मुंबईः कारोबारी मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक लदी कार मिलने के मामले में NIA की जांच अब मुंबई पुलिस की ओर घूम गई है. इसमें सीधे तौर पर निशाने पर आ गए हैं मुंबई पुलिस के चर्चित अधिकारी सचिन वझे.
यह चर्चा आम है
शनिवार रात लंबी पूछताछ के बाद उन्हें NIA ने गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद से सियासत और पुलिस महकमे के बीच एक चर्चा बड़ी जोरों से सिरा पकड़ रही है कि क्या सचिन वझे को पत्रकार अर्नब गोस्वामी से पंगा लेना महंगा पड़ गया?
दबे-छिपे तौर पर भले ही यह बात कही जा रही है, लेकिन इस चर्चा की वजह भी है. असल वजह जानने के लिए उसी दिन की ओर चलते हैं, जब अर्नब की गिरफ्तारी हुई थी.
नवंबर 2020 में हुई थी अर्नब की गिरफ्तारी
4 नवंबर 2020 को मुंबई पुलिस ने अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार किया था. तब देश भर में जनता ने तो इस गिरफ्तारी का विरोध किया ही था साथ ही केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री, सांसद और विधायकों तक ने इस गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की थी. उस दौरान ट्विटर गिरफ्तारी के विरोध वाले ट्वीट से भर गया था.
केवल शिवसेना और महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई पुलिस की कार्रवाई को सही ठहराया था वहीं अर्नब को गिरफ्तार करने वाले सचिन वझे और उनकी टीम की सराहना भी की थी.
एंटीलिया मामले में NIA कर रही है जांच
आज वक्त बदला है. 14 मार्च 2014 की तारीख है. सचिन वझे गिरफ्तार किए जा चुके हैं. एंटीलिया के सामने विस्फोटक मिलने की जांच NIA कर रही है. एक नजर से देखें तो मामला सीधा-सीधा राज्य की पुलिस और केंद्रीय एजेंसी का है. मामला राज्य की सरकार और केंद्र की सरकार के बीच का है.
ऐसे में इस सवाल का सुर्रा कहीं से उठ रहा है कि क्या सचिन वझे को अर्नब की गिरफ्तारी महंगी पड़ी तो उसका ये एक जवाब हो सकता है.
लेकिन, इस जवाब को ही पूरा नहीं मान लेना चाहिए. NIA ने किस लिहाज में गिरफ्तारी की है, इस पर भी नजर डाल लेनी चाहिए. दरअसल NIA ने जब से केस की जांच अपने हाथ में ली है, सचिन वझे का नाम संदिग्ध के तौर पर सामने आ रहा था.
सचिन वझे पर हैं गंभीर आरोप
कार रखने के मामले में उनकी भूमिका के आरोप हैं. इससे पहले मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच का अधिकारी होने के नाते सचिन वझे खुद इस मामले की जांच कर रहे थे.
संदिग्ध कार के मालिक मनसुख हिरेन की मौत के बाद तो सचिन वझे की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे थे. मनसुख हिरेन की पत्नी ने भी एफआईआर में वझे का नाम लिया है. पिछले दिनों ही महाराष्ट्र सरकार ने वझे को मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच से हटाकर नागरिक सुविधा केंद्र में स्थानांतरित कर दिया था.
शिवसेना में भी रहे हैं शामिल
घाटकोपर बम धमाके के केस में संदिग्ध ख्वाजा युनूस की कस्टडी में मौत हो गई थी. इस मामले में 3 मार्च, 2004 को सचिन वझे को 14 अन्य पुलिसकर्मियों के साथ सस्पेंड कर दिया गया था. साल 2007 में उन्होंने फिर से पुलिस सेवा में शामिल होने के लिए आवेदन किया था, लेकिन महाराष्ट्र सरकार की ओर से अपील खारिज होने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.
इसके कुछ वक्त बाद वह शिवेसना में भी शामिल हो गए थे. शिवसेना के सत्ता में आते ही 6 जून, 2020 को दोबारा पुलिस महकमें में वे शामिल हुए थे.
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