चार महीने तक स्थगित करने के साथ ही चिकित्सा प्रशिक्षुओं को महामारी प्रबंधन कार्यों के लिए तैनात करने का फैसला लिया गया.
कम होगा मौजूदा चिकत्साकर्मियों का बोझ
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड-19 से निपटने के लिए चिकित्साकर्मियों की उपलब्धता बढ़ाने संबंधी अहम फैसलों को आज अंतिम रूप दिया.
पीएमओ ने बयान में कहा कि एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्रों का कोविड-19 के हल्के लक्षण वाले मरीजों की निगरानी और टेली-मेडिसीन में उपयोग किया जा सकता है जबकि चिकित्सा प्रशिक्षु अपने संकाय के अधीन ऐसे मामलों में उपचार कर सकेंगे.
बयान में कहा गया कि इससे कोविड-19 मरीजों के इलाज में जुटे मौजूदा चिकित्सकों का बोझ कम होगा.
बयान के मुताबिक बीएससी नर्सिंग या जीएनएम पास नर्सों को वरिष्ठ चिकित्सकों और नर्सों की निगरानी में कोविड-19 मरीजों की सेवा में पूर्णकालिक उपयोग किया जा सकता है.\
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कोविड ड्यूटी करने वालों को मिलेगी सरकारी नौकरी
पीएमओ के बयान में कहा गया कि कोविड प्रबंधन में काम करने वालों को 100 दिनों का अनुभव होने के बाद आगे सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जाएगी.
100 दिन के अनुभव के बाद ऐसे सभी चिकित्साकर्मियों को भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कोविड राष्ट्रीय सेवा सम्मान दिया जाएगा.
चिकित्सा छात्रों और पेशेवरों को कोविड संबंधी कामकाज में तैनात करने से पहले उनका टीकाकरण किया जाएगा. साथ ही उन्हें चिकित्साकर्मियों के लिए मिलने वाले सरकारी बीमा योजना का लाभ भी दिया जाएगा.
बयान में कहा गया कि एनईईटी की स्नातकोत्तर की परीक्षा कम से कम चार महीने के लिए स्थगित की जा रही है और यह परीक्षा 31 अगस्त से पहले आयोजित नहीं की जाएगी.
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