सोशल मीडिया को लेकर आखिर क्या सोच रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी

पीएम मोदी ने सितंबर 2019 में एक कार्यक्रम में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर चिंता जाहिर की थी. हालांकि उन्होंने इसकी ताकत को कभी भी कम नहीं आंका. उन्होंने कहा, 'सोशल मीडिया ने सशक्तिकरण के लिए बहुत ताकत दी है. मैं लोकतंत्र के लिए सोशल मीडिया को एक बहुत बड़े टूल के रूप में देखता हूं, लेकिन दुर्भाग्य से संगठित रूप से नकारात्मक चीजों को फैलाने का प्रयास किया जाता है'. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 3, 2020, 02:13 PM IST
    • अटकलें है कि प्रधानमंत्री अब सिर्फ नमो एप के जरिए जनता से संवाद कर सकते हैं
    • अगर भारत अपनी कोई सोशल कंपनी शुरू करता है तो निश्चित तौर पर बड़ी संख्या में लोग इसकी तरफ रुख करेंगे
सोशल मीडिया को लेकर आखिर क्या सोच रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार देर शाम ट्वीट किया कि वह सोशल मीडिया को छोड़ने के लिए विचार कर रहे हैं. उनका यह ट्वीट सोशल मीडिया में भूचाल लाने के लिए काफी था. प्रधानमंत्री के ट्वीट करते ही हर प्लेटफॉर्म पर इसकी बात होने लगी और लोग इसके लिए प्रतिक्रिया देने लगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मनाने के लिए कि वह सोशल मीडिया न छोड़ें तुरंत ही कुछ देर में हैशटैग नो सर ट्रेंड करने लगा.

हालांकि प्रधानमंत्री ने अगर ऐसा विचार किया है तो इसके पीछे कुछ कारण हो सकते हैं जो व्यापक तौर पर प्रभावित करते हैं. इन्हीं आशंकाओं-संभावनाओं पर डालते हैं नजर

ऐसा संकेत पहले ही दे चुके थे पीएम मोदी
पीएम मोदी ने सितंबर 2019 में एक कार्यक्रम में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर चिंता जाहिर की थी. हालांकि उन्होंने इसकी ताकत को कभी भी कम नहीं आंका. उन्होंने कहा, 'सोशल मीडिया ने सशक्तिकरण के लिए बहुत ताकत दी है. मैं लोकतंत्र के लिए सोशल मीडिया को एक बहुत बड़े टूल के रूप में देखता हूं, लेकिन दुर्भाग्य से संगठित रूप से नकारात्मक चीजों को फैलाने का प्रयास किया जाता है.

अच्छा है कि कुछ मीडिया संस्थानों ने डेली 15 मिनट, आधा घंटा फेक न्यूज को उजागर करने का काम शुरू किया है. धीरे-धीरे सोशल मीडिया और परंपरागत मीडिया यदि फेक न्यूज के नुकसान पर बल देंगी तो स्थित सुधरेगी. दूसरा फॉरवर्ड करने का जो फैशन है, टेक्नॉलजी के लिए कुछ सॉल्यूशन लाना पड़ेगा, कोई न्यूज आती है तो वेरिफिकेशन की कोई संभावना बने. 

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फेक न्यूज और अफवाहों से दुखी
प्रधानमंत्री के सोशल मीडिया छोड़ने के पीछे एक संदेश भी हो सकता है. दरअसल वह पहले भी फेक न्यूज और फॉरवर्ड फैशन पर चिंता जता चुके हैं. इधर बीते कुछ सालों में अफवाहों ने जिस तरह सोशल मीडिया के जरिए जोर पकड़ना शुरू किया है, उससे सामाजिक ताने-बाने और ढांचे पर बुरा असर पड़ा है. मॉब लिंचिंग, नागरिकता कानून का विरोध और अभी दिल्ली में भड़की हिंसा में प्रमुख तौर पर सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभाई है.

हो सकता है कि पीएम मोदी इस तरह की घटनाओं के चरम पर पहुंच जाने से निराश होकर ऐसा निर्णय लेने का मन बनाया हो. 

सोशल मीडिया पर नकेल कसने की तैयारी
पीएम मोदी कई मौकों पर फेसबुक, ट्विटर व अन्य सोशल प्लेटफॉर्म से फेक न्यूज पर लगाम लगाने की अपील कर चुके है. इसके बावजूद अब तक इस दिशा में कोई सार्थक कदम नहीं उठाए गए हैं. ऐसे में अगर पीएम मोदी सोशल मीडिया को छोड़ते हैं तो बड़ी संख्या में मौजूद उनके फैन-फॉलोवर इस कदम को अपना सकते हैं.

ऐसी स्थिति में एक झटके में यह सोशल मीडिया कंपनियां अपने बड़े ग्राहक वर्ग को खो देंगी. दूसरा यह कि लोगों के सोशल प्लेटफॉर्म से हटते ही न्यूज का नेटवर्क सीमित हो जाएगा, जिससे फेक न्यूज के फैलना तुरंत ही कम होगा. 

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क्या भारत शुरू कर रहा है अपनी सोशल मीडिया कंपनी
ऐसी भी अटकलें है कि प्रधानमंत्री अब सिर्फ नमो एप के जरिए जनता से संवाद कर सकते हैं. इसके साथ ही उनके इस विचार से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत अपना सोशल प्लेटफॉर्म शुरू कर सकता है. पहले भी इसके लिए तैयारियों की बातें सामने आती रही हैं. अगर भारत अपनी कोई सोशल कंपनी शुरू करता है तो निश्चित तौर पर बड़ी संख्या में लोग इसकी तरफ रुख करेंगे.

एक बड़ा तबका जो कि पीएम मोदी को फॉलो करता है, साथ ही भाजपा के सदस्य-कार्यकर्ता सभी उसे अपनाएंगे. इसके अलावा आधिकारिक सूचनाओं से जुड़े रहने के कारण अन्य क्षेत्रों के जुड़े लोगों को भी यही प्लेटफॉर्म अपनाना पड़ेगा. ऐसे में भारत इस स्थिति में है कि वह अपना सोशल प्लेटफॉर्म बना सकता है. 

 

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