दिल्ली: मध्य प्रदेश में चल रही सियासी उठापटक के पटाक्षेप का समय आ गया है. मध्य प्रदेश के लोकतंत्र को खिलवाड़ बना रहे कमलनाथ को सुप्रीम कोर्ट ने कल शाम तक बहुमत साबित करने का आदेश दिया है. देश की शीर्ष अदालत ने राज्यपाल और संविधान की गरिमा को ध्यान में रखकर कहा कि स्पीकर का सहारा लेकर कुर्सी पर बने रहना अलोकतांत्रिक है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि इस फ्लोर टेस्ट की वीडियोग्राफी की जाएगी और कांग्रेस के बागी विधायकों पर विधानसभा में आने का कोई दबाव नहीं होगा.
Shivraj Singh Chouhan, BJP: We welcome the Supreme Court's decision of floor test. This govt is not just a govt which has lost the majority but this is a Govt of brokers which has cheated the people of Madhya Pradesh. This Govt will lose the floor test tomorrow. pic.twitter.com/vkPkc6JoLT
— ANI (@ANI) March 19, 2020
फ्लोर टेस्ट की वीडियोग्राफी की जाएगी
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ किया कि इस फ्लोर टेस्ट की वीडियोग्राफी की जाएगी. साथ ही कांग्रेस के बागी विधायकों पर विधानसभा में आने का कोई दबाव नहीं होगा. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशकों पर बागी विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होगी. आपको बता दें कि कांग्रेस के 22 विधायकों के बागी होने के बाद से कमलनाथ सरकार पर संकट मंडरा रहा है.
बागी विधायकों पर सदन में आने की बाध्यता नहीं
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि विधानसभा की कार्यवाही का लाइव प्रसारण किया जाएगा. विधानसभा सत्र का एक मात्र एजेंडा फ्लोर टेस्ट करवाना होगा. सभी अधिकारी ये सुनिश्चित करें कि किसी भी तरह आदेश का उल्लंघन न हो. कांग्रेस के बागी विधायकों पर विधानसभा में आने का कोई दबाव नहीं होगा. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशकों पर बागी विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होगी.
राज्यपाल अपनी रिपोर्ट केंद्र को दे सकते हैं: SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक सिद्धांत जो उभरता है, उसमें अविश्वास मत पर कोई प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि स्पीकर के समक्ष इस्तीफे या अयोग्यता का मुद्दा लंबित है. इसलिए हमें यह देखना होगा कि क्या राज्यपाल उसके साथ निहित शक्तियों से परे काम करें या नहीं. एक अन्य सवाल है कि अगर स्पीकर राज्यपाल की सलाह को स्वीकार नहीं करता है तो राज्यपाल को क्या करना चाहिए. एक विकल्प है कि राज्यपाल अपनी रिपोर्ट केंद्र को दें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक के आदेश स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देता कि वो कब तक अयोग्यता पर फैसला लें, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि फ्लोर टेस्ट न हो.
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