नई दिल्ली: राजनीति में बयानों पर बड़ी-बड़ी सुर्खियां बन जाती हैं. दल टूट जाते हैं और सरकारें गिर जाती हैं. लेकिन कई दफा ओछी राजनीति का ऐसा नजारा देखने को मिलता है कि टिप्पणीकारों को भी अंदाजा नहीं होता कि ऐसे बयानों का सामने आना उन्हें कितना नुकसान पहुंचा सकता है. भारतीय राजनीति में इन दिनों या यूं कहें कि शुक्रवार को समलैंगिकता एक मुख्य मुद्दा बन चुका है. मीडिया रिपोर्ट्स से लेकर टीवी चैनल की वनलाइनर हैडिंग तक में 'समलैंगिक राजनीति' की चर्चा की जाने लगी. ऐसा क्या हुआ, आइए जानते हैं.
'गोड्से और सावरकर के बीच थे शारीरिक संबध' से चढ़ गया पारा
दरअसल, यह पूरा सिलसिला कांग्रेस सेवादल की पुस्तिका में लिखे 'गोडसे और सावरकर के बीच शारीरिक संबंध थे' के बयान के बाद शुरू हुआ. जैसे ही यह बयान पब्लिक डोमेन में आया, बयानबाजियों का बाजार गर्म हो गया. भाजपा नेताओं से लेकर हिंदूवादी संगठनों तक और मठाधीशों से लेकर कांग्रेस व तमाम विपक्षी दलों तक के बयानों की बौछार होने लगी. कांग्रेस सेवा दल ने हिंदुत्व के दो बड़े पुरोधा माने जाने वाले गोड्से और सावरकर के ऊपर विवादित तथ्य लिख डाले. इससे तमाम हिंदुवादी संगठनों की खीझ एक-एक कर सामने आने लगी.
"हमने सुना है राहुल गांधी समलैंगिक हैं"
अगर आज मीडिया रिपोर्ट्स को खंगालेंगे तो चलेगा कि उमा भारती से लेकर गिरिराज सिंह तक, संजय राउत से लेकर कैलाश विजयवर्गीय तक ने इस ओछी राजनीति को अपने बयानों के जरिए तूल पकड़वाने में और भी बड़ी भूमिका निभाई. लेकिन सबसे ज्यादा विवादास्पद बयान कांग्रेस पार्टी के लिहाज से अभी आने ही वाला था. वह आया अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि के मुख से.
Akhil Bhartiya Hindu Mahasabha President Swami Chakrapani on statement in Congress Seva Dal booklet 'Godse&Savarkar had physical relations':These are ridiculous allegations against former Mahasabha President Savarkar ji.Similarly we have also heard that Rahul Gandhi is homosexual pic.twitter.com/vDSx0ctzvt
— ANI (@ANI) January 3, 2020
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उन्होंने न सिर्फ कांग्रेस सेवादल पर हमला बोला बल्कि उल्टे कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को ही समलैंगिकता के लपेटे में ले लिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सेवादल की पुस्तिका में 'गोडसे और सावरकर के बीच शारीरिक संबंध' लिखने वाले लोगों की मति भ्रष्ट हो गई है. 'ये पूर्व महासभा अध्यक्ष सावरकर के खिलाफ हास्यास्पद आरोप हैं. इसके बाद तो उन्होंने यह भी कह दिया कि हमने यह भी सुना है कि राहुल गांधी समलैंगिक हैं.'
सोशल मीडिया में हो रही है समलैंगिक राजनीतिक पर खूब ट्रोलिंग
इस प्रतिक्रिया के बाद तो जैसे सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स को सोने पर सुहागा वाला मौका ही मिल गया. सबने अपने-अपने हिसाब से बयानवीरों की धज्जियां उड़ानी शुरू कर दी. भारतीय राजनीति में समलैंगिकता का मुख्य मुद्दा बन जाना यह दर्शाता है कि राजनीति किस स्तर पर की जा रही है. कांग्रेस की ओर से की गई यह शुरुआत उसे कहीं महंगी न पड़ जाए, इसपर पार्टी विचार भी कर रही है.
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