जयपुर. बच्चे मरें तो मरें इनकी बला से. ये नेता हैं राजस्थान के और इनकी राजनीतिक जात है कांग्रेस. इसलिए यदि यहां ऐसा नहीं होगा तो कहाँ होगा. कोटा के अस्पताल में जहां 104 बच्चों की मौत पर रोई उनकी माताओं की चीखें गूंजी हैं, वहां स्वास्थ्य मंत्री और उनके चापलूस प्रशासन के कहकहे गूंजे.
चुनावी रैली के अंदाज़ में आये नेता जी
पैदल चल कर सर झुका कर आना चाहिए था यहां मंत्री जी को जिससे कम से कम मरने वाले बच्चों के परिवारजनों को लगता कि इन्हें अफ़सोस है. पर जिस तरह से मंत्री जी ने धावा बोला वो अंदाज़ बता रहा था कि राजनीतिक पार्टी करने आये थे राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के नेता जी.
अस्पताल तो जैसे शमशान बना हुआ है
राजस्थान के कोटा शहर में स्थित यह जेके लोन अस्पताल इतना कुख्यात हो चुका है कि अब यहां हालात भी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. यहां लगता है कि बच्चे पैदा होने नहीं, मरने आते हैं. इस अस्पताल ने सिर्फ तीस दिन में दिसंबर के महीने में 104 बच्चों की मौत होते हुए देखी है यहां. लेकिन उसके लिए मरने वाले बच्चों के परिवारजनों की तकदीर जिम्मेदार है, अस्पताल या सरकार भला क्यों जिम्मेदार होने लगे?
दौरा करने आये थे मंत्री जी
राजस्थान के हेल्थ मिनिस्टर शुक्रवार तीन जनवरी को जे के लोन अस्पताल के दौरे के लिए आने वाले थे. उनकी चमचागिरी में प्रशासन ये भी भूल गया कि माहौल मौतों का है, वो भी नन्हे-नन्हे शिशुओं की मौतों का. मुस्कुराते चेहरे वाले चमचों ने मंत्री जी के स्वागत में ग्रीन कारपेट तक बिछा दिया. लेकिन अचानक मीडिया नज़र आया तो समझदार लोग होशियार हो गए और कारपेट हटा लिया. मरने वालों से ज्यादा मंत्री जी जरूरी हैं इसलिए अस्पताल में पुताई भी कराई गई और वार्ड में सफाई भी हुई.
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