Ayodhya के बाद अब Mathura की बारी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि से मस्जिद हटाने की मांग तेज

सदियों के बाद अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर की घड़ी आयी है. अयोध्या से विदेशी आक्रमणकारियों की निशानी मिट चुकी है और अब यही निशानी मथुरा से भी मिटाने की बात हो रही है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 28, 2020, 10:34 AM IST
    • श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर में विदेशी आक्रांताओं ने बनाई थी मस्जिद
    • मथुरा की अदालत में याचिका
Ayodhya के बाद अब Mathura की बारी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि से मस्जिद हटाने की मांग तेज

लखनऊ: अयोध्या से आक्रमणकारियों के अत्याचार, उनकी बर्बरता और गुलामी का कलंक अब मिट चुका है. वहां बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) के स्थान पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का दिव्य भव्य मंदिर बनने लगा है. विदेशी आक्रमणकारियों ने केवल अयोध्या (Ayodhya) को ही निशाना नहीं बनाया था उन्होंने ऐसे अनेक धार्मिक और पवित्र सनातन संस्कृति के स्थलों पर आक्रमण करके इन्हें मिटाने का प्रयास किया था, इसकी निशानी आज तक मथुरा (Mathura) और काशी में विद्यमान हैं. इसे हटाने की मांग जोर पकड़ रही है.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर में विदेशी आक्रांताओं ने बनाई थी मस्जिद

आपको बता दें कि वह अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो जाने के बाद अब श्रीकृष्ण के भक्तों ने भी मथुरा (Mathura) में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में मुगल शासक औरंगजेब के कार्यकाल में निर्मित शाही ईदगाह मस्जिद को वहां से हटाने की मांग की है.

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मथुरा की अदालत में याचिका

उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने शुक्रवार को मथुरा की एक अदालत में दायर की गई याचिका में कहा है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान एवं शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच हुआ समझौता पूरी तरह से गलत है तथा भगवान कृष्ण एवं उनके भक्तों की इच्छा के विरुद्ध विपरीत है। इसलिए उसे निरस्त किया जाए और मंदिर परिसर में स्थित ईदगाह को हटाकर उक्त भूमि मंदिर ट्रस्ट को सौंप दी जाए.

पूरी जमीन ट्रस्ट को सौंपने की मांग

आपको बता दें कि मुगल शासक औरंगजेब के कार्यकाल में निर्मित शाही ईदगाह मस्जिद को कृष्ण जन्मभूमि परिसर से हटाने की मांग की गयी है. आधा दर्जन भक्तों ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान एवं शाही ईदगाह प्रबंध समिति के मध्य पांच दशक पूर्व हुए समझौते को अवैध बताते हुए उसे निरस्त करने और मस्जिद को हटाकर पूरी जमीन मंदिर ट्रस्ट को सौंपने की मांग की है.

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