नई दिल्ली: पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की मौत के एक दिन पहले खालिस्तानी अलगाववादी नेताओं से मुलाकात हुई थी. दरअसल, संगरूर लोकसभा उपचुनाव में अपने नेता अलगाववादी सिमरनजीत सिंह मान के लिए सिद्धू मूसेवाला से खालिस्तानी अलगाववादी समर्थन मांगने गए थे.
चुनावी मैदान में हैं सिमरनजीत सिंह मान
मुख्यमंत्री भगवंत मान के इस्तीफे के बाद खाली हुई संगरूर लोकसभा सीट पर खालिस्तानी अलगाववादी संगठन अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं.
इसी कड़ी में खालिस्तानी समर्थक अलगाववादी संगठन अकाली दल (अमृतसर) के महासचिव जसकरण सिंह कान सिंह वाला के मुताबिक वो अपने अन्य सहियोगियों के साथ सिद्धूमूसेवाला से मिलने गए थे और तस्वीरें भी फेसबुक पर पोस्ट कर बताया था कि सिद्धू मूसेवाला ने अलगाववादी नेता सिमरजीत सिंह मान के समर्थन का उन्हें भरोसा दिया है और कहा है कि जल्द मुलाकात भी करेंगे.
फेसबुक पोस्ट से हुआ ये बड़ा खुलासा
जसकरण सिंह कान सिंह वाला ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि 'उम्मीद नहीं थी कि यह तस्वीर आखिरी तस्वीर होगी बेटा. शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता. वाहेगुरू जी इस बच्चे को अपने चरणों में स्थान बक्शे. परिवार को क्षति स्वीकार करने की शक्ति दे.'
इसे पहले शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के महासचिव जसकरण सिंह कान सिंह वाला ने एक और फेसबुक पोस्ट किया था. जिसमें किसान यूनियन (अमृतसर) के अध्यक्ष सरदार सिमरनजीत सिंह मान, शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) से संगरूर से लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. इश पोस्ट में दावा किया गया था कि सिद्धू मूसेवाला ने कहा कि वो मदद करेंगे.
सिद्धू मूसेवाला के हत्यारों को किसने दी धमकी?
विकी गाउंडर ब्रदर्स ग्रुप के नाम से एक पोस्ट शेयर हुई है, जिसमें धमकी दी गई है कि लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ द्वारा जो मूसेवाला की हत्या की गई है उसका बदला लिया जाएगा और जल्द आमना सामना होगा.
लंबे समय से विकी गाउंडर ग्रुप के लोग बंबीहा गैंग के साथ मिलकर लॉरेंस बिश्नोई को खत्म करने की बात बोल रहे हैं, क्योंकि मृतक गैंगस्टर विक्की गौंडर और बंबीहा गैंग के बीच लंबे समय से दुश्मनी थी और यह भी कहा जा रहा था कि विकी गाउंडर के पुलिस द्वारा किए गए एनकाउंटर मैं विकी गाउंडर की जगह और उनकी मौजूदगी के टिप्स लॉरेंस बिश्नोई ने ही पुलिस को दी थी.
सिद्धू मूसेवाला को जानिए..
सिद्धू मूसेवाला की उम्र महज़ 29 साल थी. इस छोटी उम्र में ही उन्होंने वो मुकाम हासिल कर लिया था जिसका लोग सपना देखते हैं. मूसेवाला के भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में लाखों प्रशंसक हैं.
दिन दहाड़े उस शख्स की हत्या कर दी गई, जिसको चाहने वाले सिर्फ पंजाब में ही नहीं है, कनाडा और अमेरिका तक में हैं. मुसेवाला के हर गानों को लाखों लोग लाइक और शेयर करते थे.
29 साल की उम्र में सिद्धू मुसेवाला ने वो सबकुछ हासिल कर लिया था, जहां तक पहुंचने का सपना हर गायक का होता है. हर कलाकार का होता है लेकिन यहां तक पहुंचते-पहुंचते इतने लोगों से दुश्मनी हो गई कि रोज जान से मारने की धमकियां मिलती थी.
सिद्धू मुसेवाला ने हिंदी में गाना गया तो वो हिट हुआ, पंजाबी में गाया तो वो सुपरहिट हुआ. उनकी शोहरत बुलंदियों पर थी, लेकिन आज से पांच साल पहले तब विवादों में आ गए. जब अपने गानों में बंदूक कल्चर को बढ़ावा देने का आरोप लग गया. जान से मारने की धमकियां मिलने लगी और यहीं से सिद्धू मुसेवाला सुर्खियों में आ गए.
17 जून 1993 को जन्मे शुभदीप सिंह सिद्धू उर्फ सिद्धू मूसेवाला मनसा जिले के मूसा वाला गांव के रहने वाले थे. दुनिया भर में मूसेवाला के लाखों में फैन फॉलोअर्स है और अपने गैंगस्टर रैप के लिए लोकप्रिय थे. 2010 के दौर में उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में म्यूजिक सीखा और बाद में कनाडा चले गए.
कनाडा से वापस लौटे तो संगीत को ही उन्होंने दुनिया बना ली लेकिन जब उन्होंने गाना शुरू किया तो विवाद भी साथ-साथ चलता रहा. मूसेवाला को सबसे विवादास्पद पंजाबी गायकों में से एक माना जाता था. मूसेवाला खुलेआम बंदूक संस्कृति को बढ़ावा देते थे, उत्तेजक गीतों में गैंगस्टरों का महिमामंडन करते थे.
2019 में पंजाब में तब बवाल मच गया था जब 18वीं सदी के सिख योद्धा माई भागो का उन्होंने अपमान किया था. 2020 में सिद्धू मूसेवाला के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था और जेल भी गए थे .
2021 में एक दो नहीं, कई गैंगस्टर्स के खिलाफ मूसेवाला ने शिकायत की थी तब जाकर उनको सुरक्षा मिली थी. 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले मूसेवाला कांग्रेस में शामिल हो गए थे, लेकिन करारी हार मिली. पंजाब में आप की सरकार आई तो वीआईपी सुरक्षा हटाकर वाह-वाही बंटोरना चाहती थी लेकिन इस वाहवाही में मूसेवाला की जान चली गई.
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