3 साल का शिवा, 130 फीट गहरा बोरवेल और 'पाताल लोक में मौत से मासूम की जंग

खुले बोरवेल ने एक और मासूम की जिंदगी जोखिम में डाल दी. आगरा में साढ़े तीन साल का बच्चा घर के पास ही खुले बोरवेल में गिर गया. NDRF, SDRD और जिला प्रशासन ने 10 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाला, लेकिन सवाल ये है कि ऐसी जानलेवा लापरवाही बार-बार क्यों होती है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 15, 2021, 12:47 AM IST
  • 100 फीट से अधिक गहरे बोरवेल में गिरा मासूम
  • बोरवेल से शिवा को सुरक्षित बाहर निकाला गया
3 साल का शिवा, 130 फीट गहरा बोरवेल और 'पाताल लोक में मौत से मासूम की जंग

नई दिल्ली: आगरा के धरियाई गांव में सोमवार सुबह 100 फीट से अधिक गहरे बोरवेल में गिरे चार साल के बच्चे शिवा को घंटों चले बचाव अभियान के दौरान सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.

NDRF और SDRF टीम का ज्वाइंट ऑपरेशन 

बताया जा रहा है कि बोरवेल खराब हो चुका था. जिसके बाद उससे पाइप निकाल लिए गए थे लेकिन गड्डे को बंद नहीं किया गया था. ये लापरवाही मासूम की जिंदगी पर भारी पड़ गई. बच्चे को बचाने के लिए, पुलिस, मेडिकल टीम के साथ NDRD और SDRF की भी मदद ली गई. सबसे पहले बोरवेल में ऑक्सीजन का इंतजाम किया गया. इसके बाद बोरवेल के पैरलर जेसीबी से गड्ढा खोदने काम शुरु हुआ.

कई घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी सफलता मिली और मासूम शिवा को बोरवेल से सुरक्षित निकाल लिया गया. गाजियाबाद से आगरा पहुंची NDRF और SDRF टीम ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाया. बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए ऑक्सीजन सप्लाई के साथ कैमरे से उसकी मॉनीटरिंग की गई.घंटों की कड़ी मशक्कत कोशिश रंग लाई और शिवा मौत को मात देकर बाहर आ गया.

अपने ही पिता द्वारा खुदवाए बोलवेल में गिरा

राज्य आपदा मोचन बल के डिप्टी कमांडेंट आनंद ने कहा ‘बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है और उसकी हालत ठीक है.’

घटना आगरा (ग्रामीण) के फतेहाबाद के निबोहरा थाना अंतर्गत धरियाई गांव में हुई। बच्चा सुबह करीब सात बजे अपने ही खेत में पिता द्वारा खुदवाए गए बोरवेल में गिर गया, बोरवेल खुला था. उसके साथ खेल रहे बच्चों ने इसकी जानकारी परिजनों को दी. वहां ग्रामीण एकत्र हो गए और पुलिस को भी इसकी सूचना दी गई.

आनंद ने बताया कि वहां पहुंचे सेना और एनडीआरएफ के संयुक्त दल ने बचाव अभियान शुरू किया जिसके तहत बोरवेल के समानांतर कुछ दूरी पर एक गड्ढा खोदा गया और उससे बोरवेल तक एक सुरंग बनाई गई.

उन्होंने कहा, ‘इस बीच पाइप के जरिये बच्चे को लगातार ऑक्सीजन दी गई और उसके माता -पिता को लगातार उससे बात करते रहने को कहा गया ताकि बच्चा घबराए नहीं. उसे कुछ खाद्य सामग्री जैसे बिस्कुट आदि दिए गए.’ आनंद ने बताया कि करीब नौ घंटे तक चले अभियान के बाद बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.

बच्चे को सुरक्षित बाहर निकालने पर खुशी

इस संबंध में एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि बच्चा जिस बोरवेल में गिरा, उसे उसके पिता छोटेलाल ने खुदवाया था. उन्होंने कहा, ‘सुबह हमने बोरवेल में जब एक रस्सी गिराई तो बच्चे ने उसे पकड़ लिया और उसकी आवाज भी आई.’ बोरवेल से बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाले जाने पर गांव में खुशी का माहौल है.

पूरे ऑपरेशन में NDRF के साथ जिला प्रशासन, पुलिस और सेना ने भी मुस्तैदी से काम किया. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि मौत के और कितने बोरवेल आखिर कितने शिवा इस तरह मौत के मुंह में जाते रहेंगे.

इसे भी पढ़ें- कैसे चिराग को चाचा ने किया चित? पढ़िए पूरी कहानी

ये पहला मामला नहीं है जब कोई मासूम मौत के पाताल लोक में फंसा है. हर साल ऐसे दर्जनों मामले सामने आते हैं, सवाल ये है कि ऐसी जानलेवा लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन है. क्यों लोग इस तरह की गलतियां करते हैं.

इसे भी पढ़ें- PM मोदी का संदेश: भूमि क्षरण को रोकने की लड़ाई में भारत सबसे आगे

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़