Congress के वरिष्ठ स्तम्भ Motilal Vora का देहावसान, पार्टी के लिए वर्ष की दूसरी अपूरणीय क्षति

वर्ष 2020 कांग्रेस पार्टी के लिए दो दुखद समाचार लाया है और नवंबर माह में अहमद पटेल के निधन के पश्चात दिसंबर में मोतीलाल वोरा की मृत्यु पार्टी की तरह ही पार्टी सुप्रीमो सोनिया गांधी के लिए भी व्यक्तिगत तौर पर एक अपूरणीय क्षति है.. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 21, 2020, 09:11 PM IST
  • सोनिया गांधी के लिए निजी क्षति
  • पत्रकारिता से आये थे राजनीति में
  • 1985 में बने मुख्यमन्त्री
  • तीन साल रहे राज्यपाल
  • नेशनल हेराल्ड केस में आया नाम
  • पार्टी की तीन संस्थाओं में प्रतिनिधित्व
  • पीएम मोदी ने श्रद्धांजलि दी
  • राहुल ने कहा सच्चे कांग्रेसी
Congress के वरिष्ठ स्तम्भ Motilal Vora का देहावसान, पार्टी के लिए वर्ष की दूसरी अपूरणीय क्षति

नई  दिल्ली.  93 वर्षीय मोतीलाल वोरा पार्टी के वरिष्ठ स्तम्भ थे. अजीब इत्तफाक ये है कि एक दिन पहले ही अर्थात कल 20 दिसंबर को ही उन्होंने अपना 93वां जन्मदिन मनाया था. कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता मोतीलाल वोरा का 93 साल की उम्र में आज सोमवार को फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया. मोतीलाल वोरा दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल भी रहे और लगभग सत्रह सालों तक उन्होंने कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पद पर भी अपनी सेवायें दी थीं.  

 सोनिया गांधी के लिए निजी क्षति 

पिछले माह वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अहमद पटेल की मृत्यु के बाद अब मोतीलाल वोरा का देहावसान सोनिया गांधी के लिए निजी तौर पर बड़ी क्षति मानी जा सकती है. अहमद पटेल की तरह ही मोतीलाल वोरा भी सोनिया गांधी के बहुत वफादार करीबी लोगों में से एक थे.  मोतीलाल वोरा के निधन के मायने कांग्रेस के लिए एक बहुत बड़े झटके की तरह है जिससे पार्टी के लिए उबरना आसान नहीं होगा. 

पत्रकारिता से आये थे राजनीति में  

दिवंगत कांग्रेसी नेता मोतीलाल वोरा ने राजनीति में पदार्पण से पूर्व कई साल  तक पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य किया और उसके बाद उन्होंने 1968 में राजनीति की दुनिया में प्रवेश किया. दो साल बाद1970 में मोतीलाल वोरा ने मध्यप्रदेश विधानसभा से अपना पहला चुनाव जीता और राज्य सड़क परिवहन निगम के उपाध्यक्ष बना दिये गये. वो इस दशक में दो बार (1977 और 1980) विधानसभा में चुने गए और मध्यप्रदेश के मुख्यमन्त्री अर्जुन सिंह ने उन्हे 1980 में प्रदेश कैबिनेट में स्थान दे कर उच्च शिक्षा मंत्री बनाया. वर्ष 1983 में वे केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री बनाये गये और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी उनकी नियुक्ति हुई.

1985 में बने मुख्यमन्त्री

अपने गृहप्रदेश मध्यप्रदेश की सर्वोच्च कमान सम्हालने का अवसर मोतीलाल वोरा 13 मार्च 1985 को मिला. लगभग तीन साल  13 फरवरी 1988 तक वो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. फिर 14 फरवरी 1988 में उन्होंने इस्तीफा दे कर केंद्र के स्वास्थ्य परिवार कल्याण और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी सम्हाली. वर्ष 1988 के अप्रेल माह में मोतीलाल वोरा राज्यसभा के लिए चुन लिए गए जिसके नौ महीने बाद ही वे फिर से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बना दिए गए और जनवरी 1989 से दिसंबर 1989 तक वे प्रदेश के कप्तान बने रहे. 

तीन साल रहे राज्यपाल  

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से निवृत्त हो कर मोतीलाल वोरा 1993 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बनाये गए जिस पर उन्होंने प्रदेश को सर्वोच्च संवैधानिक नेतृत्व तीन वर्ष (26 मई 1993 से 3 मई 1996) तक प्रदान किया. चाहे मोतीलाल वोरा मुख्यमंत्री रहे हों या राज्यपाल या फिर पार्टी के लिए किसी पद पर सेवायें दे रहे हों -उनका नाम पार्टी के एक नम्र और समर्पित नेता की पहचान बना. 

नेशनल हेराल्ड केस में आया नाम  

वर्ष 2012 में मोतीलाल वोरा का नाम नेशनल हेराल्ड न्यूज पेपर प्रकरण से जुड़ा. सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर शुरू हुआ यह नेशनल हेराल्ड न्यूज पेपर संपत्ति मामले पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है और इस प्रकरण पर अभी भी अदालत में सुनवाई चल रही है. 

पार्टी की तीन संस्थाओं में प्रतिनिधित्व 

चाहे वो एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड हो या यंग इंडियन हो अथवा ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी - पार्टी में शामिल तीनों संस्थाओं में मोतीलाल वोरा को अहम स्थान दिया गया था.  22 मार्च 2002 को मोतीलाल वोरा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बनाये गए थे. इसके पूर्व भी ऑल इंडिया कांग्रेस कार्यसमिति के कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सम्हाल चुके थे और इतना ही नहीं, वो 12 प्रतिशत के शेयरधारक और युवा भारतीय निर्देशक भी रहे हैं. 

पीएम मोदी ने श्रद्धांजलि दी 

अनुभवी नेता कह कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोतीलाल वोरा को श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने ट्वीट करके कहा कि - 'मोतीलाल वोरा जी उन वरिष्ठतम कांग्रेसी नेताओं में शामिल थे जिनके पास दशकों का  राजनीतिक, प्रशासनिक और संगठनात्मक अनुभव था. वोरा जी के निधन से बहुत दुख हुआ. वोरा जी के परिजनों तथा शुभचिंतकों के प्रति मैं शोक संवेदना व्यक्त करता हूँ. ओम शांति.' 

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राहुल ने कहा सच्चे कांग्रेसी 

17 साल तक कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहने वाले मोतीलाल वोरा से साल 2018 में बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने कोषाध्‍यक्ष पद की जिम्‍मेदारी ले ली थी. मोतीलाल वोरा के निधन पर शोक प्रकट करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि वोरा जी एक सच्चे कांग्रेसी और बहुत कमाल के इंसान थे. उनकी मृत्यु से बड़ी क्षति हुई है. उनकी हम सभी को बहुत याद आएगी. उनके परिवार के लोगों और मित्रों के लिए मैं अपनी शोक संवेदना व्यक्त करता हूँ. 

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