वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी की सुनवाई 12 जुलाई तक स्थगित की, जानिए सोमवार को अदालत में क्या हुआ

वाराणसी की अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी मामले में सुनवाई 12 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी. मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील अभय नाथ यादव ने कोर्ट में 51 में से 47 दलीलें पेश की हैं. वकील को पांच और दलीलें पेश करनी हैं और उम्मीद है कि मंगलवार को बाकी दलीलें पूरी हो जाएंगी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 4, 2022, 06:55 PM IST
  • सिर्फ 40 लोगों को मिली प्रवेश की अनुमति
  • मंगलवार को बाकी दलीलें पूरी होने की उम्मीद
वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी की सुनवाई 12 जुलाई तक स्थगित की, जानिए सोमवार को अदालत में क्या हुआ

नई दिल्लीः वाराणसी की अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी मामले में सुनवाई 12 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी. मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील अभय नाथ यादव ने कोर्ट में 51 में से 47 दलीलें पेश की हैं. वकील को पांच और दलीलें पेश करनी हैं और उम्मीद है कि मंगलवार को बाकी दलीलें पूरी हो जाएंगी.

कोर्ट में उठाए गए ये कानूनी मुद्दे
मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने 1669 से क्षेत्र के इतिहास पर बहस के माध्यम से अदालत का रुख किया. कानूनी मुद्दे उठाए गए और स्वतंत्रता पूर्व और बाद के वर्षों में मामले चले गए. मुस्लिम पक्ष 1669 से ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े तमाम मामलों और मुद्दों पर बहस कर रहा है.

40 लोगों को दी गई प्रवेश की अनुमति
घटनास्थल पर तैनात पुलिस को वकीलों और वादियों समेत करीब 40 लोगों को अदालत कक्ष में प्रवेश करने की अनुमति दी गई. किसी अन्य व्यक्ति को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है. मीडिया को भी कार्यवाही से रोक दिया गया है.

'कानून पर दलीलें रखे मुस्लिम पक्ष'
ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे मामले में हिंदू पक्ष की ओर से पेश अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलें दी हैं, सभी की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अगली सुनवाई की तारीख 12 जुलाई है. मुस्लिम पक्ष कानून पर अपनी दलीलें रखे. फिर अदालत के सामने बात करें.

याचिकाकर्ता महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील के अनुसार, 30 मई को, जिला अदालत ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई को 4 जुलाई तक हिंदू महिलाओं द्वारा दायर एक मुकदमे की सुनवाई को चुनौती दी थी.

अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की ओर से पेश अधिवक्ता ने अपने तर्क का समर्थन करने के लिए विभिन्न निर्णयों का हवाला दिया था कि हिंदू महिलाओं द्वारा दायर एक मुकदमे की स्थिरता पूजा स्थल अधिनियम द्वारा वर्जित है.

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