नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान को प्रयोगशाला से खेती-किसानी की ओर आगे बढ़ाने का आह्वान करते हुए रविवार को कहा कि इसे सिर्फ भौतिकी और रसायन तक सीमित नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि विज्ञान की शक्ति का ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान में भी बहुत योगदान है.


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आकाशवाणी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 74वीं कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने देशवासियों को ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ की शुभकामनाएं दीं और कहा कि जब देश का हर नागरिक अपने जीवन में विज्ञान का विस्तार करेगा तो प्रगति के रास्ते भी खुलेंगे और देश आत्मनिर्भर भी बनेगा.


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महान वैज्ञानिक सी. वी. रमन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि देश के अनगिनत वैज्ञानिक हैं जिनके योगदान के बिना विज्ञान आज इतनी प्रगति नहीं कर सकता था. उन्होंने कहा कि दुनिया के दूसरे वैज्ञानिकों की तरह देशवासियों को भारत के वैज्ञानिकों के बारे में भी जानना चाहिए.



उन्होंने कहा, ‘मैं जरूर चाहूंगा कि हमारे युवा भारत के वैज्ञानिकों को और उनके इतिहास को समझें और खूब पढ़ें.’


आत्मनिर्भर भारत अभियान में विज्ञान की शक्ति का योगदान


प्रधानमंत्री ने कहा कि जब विज्ञान की बात होती है तो कई बार इसे लोग भौतिकी और रसायन या फिर प्रयोगशालाओं तक ही सीमित कर देते हैं.


उन्होंने कहा, ‘लेकिन विज्ञान का विस्तार तो इससे कहीं ज्यादा है और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में विज्ञान की शक्ति का बहुत योगदान भी है. हमें विज्ञान को ‘लैब टू लैंड’ के मंत्र के साथ आगे बढ़ाना होगा.’


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उन्होंने कुछ किसानों के उदाहरण भी दिए जो वैज्ञानिक तौर तरीकों से खेती कर रहे हैं और ना सिर्फ अपनी आय बढ़ा रहे हैं बल्कि अपनी पहचान भी स्थापित कर रहे हैं.


हैदराबाद के किसान चिंतला वेंकट रेड्डी का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने गेहूं और चावल की ऐसी प्रजातियों को विकसित किया जो खासतौर पर ‘विटामिन-डी’ से युक्त हैं.


उन्होंने कहा, ‘इसी महीने उन्हें जेनेवा स्थित विश्व बौद्धिक संपदा संगठन से पेटेंट भी मिली है. ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि वेंकट रेड्डी जी को पिछले साल पद्मश्री से भी सम्मानित किया था.’


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इस कड़ी में उन्होंने लद्दाख के उरगेन फुत्सौग द्वारा जैविक खेती के जरिए 20 फसलें उगाने और फसलों के अवशेषों को खाद के रूप में इस्तेमाल करने तथा गुजरात के पाटन जिले के कामराज भाई चौधरी द्वारा सहजन के अच्छे बीज विकसित करने और उसे तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में बेचकर अच्छा मुनाफा कमाने का जिक्र किया.


भारत में चिया सीड्स की खेती


‘चिया सीड्स’ की दुनिया में बढ़ती मांग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में इसे ज्यादातर बाहर से मंगवाते हैं, लेकिन अब भारत में भी इसकी खेती हो रही है.



उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के किसान हरिश्चंद्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘चिया सीड्स की खेती उनकी आय भी बढ़ाएगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान में भी मदद करेगी.’


कृषि अवशेषों से धन कमाने की दिशा में देश में हो रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने मदुरै के मुरुगेसन का जिक्र किया और बताया कि उन्होंने केले के अवशेषों से रस्सी बनाने की एक मशीन बनाई है.


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उन्होंने कहा, ‘मुरुगेसन जी के इस नवोत्पाद से पर्यावरण और गंदगी का भी समाधान होगा तथा किसानों के लिए अतिरिक्त आय का रास्ता भी बनेगा.’


प्रधानमंत्री ने कहा कि इन लोगों के बारे में देश को बताने का उनका मकसद इतना है कि लोग उनसे प्रेरणा लें.


उन्होंने कहा, ‘जब देश का हर नागरिक अपने जीवन में विज्ञान का विस्तार करेगा, हर क्षेत्र में करेगा, तो प्रगति के रास्ते भी खुलेंगे और देश आत्मनिर्भर भी बनेगा. और मुझे विश्वास है कि ऐसा देश का हर नागरिक कर सकता है.’


जल सिर्फ जीवन ही नहीं, आस्था और विकास की धारा भी


प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण के लिए केंद्र सरकार इस साल ‘विश्व जल दिवस’ से 100 दिनों का अभियान भी शुरू करेगी. मोदी ने कहा कि दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परम्परा होती ही है और नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं.



उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है इसलिए इसका विस्तार देश में और ज्यादा मिलता है. उन्होंने कहा, “भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब देश के किसी-न-किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव न हो. माघ के दिनों में तो लोग अपना घर-परिवार, सुख-सुविधा छोड़कर पूरे महीने नदियों के किनारे कल्पवास करने जाते हैं.इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है. जल हमारे लिये जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है.”


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पानी को पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है वैसे ही पानी का स्पर्श जीवन और विकास के लिये जरूरी है. उन्होंने कहा, ‘पानी के संरक्षण के लिये, हमें, अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए.’


रविदाज जयंती पर दी श्रद्धांजलि



प्रधानमंत्री ने संत रविदास जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि भी दी और कहा कि आज भी उनके ज्ञान, हमारा पथप्रदर्शन करता है. उन्होंने कहा, “हमारे युवाओं को एक और बात संत रविदास जी से जरूर सीखनी चाहिए. युवाओं को कोई भी काम करने के लिये, खुद को पुराने तौर तरीकों में बांधना नहीं चाहिए. आप, अपने जीवन को खुद ही तय करिए.’


परीक्षा पर भी की चर्चा


प्रधानमंत्री ने छात्रों को तनावमुक्त रहने को कहा है. उन्होंने मन की बात में कहा, ‘आने वाले कुछ महीने आप सबके जीवन में विशेष महत्व रखते हैं. अधिकतर युवा साथियों की परीक्षाएं होंगी. आप सबको योद्धा बनना है तनाव लेने वाला नहीं. हंसते हुए परीक्षा देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम ‘परीक्षा पे चर्चा’ करेंगे.’


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प्रधानमंत्री ने छात्रों को सलाह दी है कि उन्हें अच्छी नींद लेनी है और समय का ठीक से प्रबंधन करना है, खेलना भी है.


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