मुबंई: महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनने के बाद से ही मुसीबतें परछाई की तरह पीछा करती नजर आ रही हैं. ताजातरीन मामला है कांग्रेस सेवादल के बुकलेट में हिंदुत्व के नायक माने जाने वाले सावरकर और गोड्से के शारीरिक संबंध छापे जाने के मामले पर. कांग्रेस सेवादल की इस ओछी राजनीति पर तिहुं ओर से पलटवार हो रहा है.
न सिर्फ भाजपा बल्कि शिवसेना के माउथपीस संजय राउत ने भी उद्धव ठाकरे की परवाह किए बिना कांग्रेस को मर्यादा में रहने की सीख दी है. अब कांग्रेस की पुरानी साथी एनसीपी भी खुद को इस विवाद से अलग कराते हुए कांग्रेस को इस तरह के हरकतों से बचने का ज्ञान दिया है.
एनसीपी ने कांग्रेस के इस बयान से किया किनारा
एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने सेवादल के बुकलेट में विवादित आलेख पर कहा कि "सावरकर और गोड्से के शारीरिक संबंध जैसी बातों को लिखना एक विवादित तरीका है. भले ही आपकी विचारधारा अलग हो चलता है लेकिन निजी कमेंट्स से बचना चाहिए. खासकर तब जब जिसके बारे में लिखा जा रहा हो वह जिंदा ही न हो. बुकलेट को खारिज कर देना चाहिए."
Nawab Malik,NCP on remark in Congress Seva Dal booklet, 'Savarkar&Godse had physical relations':Writing objectionable articles is wrong,ideological differences fine but personal comments should not be made,especially when person(Savarkar) is not alive.Booklet should be withdrawn pic.twitter.com/f1dXxMyNA8
— ANI (@ANI) January 4, 2020
एनसीपी महाराष्ट्र में कांग्रेस की पुरानी साथी रही है. बावजूद इसके उसने विवादित आलेख पर सहयोगी दल से किनारा किया है जबकि शिवसेना जिसकी कांग्रेस से यारी महज दो महीने की भी नहीं, वह सरकार को बचाए रखने के लिहाज से मूकदर्शक बनी हुई है. बात जबकि विचारधारा पर बन आई है.
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संजय राउत ने कांग्रेस के बहाने उद्धव पर साधा निशाना
उधर संजय राउत भी पार्टी के मुखिया और सीएम उद्धव ठाकरे से धीरे-धीरे कन्नी काटते नजर आ रहे हैं. हुआ ये कि राउत बंधुओं यानी संजय राउत और सुनील राउत दोनों ही को शिवसेना ने दरकिनार कर दिया और कोई भी विभाग न मिला जिससे संजय राउत पार्टी आलाकमान से जरा उखड़ से गए. उसके ठीक बाद कांग्रेस सेवादल का यह कांड तो जैसे उनके लिए एक मौका था कि वो कांग्रेस के बहाने उद्धव पर निशाना साध सकें. उन्होंने वहीं किया भी.
संजय राउत ने कांग्रेस को मर्यादित रहने को कहा. संजय राउत ने तो यहां तक कह दिया कि 'वीर सावरकर एक महान व्यक्ति थे. एक वर्ग उसके खिलाफ बात करता रहता है, यह उनके दिमाग में गंदगी को दिखाता है, जो भी वे हो सकते हैं.'
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उद्धव को मुख्यमंत्री बनाया और बदले में बहुत कुछ ले लिया
इतना ही नहीं इधर शिवसेना के एक मंत्री ने भी कैबिनेट में जगह न दिए जाने के बाद इस्तीफा दे दिया. राजनीतिक विश्लेषकों के हिसाब से अगर सीधे शब्दों में कहें तो कांग्रेस और एनसीपी ने शिवसेना को एक मुख्यमंत्री पद दिया और उनसे बदले में बहुत कुछ ले लिया वाला हिसाब हो गया है. खैर, अब देखना यह है कि यह खेल कितना लंबा खींचता चला जाता है या रस्सी बीच में ही टूट जाएगी.