नई दिल्ली. भारत के असली महानायक हैं मोदी - यह शब्दों ने नहीं, तथ्यों ने कहा है. 23 मई 2019 को सत्रहवीं लोकसभा चुनावों के परिणाम के दौरान दिन में ही जिस समय भारत में मतगणना चल रही थी, दुनिया के बड़े राष्ट्राध्यक्षों ने मोदी को जीत की बधाइयां देनी शुरू कर दी थीं. शुरुआत की थी मोदी के दोस्त इज़राइल के प्रधानमन्त्री नेतान्याहू ने.
दुनिया में गया सकारात्मक संकेत
ज़ाहिर है, दुनिया में मोदी की जीत का सकारात्मक संदेश गया है. देश में ही नहीं दुनिया में भी मोदी अब आदमकद हो चुके हैं. भारत की ग्लोबल ब्रान्डिंग करने वाले अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञ मोदी की चुनावी विजय को दुनिया से समर्थन मिला है.
चला जोरदार मोदी-मैजिक
इन आम चुनावों ने मोदी मैजिक की मेहरबानी से कुछ बड़े उलटफेर दिखाए. राजे-रजवाड़ों के दिन लद गए, ऐसा लगता है. युवराज राहुल हारे अमेठी से, दिग्गी राजा हारे भोपाल से और ज्योतिरादित्य सिंधिया हारे गुना से. देशद्रोह के अभियुक्त कन्हैया कुमार को सवा चार लाख से पीटा बेगूसराय की जनता ने. और देश में सीपीआई का भी सूपड़ा साफ हो गया है जैसे बिहार में लालू की राजद ज़ीरो हो गई है.
हैरतअंगेज रहा चुनाव परिणाम
प्रतिक्रियावादी मतदान से हटकर पश्चिम बंगाल में भी कमल खिल गया. जम्मू-कश्मीर में भी भाजपा की सरकार बनने की तैयारी थी, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड और गुजरात में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया. कई नेताओं का अभिमान टूटा, और सबसे बड़ी बात जो हुई वो ये थी कि गांधी-नामधारी राहुल अमेठी से हारे और उनकी वहां सदा विजय होगी – ये मिथ भी टूट गया.
अमेठी की रानी बनी स्मृति इरानी
अमेठी में सेनापति मोदी की महिला-क्षत्रप स्मृति इरानी ने राहुल गांधी को धोबी-पाट का स्वाद चखाया. मगर वायनाड ने साथ निभाया और इज्जत रख ली गांधी राजवंश के चश्मोचिराग की.
मोदी के नाम ने किया ध्रुवीकरण
देश का हर वोट मोदी को गया. अब बीजेपी को अपने पक्ष में किसी धर्म या जाति के वोटों के ध्रुवीकरण की आवश्यकता नहीं थी. मोदी को देश के नागरिकों ने दोनों हाथों से वोट दिए थे. अच्छी बात है कि कट्टर धार्मिक औऱ जातिगत राजनीति को इस बार मोदी की उपस्थिति ने नकार दिया था. ये हैरानी की बात नहीं है, क्योंकि मोदी है तो मुमकिन है!
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